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म्यांमार सरकार के मंत्री ने आंग सान सू को दी गई सजा पर कहा, कानून से ऊपर कोई नहीं

म्यांमार की जन नेता आंग सान सू को अदालत ने सजा सुना दी है। अदालत के इस फैसले के बाद एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को कहा कि आंग सान सू को दी गई सजा से यह पता चलता है कि कोई भी कानून से ऊपर नहीं है।

By Ashisha RajputEdited By: Published: Tue, 07 Dec 2021 03:42 PM (IST)Updated: Tue, 07 Dec 2021 04:20 PM (IST)
म्यांमार सरकार के मंत्री ने आंग सान सू को दी गई सजा पर कहा, कानून से ऊपर कोई नहीं
म्यांमार सरकार के मंत्री ने सू की, को दी गई सजा पर कहा कानून से ऊपर कोई नहीं

नेपीडाव, रायटर। नोबेल विजेता एवं म्यांमार की जन नेता आंग सान सू की को दोषी करार दे दिया गया है। सू की, को सेना के खिलाफ प्राकृतिक आपदा कानून के तहत कोविड​​​​-19 प्रोटोकॉल के उल्लंघन और सेना के खिलाफ असंतोष प्रकट करने का आरोप सही पाया गया है, जिसके लिए सैन्य शासित म्यांमार की एक अदालत ने उन्हें 6 दिसंबर को जेल की सजा सुनाई। अदालत के इस फैसले के बाद म्यांमार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को कहा कि आंग सान सू की, को दी गई सजा से यह पता चलता है कि कोई भी कानून से ऊपर नहीं है और सेना प्रमुख ने केवल 'मानवता के आधार' पर उनकी सजा को कम कर दिया है।

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क्या कहा सूचना मंत्री मौंग ओहन ने

76 वर्षीय सू की, को दी गई सजा के बाद सूचना मंत्री मौंग मौंग ओहन का एक बयान सामने आया है। मौंग ओहन ने एक वर्चुअल ब्रीफिंग में कहा कि म्यांमार की न्यायिक प्रणाली निष्पक्ष थी और सोमवार को नोबेल पुरस्कार विजेता और पूर्व नेता की सजा कानून के अनुसार दी गई थी। आपको बता दें कि सू की, को कोरोना वायरस नियमों को उकसाने और भंग करने के लिए चार साल की जेल की सजा सुनाई गई थी, लेकिन बाद में सैन्य जुंटा नेताओं ने अपने वर्तमान स्थान के अधिकार का प्रयोग करते हुए उनकी दो साल की सजा को कम कर दिया।

नोबेल विजेता आंग सान सू की पर आरोप

म्यांमार में एक फरवरी के तख्तापलट में सेना द्वारा सत्ता पर कब्जा करने के बाद आंग सान सू की को सेना ने हिरासत में ले लिया था। राजनीतिक कैदियों के लिए सहायता संघ के निगरानी समूह के अनुसार यह बताया गया कि तख्तापलट के बाद जब लोगों में इसके इसके खिलाफ आवाज उठाई तो असंतोष पर कार्रवाई में 1,200 से अधिक लोग मारे गए हैं और 10,000 से अधिक गिरफ्तार किए गए हैं। सैन्य शासित म्यांमार की एक अदालत ने सू की, पर कोविड​​​​-19 प्रोटोकॉल के उल्लंघन और अन्य आरोपों सहित लगभग एक दर्जन मामले दर्ज हैं, उनपर भ्रष्टाचार, मतदान में धांधली और आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम के उल्लंघन का भी आरोप है।


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