अगली सदी तक पर्यावरणीय अनुकूलन की जरूरत वाले जीव हो जाएंगे विलुप्त
ग्लोबल वार्मिंग को देखते हुए वैज्ञानिकों का कहना है कि अगली सदी तक धरती पर सिर्फ छोटे जानवर ही रह पाएंगे। दुनिया उन्हीं की होगी।
By VinayEdited By: Published: Sun, 26 May 2019 07:23 PM (IST)Updated: Sun, 26 May 2019 07:23 PM (IST)
लंदन, एजेंसी। विश्व में जिस तरह से ग्लोबल वार्मिग हो रही है उसको देखते हुए अब आने वाले कुछ दशकों में दुनिया में सिर्फ छोटे जानवर ही बचेंगे। एक समय ऐसा आ जाएगा जब छोटे पक्षी और स्तनधारी जो विभिन्न प्रकार के माहौल में पनप सकते हैं उनके अगले १०० सालों में विलुप्त होने से बचने की अधिक संभावना है। वैज्ञानिकों का कहना है कि अगली सदी तक दुनिया में सिर्फ छोटे जानवर ही बचेंगे।
ब्रिटेन की साउथैंप्टन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने अगली शताब्दी में ऐसे छोटे जंतुओं के ही बचने की संभावना जताई है। उन्होंने बताया कि भविष्य में छोटे, अधिक तेज, जिनकी आबादी तेज बढ़ती हो, कीड़े खाने वाले और विभिन्न प्रकार के निवासों में पनपने वाले जीव-जंतु ही रह सकते हैं। इन जीवों में चूहे, गौरैया आदि शामिल हैं।
इसके अलावा ऐसे जीव जिनकी आबादी धीरे-धीरे बढ़ती है, मौसम के हिसाब से न ढल पाने वाले विलुप्त हो जाएंगे, क्योंकि उन्हें जीवित रहने के लिए एक विशेष पर्यावरणीय अनुकूलन की जरूरत होती है जो आने वाले 100 सालों में बदल जाएगा। इन जीवों में भूरे गिद्ध, काले गैंडे आदि हैं। नेचर जर्नल में इस अध्ययन को प्रकाशित किया गया है। इसमें बताया गया कि औसत शरीर द्रव्यमान वाले जीवों में भी अगली शताब्दी तक 25 फीसद की कमी आएगी।
यह अध्ययन 130,000 साल पहले से लेकर आज तक प्रजातियों में देखे गए शारीरिक गिरावट पर आधारित है। विभिन्न प्रकार की प्रजातियों के आकार में 14 प्रतिशत की गिरावट आई है।
साउथैंप्टन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता रोब कुक ने बताया कि पक्षियों और स्तनधारियों के लिए अब तक का सबसे बड़ा खतरा मनुष्य है। उनके निवास मनुष्य के प्रभावों की वजह से नष्ट हो रहे हैं। इनमें प्रमुख वनों की कटाई, शिकार, गहन खेती, शहरीकरण और ग्लोबल वार्मिग आदि हैं। प्रजातियों का घटता आकार पारिस्थितिकी की दीर्घकालिक स्थिरता पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। जानवर और पक्षी हमारे पारिस्थितिकी तंत्र के भीतर अद्वितीय कार्य करते हैं।
इस तरह किया अध्ययन:
साउथैंप्टन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं की टीम ने 15,484 स्तनधारियों और पक्षियों पर अध्ययन किया। शोधकर्ताओं ने इन जीवों की पांच विशेषताओं पर विचार किया जो प्रकृति में प्रत्येक प्रजाति की भूमिका से संबंधित है। जैसे- शरीर का द्रव्यमान, प्रजनन क्षमता, निवास स्थान का क्षेत्र, आहार और पीढि़यों के बीच का समय। इसके बाद शोधकर्ताओं ने इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेजर (आइयूसीएन) की उस रेड लिस्ट का इस्तेमाल किया, जिसमें कुछ जानवरों के अगली शताब्दी तक विलुप्त होने की संभावना है। इसके बाद शोधकर्ताओं ने अध्ययन किया। इतने शोध के बाद ये रिपोर्ट प्रकाशित की है।
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