Lipulekh issue: भारतीय सेनाप्रमुख जनरल नरवाने के बयान पर नेपाल के रक्षामंत्री ने आपत्ति जताई
लिपुलेख मुद्दे को लेकर भारतीय सेनाप्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवाने के बयान पर नेपाल के रक्षामंत्री ईशवर पोखरेल ने आपत्ति जताई है।
काठमांडू, एएनआइ। लिपुलेख मुद्दे को लेकर भारतीय सेनाप्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवाने के बयान पर नेपाल के रक्षामंत्री ईशवर पोखरेल ने आपत्ति जताई है। जनरल नरवाने ने कहा था कि नेपाल ने उत्तराखंड में लिपुलेख दर्रे को जोड़ने वाली सड़क निर्माण के मामले में किसी और के इशारे पर आपत्ति जताई थी। इस बात के पर्याप्त सबूत हैं। उनके इस बयान पर आपत्ति जताते हुए नेपाल के रक्षामंत्री ने कहा कि यह कथन देश के इतिहास का अपमान है और यह बात बोलते हुए सामाजिक विशिष्टता और स्वतंत्रता की अनदेखी की गई।
नेपाल के रक्षामंत्री ने सेनाप्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवाने के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह नेपाल के इतिहास की सामाजिक विशिष्टता और स्वतंत्रता की अनदेखी करके दिया गया अपमानजनक बयान है। इससे नेपाली गोरखा सेना के जवानों की भावनाओं को भी आहत पहुंची होगी, जो भारत की रक्षा के लिए अपना जिंदगी कुर्बान कर देते हैं। नेपाल के रक्षामंत्री ने यह बात वहां के एक अखबार राइजिंग नेपाल को दिए इंटरव्यू में कही।
थिंक टैंक द्वारा आयोजित वेबिनार में जनरल नरवाने ने दिया था बयान
नेपाल द्वारा उत्तराखंड में लिपुलेख दर्रे को जोड़ने वाली सड़क निर्माण को लेकर आपत्ति जताने के मामले में 15 मई को एक थिंक टैंक द्वारा आयोजित वेबिनार में जनरल नरवाने ने बगैर चीन का नाम लिए कहा था कि नेपाल ने ऐसा किसी और के इशारे पर किया था। इस बात को मानने की पर्याप्त कारण थे। सीमा सड़क संगठन (BRO) द्वारा निर्मित सड़क काली नदी के पश्चिम में है। इसलिए उन्हें नहीं पता कि वे किस बात को लेकर आपत्ति कर रहे हैं।
भारत ने स्पष्ट किया नई सड़क पर कोई विवाद नहीं
भारत ने यह स्पष्ट कर दिया था कि लिपुलेख दर्रे को चीन में कैलाश मानसरोवर मार्ग से जोड़ने के लिए उत्तराखंड में बनी नई सड़क पर कोई विवाद नहीं है। लेकिन नेपाल ने इसका विरोध किया था और इलाके के पास सुरक्षा चौकी भी तैनात कर दी थी।
नेपाली प्रधानमंत्री ने भी सेना प्रमुख के बयान पर आपत्ति जताई थी
रक्षामंत्री ने आगे कहा कि नेपाल के एक करीबी और मैत्रीपूर्ण देश के रूप में भारत को सकारात्मक प्रतिक्रिया देनी चाहिए। हम एक बातचीत में स्पष्ट शब्दों में सब कुछ सामने रखेंगे। यह संवाद तथ्यों और साक्ष्यों के आधार पर होगा। पिछले हफ्ते, नेपाली प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने भी सेना प्रमुख के बयान पर आपत्ति जताई थी। उन्होंने कहा था कि दो पड़ोसी देशों के बीच सीमा मुद्दों पर सेना का बोलना अनुचित है।