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म्यांमार की नेता आंग सान सू की के खिलाफ सैन्‍य प्रशासन की ओर से लगाए गए भ्रष्टाचार के पांच अतिरिक्त आरोप

शांति का नोबेल पुरस्कार विजेता और म्यांमार की अपदस्थ नेता आंग सान सू की और अपदस्थ राष्ट्रपति विन मिंत के खिलाफ भ्रष्टाचार के पांच अतिरिक्त आरोप लगाए गए हैं। यदि इन आरोपों के तहत ये नेता दोषी पाए जाते हैं तो इन्‍हें अधिकतम 15 साल की जेल हो सकती है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Fri, 14 Jan 2022 05:40 PM (IST)Updated: Fri, 14 Jan 2022 05:50 PM (IST)
म्यांमार की नेता आंग सान सू की के खिलाफ सैन्‍य प्रशासन की ओर से लगाए गए भ्रष्टाचार के पांच अतिरिक्त आरोप
आंग सान सू की और अपदस्थ राष्ट्रपति विन मिंत के खिलाफ भ्रष्टाचार के पांच अतिरिक्त आरोप लगाए गए हैं।

बैंकाक, रायटर। शांति का नोबेल पुरस्कार विजेता और म्यांमार की अपदस्थ नेता आंग सान सू की और अपदस्थ राष्ट्रपति विन मिंत के खिलाफ भ्रष्टाचार के पांच अतिरिक्त आरोप लगाए गए हैं। यदि इन आरोपों के तहत ये नेता दोषी पाए जाते हैं तो इन्‍हें अधिकतम 15 साल की जेल हो सकती है। हाल ही में आंग सान सू की को म्यांमार की सैन्य अदालत ने चार साल जेल की सजा सुनाई थी। आंग सान सू की को सेना के खिलाफ असंतोष भड़काने, गैर लाइसेंसी वाकी-टाकी रखने और कोरोना वायरस के नियमों का उल्लंघन करने का जिम्मेदार ठहराया गया था।

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समाचार एजेंसी रायटर के अनुसार हाल में सुनाई गई सजा के बाद आंग सान सू की को छह साल की सजा काटनी है। आंग सान सू की पर अभी भी उन पर दर्जनों मामले लंबित हैं और उन सब पर सजा हुई तो उन्हें सौ साल से अधिक समय जेल में बिताना होगा। बीते दिनों म्यांमार की राजधानी स्थित कोर्ट रूम में सजा सुनाए जाने के दौरान 76 साल की सू की शांत नजर आईं थी। उन्होंने खुद पर लगाए गए सभी आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया था।

सैन्य सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया था कि सू की को धारा 505 (बी) के तहत दो साल की कैद और प्राकृतिक आपदा कानून के तहत दो साल की कैद की सजा सुनाई गई। सेना का कहना है कि सैन्य तख्तापलट के दिन उनके घर की तलाशी में छह अवैध आयातित वाकी-टाकी मिले थे। इसके लिए भी उन्हें दो साल की सजा सुनाई जा चुकी है। ये सजाएं साथ चलेंगी।

पूर्व राष्ट्रपति विन मिंत को भी इन्‍हीं आरोप में चार साल की जेल हो चुकी है। हालांकि जहां वो अभी रह रहे हैं, वहीं से अन्य आरोपों का सामना करेंगे।' सू की तभी से हिरासत में हैं, जब सेना ने एक फरवरी को देश में तख्तापलट कर दिया था। इसके बाद एक साल की इमरजेंसी लगाई गई और लोगों की चुनी हुई सरकार को गिरा दिया गया। सैन्य तख्तापलट के साथ ही देश में लोकतंत्र का अंत हो गया।

सेना ने सू की को हिरासत में लेने के बाद उन पर तमाम तरह के आरोप लगा दिए थे। उन पर आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम, भ्रष्टाचार और चुनावी धोखाधड़ी करने का आरोप लगा। अब तक सेना द्वारा राजधानी में गठित की गई विशेष अदालत की कार्यवाही से पत्रकारों को दूर रखा गया है। इससे पहले सू की के वकीलों पर मीडिया से बात करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। 


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