अस्पताल से छुट्टी मिलने के कई हफ्तों बाद भी फेफड़ों और हृदय को नुकसान पहुंचा रहा कोरोना
वैज्ञानिकों ने पाया है कि अस्पताल से छुट्टी मिलने के कई हफ्तों बाद भी लोगों में फेफड़ों और हृदय को कोरोना से क्षति पहुंचने का खतरा बना रहता है।
लंदन, आइएएनएस। कोरोना वायरस (कोविड-19) से उबरने वाले लोगों की सेहत पर इस घातक वायरस का दीर्घकालीन असर पाया जा रहा है। शोधकर्ताओं का कहना है कि अस्पताल से छुट्टी मिलने के कई हफ्तों बाद भी लोगों में फेफड़ों और हृदय को कोरोना से क्षति पहुंचने का खतरा बना रहता है। हालांकि अच्छी बात यह है कि ये अंग वक्त के साथ खुद ही दुरुस्त भी हो जाते हैं। इससे जाहिर होता है कि इन अंगों में ऐसा कोई तंत्र है जो खुद को अपने आप ही ठीक कर लेता है।
यूरोपीय रेस्परटोरी सोसाइटी इंटरनेशनल कांग्रेस में पेश किए गए इस अध्ययन के अनुसार, यह निष्कर्ष आस्टि्रया के एक अस्पताल में भर्ती रहे 86 कोरोना रोगियों पर किए गए एक शोध के आधार पर निकाला गया है। इससे पता चलता है कि कोरोना रोगी फेफड़ों और हृदय को पहुंचे नुकसान से लंबे समय तक जूझ सकते हैं। लेकिन कई रोगियों में इससे उबरने की प्रवृत्ति भी पाई गई है।
इन रोगियों को अस्पताल से छुट्टी मिलने के छह, 12 और 24 हफ्ते बाद जांच के लिए बुलाया गया था। अस्पताल से छुट्टी मिलने के छह हफ्ते बाद इनमें से आधे से ज्यादा रोगियों में सांस फूलने की समस्या पाई गई। जबकि सीटी स्कैन में 88 फीसद रोगियों में फेफड़ों को नुकसान पाया गया। आस्टि्रया की यूनिवर्सिटी क्लीनिक के शोधकर्ताओं ने कहा, 'अध्ययन के नतीजों से जाहिर होता है कि कोरोना से गंभीर रूप से संक्रमित रहने वाले लोगों की देखभाल बाद में भी करना महत्वपूर्ण है।'
वैसे कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए दुनिया के कई देशों में वैक्सीन तैयार की जा रही है। मौजूदा वक्त में दुनियाभर में करीब 170 टीकों पर काम चल रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक, इनमें 30 वैक्सीन का ट्रायल अपने आखिरी चरण में पहुंच गया है। बावजूद इसके विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ का मानना है कि कोविड-19 से बचाव के लिए वैक्सीन की पर्याप्त उपलब्धता अगले साल (2021) के मध्य तक ही संभव हो पाएगी।