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अब से मॉरीशस का सबसे बड़ा साइबर टावर कहलाएगा 'अटल बिहारी वाजपेयी टावर'

मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद कुमार जगन्नाथ ने ऐलान किया है कि वहां के सबसे बड़े साइबर टावर को अब अटल बिहारी वाजपेयी टावर के नाम से जाना जाएगा।

By Nancy BajpaiEdited By: Published: Sat, 18 Aug 2018 01:40 PM (IST)Updated: Sat, 18 Aug 2018 02:22 PM (IST)
अब से मॉरीशस का सबसे बड़ा साइबर टावर कहलाएगा 'अटल बिहारी वाजपेयी टावर'
अब से मॉरीशस का सबसे बड़ा साइबर टावर कहलाएगा 'अटल बिहारी वाजपेयी टावर'

पोर्ट लुई (एएनआइ)। भारत रत्न और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी एक ऐसे महान राजनेता, पत्रकार व कवि थे, जिनके निधन से न केवल देशवासियों की आंखों में आंसू नजर आए, बल्कि नेपाल, भूटान, बांग्लादेश समेत दुनिया के कई देश उनके जाने से दुखी हैं। मॉरीशस ने तो अटली जी के सम्मान में शुक्रवार को अपने राष्ट्रीय ध्वज को आधे झुकाए रखा। अब मॉरीशस सरकार ने अटल जी के सम्मान में एक और बड़ा फैसला लिया है। मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद कुमार जगन्नाथ ने ऐलान किया है कि वहां (मॉरीशस) के सबसे बड़े साइबर टावर को अब 'अटल बिहारी वाजपेयी टावर' के नाम से जाना जाएगा।

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विश्व हिंदी सम्मेलन में अटल जी को दी गई श्रद्धांजलि

मॉरीशस की राजधानी पोर्ट लुई में 11वें विश्व हिंदी सम्मेलन शनिवार से शुरू हो गया है। प्रधानमंत्री प्रविंद कुमार ने इसी कार्यक्रम में कहा कि अब से साइबर टावर को 'अटल बिहारी वाजपेयी टावर' के नाम से जाना जाएगा। कार्यक्रम में पहले तो अटल जी को श्रद्धाजंलि अर्पित कर उन्हें याद किया गया। बता दें कि इस सम्मेलन का आयोजन हिंदी भाषा का विश्व स्तर प्रचार करने और समय के अनुसार हिंदी भाषा के विकास में योगदान देने के लिए किया जाता है।

मॉरीशस के पीएम ने वाजपेयी के निधन पर जताया शोक

16 अगस्त को शाम करीब 5.05 मिनट पर अटल बिहारी वाजपेयी की दिल्ली के एम्स अस्पताल में निधन हो गया। कई देशों के चेहेते अटल जी के निधन की दुखद खबर से हर कोई स्तंभ रह गया। मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रवीण कुमार जगन्नाथ भी उनके से एक हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को एक पत्र लिखकर वाजपेयी के निधन पर शोक जताया और दिवंगत नेता को श्रद्धांजलि अर्पित की।

गौरतलब है कि जब मॉरीशस 11वें विश्व हिंदी सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है। इस मौके पर देश के प्रधानमंत्री जगन्नाथ ने अटल जी को याद करते हुए कहा कि वे हिंदी भाषा में वाजपेयी की महारत को याद कर रहे हैं, जो उनके भाषणों और कविताओं में बखूबी जाहिर हुई हैं। वह एकता, इतिहास को जोड़ने के साधन, साझा मूल्यों और साझा संस्कृति के प्रतीक के तौर पर हिंदी की शक्ति में पूरा यकीन रखते थे।


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