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नेपाल सरकार का दावा, सिर्फ भीड़ से नहीं मरे Mount Everest पर गए लोग

नेपाल सरकार ने दावा किया है कि दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वत माउंट एवरेस्ट पर जाने वाले पर्वतारोहियों की मौत का कारण केवल भीड़ नहीं हो सकती है।

By TaniskEdited By: Published: Thu, 13 Jun 2019 09:52 PM (IST)Updated: Fri, 14 Jun 2019 12:10 AM (IST)
नेपाल सरकार का दावा, सिर्फ भीड़ से नहीं मरे  Mount Everest पर गए लोग
नेपाल सरकार का दावा, सिर्फ भीड़ से नहीं मरे Mount Everest पर गए लोग

काठमांडू, प्रेट्र। दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वत माउंट एवरेस्ट पर जाने वाले पर्वतारोहियों की मौत का कारण केवल भीड़ नहीं हो सकती है। वे ज्यादा ऊंचाई पर पैदा होने वाली बीमारियों, पुरानी बीमारियों और अत्यधिक विपरीत प्रभाव वाले मौसम के चलते भी मौत के शिकार हो सकते हैं। यह दावा नेपाल सरकार ने किया है। पर्वतारोहण के हाल में खत्म हुए सत्र में इस बार माउंट एवरेस्ट गए 11 लोगों की मौत हुई है। नेपाल सरकार इस संख्या को आठ बताती है, जबकि एक लापता है।

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यह साल सबसे ज्यादा मुश्किल
माउंट एवरेस्ट जाने वालों के लिए यह साल सबसे ज्यादा मुश्किल रहा। वर्ष 2015 के बाद चालू वर्ष में सबसे ज्यादा मौतें हुई हैं। नेपाल के पर्यटन मंत्रालय के अनुसार पर्वतारोहण के लिए आए कुल 16 लोग इस साल काल के गाल में समाए और एक अभी तक लापता है। मृतकों में आठ भारतीय पर्वतारोही शामिल हैं। इनमें से चार माउंट एवरेस्ट के रास्ते में मरे जबकि दो-दो माउंट कंचनजंघा और माउंट मकालू के रास्ते में मौत के शिकार हुए। इस साल पर्वतारोहण के लिए जाने वालों में भारतीय सबसे आगे रहे। उन्होंने कुल 78 अनुमति पत्र सरकार से प्राप्त किए।

इस वजह से दिया स्पष्टीकरण 
नेपाल के पर्यटन मंत्रालय के महानिदेशक डांडूराज घिमिरे ने कहा कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया में जिस तरह की गलत खबरें आ रही हैं, उससे हमें स्पष्टीकरण देने की जरूरत पड़ी है। माउंट एवरेस्ट जाने वाले रास्ते में भीड़ का बढ़ना मौत का अकेला कारण नहीं हो सकता। जाम की समस्या तब पैदा होती है जब एक ही समय पर बहुत ज्यादा पर्वतारोही पर्वत पर चढ़ने का प्रयास करें, लेकिन चालू सत्र में ऐसा नहीं हुआ।

डेथ जोन
घिमिरे ने बताया कि हिमालय में खतरनाक स्थिति आठ हजार मीटर के बाद पैदा होती है। इसीलिए उसे डेथ जोन कहते हैं। वहां ज्यादा देर तक रहने पर तबीयत बिगड़ने और मौत का खतरा पैदा हो जाता है। पर्यटन विभाग ने बताया है कि 2017 में 366 पर्वतारोहियों को अनुमति पत्र जारी किए गए। 2018 में 346 अनुमति पत्र जारी किए गए। जबकि 2019 में 381 अनुमति पत्र जारी हुए। इस लिहाज से चालू वर्ष में खास ज्यादा अनुमति पत्र जारी नहीं हुए जिससे ट्रैफिक जाम वाली स्थिति पैदा हो।

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