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मोसाद की थी पाकिस्तानी परमाणु वैज्ञानिक की हत्या कराने की तैयारी, खुफिया एजेंसी के हिट-लिस्ट में थे एक्यू खान

इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद के पूर्व प्रमुख शबताई शावित की एक टीम पाकिस्तान के कुख्यात परमाणु वैज्ञानिक एक्यू खान की हत्या करने की तैयारी में थी। लेकिन समय रहते वह खान के परमाणु हथियारों की तकनीक को ईरान को देने की साजिश को भांप नहीं सके।

By TaniskEdited By: Published: Tue, 12 Oct 2021 08:40 PM (IST)Updated: Tue, 12 Oct 2021 08:40 PM (IST)
मोसाद की थी पाकिस्तानी परमाणु वैज्ञानिक की हत्या कराने की तैयारी, खुफिया एजेंसी के हिट-लिस्ट में थे एक्यू खान
मोसाद की थी एक्यू खान की हत्या कराने की तैयारी। (फोटो- एएनआइ)

यरुशलम, प्रेट्र। इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद के पूर्व प्रमुख शबताई शावित की एक टीम पाकिस्तान के कुख्यात परमाणु वैज्ञानिक एक्यू खान की हत्या करने की तैयारी में थी। लेकिन समय रहते वह खान के परमाणु हथियारों की तकनीक को ईरान को देने की साजिश को भांप नहीं सके। अन्यथा उन्हें पहले ही मार दिया गया होता। हारेत डेली के एक लेख में इजरायल के खोजी पत्रकार योसी मेलमन ने दावा किया कि कुछ ही दिन पहले कोरोना से मरने वाले पाकिस्तान के परमाणु वैज्ञानिक एक्यू खान की हत्या करने की तैयारी थी।

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चूंकि खान ने पाकिस्तान के बम की खुफिया जानकारी को चोरी-छिपे बेचा बल्कि ईरान को परमाणु हथियार बनाने में उसकी भरपूर मदद की। उन्होंने लीबिया के मुअम्मार गद्दाफी की भी परमाणु महत्वाकांक्षा पूरी करने में मदद की। खान ने ऐसा करके परमाणु निरस्त्रीकरण के अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क को असंतुलित कर दिया था। इसके चलते इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद एक्यू खान को मारना चाहती थी, लेकिन वह उससे पहले अपनी ही मौत मर गए।

षड्यंत्र को पूरी तरह से समझने में मोसाद कामयाब नहीं हुआ

85 साल की उम्र में एक्यू खान की मौत कोरोना से संक्रमित होने के चलते इस्लामाबाद के एक अस्पताल में हाल में हुई है। पाकिस्तान के परमाणु बम के निर्माता कहे जाने वाले खान दरअसल, ईरान के परमाणु बम के भी 'गाडफादर' हैं। इजरायली पत्रकार मेलमन ने अपने लेख में बताया कि मोसाद ने खान के पश्चिम एशिया की बार-बार की यात्राओं का हिसाब रखना शुरू कर दिया था। लेकिन उस समय उनके परमाणु प्रसार के षड्यंत्र को पूरी तरह से समझने में मोसाद कामयाब नहीं हो सका। उन्हें मोसाद के पूर्व प्रमुख शावित ने करीब डेढ़ दशक पहले बताया था कि मोसाद और इजरायली सैन्य खुफिया एजेंसी अमान ने एक्यू खान के इरादों को पूरी तरह से नहीं भांपा था।

इजरायल खुले तौर पर ईरान के परमाणु कार्यक्रम को खतरा मानता है

पत्रकार ने बताया कि इजरायल और ईरान के संबंधों के परिपेक्ष्य में इतिहास बदल सकता था, अगर मोसाद की टीम खान के इरादों को आंक कर उसे मरवा देती। इजरायल खुले तौर पर ईरान के परमाणु कार्यक्रम को अपने लिए बड़ा खतरा मानता है। वह इस इस्लामिक देश की परमाणु महत्वाकांक्षा के सभी विकल्पों को सिरे से खत्म करना चाहता है।

एकाएक रिटायरमेंट लिया

इजरायली पत्रकार ने बताया कि पाकिस्तान ने भले ही दुनिया की नजर में पहला परमाणु परीक्षण 1998 में किया हो, लेकिन वह उसके कुछ साल पहले ही परमाणु हथियार बना चुका था। एक्यू खान ने अपने देश की मदद करने के बाद एकाएक रिटायरमेंट ले लिया और असामान्य सा लगने वाला एक निजी कारोबार करने लगे।

मोसाद ने मोहसिन फाखरीजादेह की भी हत्या करा दी थी

तभी ईरान को खान से पाकिस्तान के परमाणु हथियार पी-1 और पी-2 की डिजाइन मिल गई। डा.मोहसिन फाखरीजादेह के नेतृत्व में ईरानी वैज्ञानिकों ने अपने परमाणु बम आइआर-1 और आइआर-2 बना लिए। बाद में मोसाद ने मोहसिन फाखरीजादेह की भी हत्या करा दी थी। लेकिन एक्यू खान के असली इरादे भांपने में मोसाद नाकामयाब रहा और उसे उनकी साजिशों की तब तक भनक नहीं लगी, जब तक कि लीबिया के नेता गद्दाफी ने उनकी पोल नहीं खोल दी।

लीबियाई नेता गद्दाफी ने सीआइए और एमआइ6 को बताई थी खान की असलियत

दरअसल, वर्ष 2003 में अमेरिका ने इराक पर हमला किया था और लीबिया के नेता गद्दाफी को लगा कि अब उन्हीं का नंबर है। इसलिए उन्होंने अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआइए और ब्रिटिश खुफिया एजेंसी एमआइ6 के साथ एक समझौता कर लिया। और उन्हें एक्यू खान के अवैध परमाणु नेटवर्क की पूरी जानकारी दे दी। उन्होंने यह भी बताया कि खान ने उनके देश के लिए परमाणु साइटें विकसित की हैं। इनमें से कुछ चिकन फार्म की आड़ में संचालित हो रही थीं।

मोसाद की हिट-लिस्ट में थे

इतनी बड़ी जानकारी हाथ लगने के बावजूद सीआइए और एमआइ6 ने इस खुफिया खबर को छिपाया और इसका विभागीयकरण कर दिया। इजरायली पत्रकार ने यह दावा किया कि मोसाद और इजरायली सैन्य खुफिया एजेंसी अमान को इस बात की जानकारी तब मिली जब उन्होंने दिसंबर, 2004 में बीबीसी पर इस संबंध में एक न्यूज रिपोर्ट देखी। खान के पाकिस्तान की परमाणु जानकारी को लीक करने के आरोप में तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ से माफी भी मिल गई थी। उन्हें पाकिस्तान सरकार ने केवल घर में नजरबंद रखा था। वह उन चुनिंदा वैज्ञानिकों में थे, जिन्होंने इजरायल के दुश्मन देशों के साथ बढ़-चढ़कर काम किया था और इसीलिए वह मोसाद की हिट-लिस्ट में थे।


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