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नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी टूट के करीब, ओली और प्रचंड के बीच बातचीत विफल, पीएम का हटना लगभग तय

प्रचंड ने पीएम ओली के इस्तीफे की मांग करते हुए कहा कि उनकी हालिया भारत विरोधी टिप्पणी न तो राजनीतिक रूप से सही है और न ही राजनयिक रूप से उपयुक्त है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Thu, 09 Jul 2020 04:33 PM (IST)Updated: Thu, 09 Jul 2020 07:24 PM (IST)
नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी टूट के करीब, ओली और प्रचंड के बीच बातचीत विफल, पीएम का हटना लगभग तय
नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी टूट के करीब, ओली और प्रचंड के बीच बातचीत विफल, पीएम का हटना लगभग तय

काठमांडू, प्रेट्र। चीनी राजदूत के दखल के बाद भी नेपाल की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी अपने अंदरुनी कलह से नहीं उबर पाई। न प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली पीछे हटने के लिए तैयार हैं, न ही पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष पुष्प कमल दहल प्रचंड। हफ्तेभर में कम से कम छह मुलाकातों के बावजूद दोनों नेता अपने मतभेद दूर नहीं पाए। बुधवार को नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) की स्थायी समिति की महत्वपूर्ण बैठक सिर्फ इसलिए टाल दी गई थी कि दोनों शीर्ष नेताओं को अपने मतभेद दूर करने के लिए थोड़ा और वक्त मिल जाए। यह बैठक अब शुक्रवार को होगी। माना जा रहा है कि इस बैठक में पार्टी 68 वर्षीय ओली के राजनीतिक भाग्य का फैसला सुना देगी। ओली से प्रचंड ही नहीं, पूर्व प्रधानमंत्री माधव कुमार नेपाल और झालानाथ खनल जैसे नेता भी बहुत नाराज हैं। नाराजगी का कारण है ओली की लगातार भारत विरोधी टिप्पणियां।

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कोई भी गुट पीछे हटने को तैयार नहीं

काठमांडू पोस्ट के मुताबिक सत्ता में साझीदारी के मुद्दे पर पार्टी दो गुटों में बंट चुकी है। कोई भी गुट पीछे हटने को तैयार नहीं है। बुधवार को पूरे देश में ओली के समर्थन में छिटपुट प्रदर्शन हुए। काठमांडू में ही कम से कम सात जगह नारेबाजी हुई। वहीं, सपतारी में दहल समर्थकों की ओर से जवाबी रैली निकाली गई। हालांकि दोनों गुटों में यह सहमति बन गई थी कि वे सड़कों पर नहीं उतरेंगे। पार्टी में एकजुटता का समर्थन करने के बावजूद ओली समर्थक सड़कों पर उतर रहे हैं।

पार्टी की स्‍थायी समिति की बैठक को शुक्रवार के लिए स्‍थगित किया गया 

68 वर्षीय ओली के राजनीतिक भविष्य के बारे में शुक्रवार को स्टैंडिंग कमेटी की बैठक के दौरान फैसला लेने की उम्मीद है, जिसमें उनकी कुर्सी को बचाने के लिए नेपाल में चीन की राजदूत होउ यान्की जोर-शोर से लगी हुई हैं।

चीन की राजदूत होउ यान्की ने की प्रचंड से मुलाकात 

पीएम ओली की सत्‍ता को बचाने के लिए चीन की राजदूत होउ यान्की भरपूर प्रयास कर रही हैं। काठमांडू पोस्ट के अनुसार, गुरुवार सुबह नौ बजे चीन की होउ यान्की प्रचंड के निवास पर पहुंचीं और करीब 50 मिनट तक बात की। बैठक में क्या चर्चा हुई, इसे लेकर विस्तृत जानकारी का अभी इंतजार है। नेपाल की राजनीति में उथलपुथल के बाद होउ ने कई नेताओं के संग बैठकें की हैं, जिनमें नेपाल की राष्ट्रपति बिद्या भंडारी, पीएम ओली, कम्‍युनिष्‍ट पार्टी के सीनियर नेता झालनाथ खनाल और माधव कुमार नेपाल शामिल रहे। 

विवाद नहीं सुलझे 

एनसीपी के प्रवक्ता नारायण काजी श्रेष्ठ का कहना है कि पार्टी नहीं टूटनी चाहिए, क्योंकि यह जनादेश के साथ विश्वासघात होगा। प्रचंड के प्रेस समन्वयक विष्णु सपकोटा ने बताया कि बुधवार को भी प्रधानमंत्री निवास पर दोनों नेताओं की दो घंटे बैठक चली, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। वे फिर मिलेंगे। पार्टी के एक नेता के मुताबिक, ओली पार्टी के निर्देशों का पालन करने और अपनी कार्यशैली बदलने के लिए तैयार हैं।

ओली का कहना है कि उन्हें जनादेश मिला है, इसलिए वह प्रधानमंत्री का पद नहीं छोड़ेंगे और पार्टी के भी वह निर्वाचित अध्यक्ष हैं। पार्टी के दोनों गुटों के बीच लंबे समय से चल रही तनातनी पिछले हफ्ते तब चरम पर पहुंच गई, जब ओली ने प्रचंड गुट पर यह आरोप लगा दिया कि वे भारत की मदद से उन्हें कुर्सी से हटाना चाहते हैं।इस सबके बीच नेपाल में चीनी राजदूत होउ यान्की एनसीपी के शीर्ष नेताओं से लगातार मिल रही हैं। इसे नेपाल के अंदरुनी राजनीतिक मामलों में बाहरी दखल के तौर पर देखा जा रहा है।

कुर्सी बचाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं पीएम ओली

पिछले दिनों पार्टी की स्थायी समिति की बैठक में प्रचंड ने कहा था कि पीएम केपी ओली खुद की कुर्सी बचाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। बैठक में प्रचंड ने आरोप लगाया कि ओली पीएम की कुर्सी को बचाने के लिए नेपाली सेना का सहारा ले रहे हैं। उन्होंने कहा था कि हमने सुना है कि पीएम ओली सत्ता में बने रहने के लिए पाकिस्तानी, अफगानी या बांग्लादेशी मॉडल को अपनाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन इस तरह के प्रयास नेपाल में सफल नहीं होंगे। इस बयान के बाद पीएम ओली सेना प्रमुख जनरल पूर्ण चंद्र थापा से मिले थे।

अध्यक्ष पद और पीएम पद में से ओली को कोई एक पद चुनना पड़ेगा

पार्टी की स्थायी समिति में प्रचंड ने साफ तौर पर कहा था कि पार्टी के अध्यक्ष पद और प्रधानमंत्री पद में से ओली को कोई एक पद चुनना पड़ेगा। सरकार और पार्टी के बीच समन्वय का अभाव है। वह एनसीपी द्वारा 'एक व्यक्ति एक पद की नीति' का पालन करने पर जोर दे रहे है। केपी शर्मा ओली सरकार जिस तरीके से कोविड-19 संकट से निपट रही है, वह दोनों नेताओं के बीच मतभेद का एक मुख्य मुद्दा है। अभी ओली प्रधानमंत्री के साथ एनसीपी के अध्यक्ष भी हैं। 


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