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एनसीपी की चार घंटे चली बैठक में भी ओली-प्रचंड में नहीं बनी सहमति, आज फिर होगी वार्ता

45 सदस्यीय स्थायी समिति की बैठक से पहले एनसीपी ने केंद्रीय सचिवालय की यह बैठक दोनों शीर्ष नेताओं की सहमति से बुलाई थी।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Sat, 18 Jul 2020 10:36 PM (IST)Updated: Sun, 19 Jul 2020 03:04 AM (IST)
एनसीपी की चार घंटे चली बैठक में भी ओली-प्रचंड में नहीं बनी सहमति, आज फिर होगी वार्ता
एनसीपी की चार घंटे चली बैठक में भी ओली-प्रचंड में नहीं बनी सहमति, आज फिर होगी वार्ता

काठमांडू, प्रेट्र। नेपाल की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी (NCP) की नौ सदस्यीय केंद्रीय सचिवालय की शनिवार को चार घंटे चली मैराथन बैठक में भी प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' के बीच कोई सहमति नहीं बन सकी। केंद्रीय सचिवालय एनसीपी का फैसले लेने वाला सर्वोच्च निकाय है।

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पार्टी के वरिष्ठ नेता गणेश शाह ने बताया कि बैठक में पार्टी नेताओं ने रविवार को दोपहर तीन बजे होने वाली स्थायी समिति की अहम बैठक में पेश किए जाने वाले एजेंडे पर विचार विमर्श किया, लेकिन बैठक किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सकी। पार्टी के प्रवक्ता नारायणकाजी श्रेष्ठ ने बताया कि बैठक में वरिष्ठ नेताओं ने आपसी सहमति से मामलों को सुलझाने पर सहमति जताई। 45 सदस्यीय स्थायी समिति की बैठक से पहले एनसीपी ने केंद्रीय सचिवालय की यह बैठक दोनों शीर्ष नेताओं की सहमति से बुलाई थी। स्थायी समिति की बैठक रविवार तक इसलिए स्थगित की गई थी ताकि पार्टी में चल रहे संघर्ष को खत्म करने के लिए ओली और एनसीपी के कार्यकारी अध्यक्ष प्रचंड को वार्ता के लिए और समय मिल सके।

इस्तीफा देने से ओली ने किया इन्कार

पिछली बैठक में ओली ने प्रचंड गुट की मांग के मुताबिक इस्तीफा देने या एनसीपी का अध्यक्ष पद छोड़ने से इन्कार कर दिया था। स्थायी समिति के सदस्य शाह ने बताया कि रविवार को स्थायी समिति की बैठक में सीडब्लूसी बैठक की तारीख तय होने की संभावना है। अब उसी बैठक में प्रधानमंत्री ओली के भविष्य का फैसला होगा।

बेतुकी बयानबाजी कर रहे हैं केपी शर्मा ओली

लगातार बेतुकी बयानबाजी से नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली अपने ही देश में घिरते जा रहे हैं। भागवान राम को नेपाल का बताने पर विपक्षी पार्टी नेपली कांग्रेस ने ओली की कड़ी आलोचना की है। पार्टी की तरफ से कहा गया है कि ओली ने देश पर शासन करने के लिए नैतिक और राजनीतिक आधार खो दिया है।


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