नेपाल के निचले सदन ने विवादित नक्शे को दी मंजूरी, संसद ने पास किया देश का नया नक्शा
नेपाल की संसद में पास किए गए इस नए नक्शे में लिपुलेख कालापानी और लिम्पियाधुरा को नेपाल ने अपने क्षेत्र में दिखाया गया है।
काठमांडू, एजेंसी। नेपाली संसद के निचले सदन (हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव्स) ने शनिवार को देश के राजनीतिक नक्शे को अपडेट करने के संबंधी संविधान संशोधन बिल को सर्वसम्मति से मंजूरी दे दी। इस विवादित नक्शे में नेपाल ने भारतीय सीमा से लगे लिपुलेख, कालापानी तथा लिंपियाधुरा को भी अपना क्षेत्र बताया है।
275-सदस्यीय निचले सदन में नेपाली कांग्रेस (एनसी), राष्ट्रीय जनता पार्टी-नेपाल (आरजेपी-एन) तथा राष्ट्रीय प्रजातांत्रिक पार्टी (आरपीपी) जैसे विपक्षी दलों ने सरकार के बिल का समर्थन किया। इसके पहले नेपाली संसद ने 9 जून को संविधान संशोधन संबंधी इस बिल पर विचार करने के प्रस्ताव को सर्वसम्मति से मंजूरी दी थी।
अब इस बिल को नेशनल असेम्बली में भेजा जाएगा, जहां सत्तारुढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी को दो-तिहाई बहुमत है। इसलिए बिल को इस सदन में अपेक्षित समर्थन मिलने में कोई कठिनाई नहीं होगी। बिल के नेशनल असेम्बली से पारित होने के बाद पुष्टि के लिए उसे राष्ट्रपति को भेजा जाएगा, जिनकी मंजूरी के बाद इसे संविधान में शामिल कर लिया जाएगा। हालांकि इसके पहले बुधवार को सरकार ने संबंधित क्षेत्र के बारे में ऐतिहासिक तथ्य और सबूत जुटाने के लिए नौ सदस्यीय विशेषषज्ञ समिति गठित की थी। ऐसे में राजनयिक और विशेषषज्ञ यह सवाल उठा रहे हैं कि जब कैबिनेट ने नक्शे को मंजूरी दे दी और उसे जारी भी कर दिया गया तो फिर टास्क फोर्स क्यों गठित की गई।
नेपाल से मजबूत रिश्ते, आगे भी रहेंगे
नेपाल के साथ भी चल रहे सीमा विवाद के बीच जनरल नरवाने ने कहा कि दोनों देशों में मजबूत संबंध हैं और आगे भी रहेंगे। उन्होंने कहा, 'नेपाल के साथ हमारे मजबूत संबंध हैं। हमारे भौगोलिक, सांस्कृतिक, ऐतिहासिक तथा धार्मिक संबंध हैं। लोगों के बीच भी बहुत मजबूत संबंध हैं। उनके साथ हमारे संबंध हमेशा मजबूत रहे हैं और भविष्य में भी रहेंगे।' लेकिन बता दें कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा 8 मई को उत्तराखंड में लिपुलेख दर्रा को धारचुला से जोड़ने वाली सामरिक महत्व की 80 किलोमीटर लंबी स़़डक के उद्घाटन के बाद से दोनों देशों के बीच तनाव पैदा हो गया है।