COVID-19 : बेरोजगार युवक बन रहे हैं 'जिहादी', महामारी के संकट का फायदा उठा रहे आतंकी गुट
लंबे समय से जिहादी ग्रुप में यह परंपरा रही है कि संकट के हालात में ये अपने आतंकी गतिविधियों को तेज कर देते हैं विशेषकर अफगानिस्तान-पाकिस्तान क्षेत्र में
ब्रुसेल्स/एमस्टर्डम (बेल्जियम)। पाकिस्तानी आतंकी संगठनों को लेकर पश्चिमी आतंकरोधी विशेषज्ञों ने सोमवार को चेताया है। इनका कहना है कि पाकिस्तान के लश्कर-ए-तैयबा (LeT), जैश-ए-मोहम्मद (JeM) व हिजबुल मुजाहिद्दीन (HM) समेत अन्य आतंकी समूह COVID -19 के कारण दुनिया भर में उत्पन्न संकट के हालात का फायदा उठा रहे हैं और नए जिहादी बनाने की जुगत में लगे हैं। ब्रुसेल्स का थिंक टैंक साउथ एशिया डेमोक्रेटिक फ्रंट के निदेशक डॉक्टर सिगफ्रीड वोल्फ ( Dr Siegfried Wolf) ने कहा, ‘लंबे समय से जिहादी ग्रुप में यह परंपरा रही है कि संकट के हालात में ये अपने आतंकी गतिविधियों को तेज कर देते हैं विशेषकर अफगानिस्तान-पाकिस्तान क्षेत्र में।’ उन्होंने कहा, 'आतंकी संगठनों के लिए ऐसे बेरोजगार युवक आसान शिकार हैं। इन मुश्किल हालात में जब ये निवालों के लिए तरस रहे हैं तो मात्र खाना और कुछ पैसे देकर अपने जिहादी ग्रुप में शामिल किया जा सकता है। उन्होंने आगे बताया कि पहले से ही कोविड-19 का संकट हमारे सामने मुंह बाए खड़ा है दूसरी ओर आतंकवादी भी इसका फायदा उठाने की जुगत में हैं। इसलिए हमें सतर्क रहने की जरूरत है क्योंकि आतंकवादी इस हालात को और अधिक भयावह बना सकते हैं।'
वोल्फ ने एएनआइ से बताया, ‘पाकिस्तान में जिहादियों ने सोशल डिस्टेंसिंग और लॉकडाउन के नियमों का उल्लंघन कर इस संकट का इस्तेमाल वहां की सरकार को दबाने में किया है।’ इस संकट के हालात का सामना करने और इसके नियंत्रण में एक बार फिर पाकिस्तान का प्रशासन विफल नजर आ रहा है सबसे दुर्भाग्य की बात यहां के राजनीतिक हालात को लेकर दिखता है। पाकिस्तान विभिन्न इस्लामिक जिहादी गुटों जैसे लश्कर-ए तैयबा, हक्कानी नेटवर्क (Haqqani Network), तालिबान ( Taliban), जैश-ए मोहम्मद व अन्य का पनाहगाह है। देश निकाले के बाद से फ्रांस में पनाह लेने वाले पाकिस्तान के पत्रकार ताहा सिद्दकी ( Taha Siddiqui) ने बताया, ‘महामारी के दौरान गलत जानकारियों की महामारी (infodemic) भी है जिसका एक उदाहरण यह है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में दुनिया महामारी से निपटने के लिए रास्ते का तलाश रही है साथ ही आर्थिक प्रभाव पर भी चर्चा की जा रही लेकिन इसके अलावा आतंकवाद के खात्मे पर भी ध्यान देने की जरूरत है।