अब नाटो ने कहा, रूस के विपक्षी नेता अलेक्सी नवलनी को दिया गया नर्व एजेंट, रूस से मांगा जवाब
अब नाटो भी इस बात से सहमत है कि रूस के विपक्षी नेता को हत्या के इरादे से तेज जहर (नर्व एजेंट) दिया गया था। नाटो ने इस मामले में रूस से जवाब मांगने की बात कही है...
ब्रसेल्स, एपी। अब नाटो भी इस बात से सहमत है कि रूस के विपक्षी नेता (Alexei Navalny) को हत्या के इरादे से तेज जहर (नर्व एजेंट) दिया गया। नाटो महासचिव जेन्स स्टोल्टेनबर्ग (Jens Stoltenberg) ने शुक्रवार को रूस के विपक्षी राजनेता अलेक्सी नवलनी की हत्या के प्रयास की निंदा की। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय जांचकर्ताओं को जहरीले पदार्थ से संबंधित सवालों का रूस से जवाब मांगने को कहा है। बता दें कि क्रेमलिन के धुर आलोचक और भ्रष्टाचार जांचकर्ता नवलनी 20 अगस्त को मास्को लौटते समय विमान में बीमार हो गए थे।
अचेत अवस्था में रूस के विपक्षी राजनेता अलेक्सी नवलनी को साइबेरिया के ओम्स्क शहर के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बाद में उन्हें जर्मनी ले जाया गया। बर्लिन के एक अस्पताल में वह कोमा में हैं। जर्मनी के अधिकारियों ने कहा है कि जांच से पता चला है कि उन्हें केमिकल नर्व एजेंट नोविचोक दिया गया था। ब्रिटिश अधिकारी इससे पहले नोविचोक की पहचान जहर के रूप में कर चुके हैं। सोवियत काल के इस जहर का इस्तेमाल 2018 में इंग्लैंड में पूर्व रूसी जासूस सर्गेई स्कि्रपल और उसकी बेटी पर किया गया था।
बीते दिनों जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल ने कहा था कि रूस में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के कटु आलोचक विपक्षी नेता एलेक्सेई नवल्नी को मारने के लिए उन्हें नोवीचोक नाम का जहर दिया गया था। यह जहर स्नायु तंत्र को प्रभावित करता है। मर्केल ने यह भी कहा था कि उम्मीद है इस मुद्दे पर रूस खुद सफाई देगा। मर्केल ने यह भी बताया था कि जर्मनी नाटो के अपने सहयोगियों से इस मामले को लेकर बात करेगा कि क्या किया जाना चाहिए। अब नाटो का बयान सामने आने के बाद पश्चिमी देशों की रूस की तनातनी बढ़ने की आशंका बढ़ गई है।
उल्लेखनीय है कि रूस का राष्ट्रपति कार्यालय क्रेमलिन पहले ही उन आरोपों को खारिज कर चुका है जिसमें कहा गया था कि विपक्षी नेता एलेक्सेई नवलनी (44) को राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के इशारे पर जहर दिया गया था। रूसी सरकार ने बीते दिनों कहा था कि विपक्षी नेता का अभी इलाज चल रहा है और वह होश में नहीं आए हैं ऐसे में किसी तरह का दुष्प्रचार ठीक नहीं है। बीते दिनों ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने भी मामले की पारदर्शी जांच की मांग की थी।