मालदीव ने चीन के दावों को किया खारिज, कहा- हिंद महासागर क्षेत्र विकास सहयोग मंच की बैठक में नहीं लिया भाग
मालदीव के विदेश मंत्रालय ने रविवार को 21 नवंबर को चीन में आयोजित चीन-हिंद महासागर क्षेत्र विकास सहयोग मंच में शामिल होने के दावों को खारिज कर दिया। मालूम हो कि चीन ने हाल ही में हिंद महासागर क्षेत्र के 19 देशों के साथ बैठक की थी।
माले, एएनआइ। मालदीव के विदेश मंत्रालय ने रविवार को 21 नवंबर को चीन में आयोजित चीन-हिंद महासागर क्षेत्र विकास सहयोग मंच (China-Indian Ocean Region Forum) में शामिल होने के दावों को खारिज कर दिया। मालूम हो कि चीन ने हाल ही में हिंद महासागर क्षेत्र के 19 देशों के साथ बैठक की थी। बैठक के बाद चाइना इंटरनेशनल डेवलपमेंट कोआपरेशन एजेंसी (CIDCA) द्वारा एक प्रेस विज्ञप्ति जारी किया गया था, जिसमें मालदीव को भी बैठक में शमिल होने की बात कही गई थी।
फोरम में बैठक के दावों को मालदीव ने किया खारिज
मालदीव के विदेश मंत्रालय जारी विज्ञप्ति के मुताबिक, 'मालदीप ने चीन-हिंद महासागर क्षेत्र विकास सहयोग मंच में भाग नहीं लिया था। देश ने इस संबंध में पीपुल्स रिपब्लिक आफ चाइना के दूतावास को इस बैठक में भाग नहीं लेने के अपने निर्णय से अवगत करा दिया था।' मालूम हो कि CIDCA द्वारा एक संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति जारी की गई थी, जिसमें कहा गया था 21 नवंबर 2022 को आयोजित चीन-हिंद महासागर क्षेत्र विकास सहयोग मंच में मलदीव शामिल था।
संगठन ने संयुक्त बयान जारी कर दी थी जानकारी
संगठन द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया था कि युन्नान प्रांत के कुनमिंग में ब्लू इकोनामी के परिप्रेक्ष्य में साझा विकास सिद्धांत और व्यवहार के विषय के तहत चीन-हिंद महासागर क्षेत्र विकास सहयोग मंच का आयोजन हुआ था, जिसमें इंडोनेशिया, पाकिस्तान, म्यांमार, श्रीलंका, बांग्लादेश, मालदीव, नेपाल, अफगानिस्तान, ईरान, ओमान, दक्षिण अफ्रीका, केन्या, मोजाम्बिक, तंजानिया, सेशेल्स, मेडागास्कर, मारीशस, जिबूती, आस्ट्रेलिया सहित 19 देशों के प्रतिनिधि और तीन अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हुए थे।
मालूम हो कि मालदीव गणराज्य के संविधान के अनुच्छेद 115 (जे) के तहत सिर्फ सेवारत राष्ट्रपति ही देश की विदेश नीति का निर्धारण, संचालन और निरीक्षण कर सकते हैं। इसके अलावा वह और विदेशी राष्ट्रों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ राजनीतिक संबंधों का संचालन कर सकते हैं। फोर्ब्स के मुताबिक, श्रीलंका, पाकिस्तान और मालदीव चीन के सबसे बड़े कर्जदारों में से हैं। पाकिस्तान पर चीन का 77.3 अरब डॉलर का बाहरी कर्ज बकाया है।
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