मालदीव में राजनीतिक संकट जारी, प्रदर्शनकारी बोले- न्यायपालिका को धमकाना बंद करे सरकार
राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश को मानने से इंकार कर दिया था। इसको लेकर मालदीव में राजनीतिक संकट पैदा हो गया।
माले, एएनआइ। मालदीव में जारी राजनीतिक उठा-पटक के बीच लोगों का प्रदर्शन जारी है। प्रदर्शनकारियों ने मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) के कैंपेन सेंटर के बाहर एकत्रित होकर राजनीतिक कैदियों की रिहाई से जुड़े सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लागू करने की मांग कर रहे हैं।
आपको बता दें कि राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश को मानने से इंकार कर दिया था। इसको लेकर मालदीव में राजनीतिक संकट पैदा हो गया। सुप्रीम कोर्ट और सरकार के बीच सीधे टकराव को लोकतंत्र के लिए खतरा बताया गया। लाखों लोग विरोध में सड़कों पर उतर आए। हालांकि राजनीतिक संकट गहराता देख सुप्रीम कोर्ट ने यू-टर्न ले लिया है और अपने आदेश को फिलहाल रद्द कर दिया है।
प्रदर्शनकारियों ने सरकार से न्यायपालिका को धमकाना बंद करने और राजनीतिक कैदियों को रिहा करने का आह्वान किया। इस वक्त मालदीव में आपातकाल लगा हुआ है। पूर्व राष्ट्रपति मोमून अब्दुल गयूम को भी गिरफ्तार कर लिया गया है। वह अब्दुल्ला यामीन को राष्ट्रपति पद से हटाए जाने के लिए अभियान चला रहे थे। देश के चीफ जस्टिस अब्दुल्ला सईद और सुप्रीम कोर्ट के एक अन्य जज को भी गिरफ्तार कर लिया गया था।
पूर्व राष्ट्रपति नशीद ने भारत से मांगी मदद
पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने सीधे तौर पर भारत से न सिर्फ सहयोग मांगा है, बल्कि सैन्य हस्तक्षेप की भी मांग की है। नशीद ने ट्विट कर कहा है, मैं मालदीव के नागरिकों की तरफ से बेहद नम्रता से यह आग्रह करता हूं कि भारत अपनी सैन्य मदद के साथ अपने राजदूत भेजे ताकि यहां बंदी बनाए गए मोहम्मद अब्दुल गयूम समेत राजनीतिक हस्तियों, न्यायाधीशों को मुक्त करवाया जा सके। हम किसी की उपस्थिति का आग्रह करते हैं।
भारत ने जारी की चेतावनी
मालदीव में जारी आपातकाल को देखते हुए विदेश मंत्रालय ने देश के नागरिकों को सलाह दिया है कि वे मालदीव की अनावश्यक यात्रा पर न जाएं और मौजूदा हालात को देखते हुए प्रवासियों को भी अलर्ट किया है।
बाह्य हस्तक्षेप के खिलाफ चीन
मालदीव में जारी राजनीतिक संकट पर चीन ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। चीन ने बुधवार को कहा कि वह मालदीव संकट को लेकर किसी भी बाहरी दखल के खिलाफ है। माना जा रहा है कि चीन ने यह बयान भारत को ध्यान में रखते हुए दिया है, क्योंकि मालदीव के विपक्ष के नेता ने अपने देश में लोकतंत्र को बनाए रखने के लिए भारत से इस मामले में हस्तक्षेप करने को कहा है।