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जानिए सऊदी अरब ने कोरोना से घाटे को पूरा करने के लिए किस-किस तरह के कदम उठाए

लॉकडाउन के दौरान तेल की कीमतें भी काफी गिर गई जिसकी वजह से सऊदी अरब को नुकसान हुआ है। इसकी भरपाई के लिए अब वहां वैट बढ़ा दिया गया है और एलाउंस रोक दिया गया है।

By Vinay TiwariEdited By: Published: Mon, 11 May 2020 01:26 PM (IST)Updated: Mon, 11 May 2020 05:38 PM (IST)
जानिए सऊदी अरब ने कोरोना से घाटे को पूरा करने के लिए किस-किस तरह के कदम उठाए
जानिए सऊदी अरब ने कोरोना से घाटे को पूरा करने के लिए किस-किस तरह के कदम उठाए

नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। कोरोना वायरस के संक्रमण से पूरी दुनिया परेशान है। इस दौरान देशों की अर्थव्यवस्था भी बुरी तरह से प्रभावित हुई है कोई भी ऐसा देश नहीं है जिसकी अर्थव्यवस्था डगमगा न गई हो। जिन देशों ने लॉकडाउन के लिए पहले कदम उठा लिया और वहां अभी तक लॉकडाउन लागू है उनको अधिक नुकसान हुआ है जिन देशों ने देर से लॉकडाउन किया उनके यहां मौतों का आंकड़ा बढ़ा है।

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अब तमाम देश कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से प्रभावित हुई अपने देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए तमाम तरह के उपाय कर रहे हैं। इसी कड़ी में सऊदी अरब ने वैल्यू एडेड टैक्स (VAT) को तीन गुना बढ़ाने का फैसला लिया है। सबसे अधिक प्रभावित अमेरिका ने जल्द लॉकडाउन खोलने का फैसला लिया है जिससे अर्थव्यवस्था में सुधार हो सके।

कॉस्ट ऑफ लिविंग अलाउंस भी रोक 

सऊदी अरब ने वैल्यू एडेड टैक्स बढ़ाने के साथ ही सरकारी कर्मचारियों को मिलने वाला कॉस्ट ऑफ लिविंग अलाउंस (CLA) भी रोक दिया है ताकि वित्तीय घाटे को कम किया जा सके। दरअसल लॉकडाउन की वजह से तेल की कीमतें गिर गई हैं जिसके कारण सऊदी अरब को काफी नुकसान हुआ है। सऊदी अरब ने दो साल पहले ही वैट लागू किया था। इसे लागू करने के पीछे सऊदी अरब की मंशा थी कि दुनियाभर के कच्चे तेल के बाजारों पर अपनी निर्भरता को कम करे। 

5 से 15 फीसद हुआ वैट 

सऊदी की सरकारी न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक वैट की दर पांच फीसद से बढ़ाकर 15 फीसद कर दी गई है। अब ये नई टैक्स दरें एक जुलाई से लागू भी हो जाएंगी। कोरोना वायरस ने सऊदी अरब को इस तरह से तेल की कीमतें गिर जाने की वजह से नुकसान पहुंचाया है। इस बारे में सऊदी अरब के वित्त मंत्री मोहम्मद अल जदान ने एक बयान में कहा कि ये बदलाव कष्ट देने वाले हैं लेकिन लंबे समय के लिहाज से देखें तो वित्तीय और आर्थिक स्थिरता के लिए बेहद जरूरी हैं, जिससे हम कोरोना वायरस संकट की विषम परिस्थिति से पैदा हुए हालात से कम से कम नुकसान के साथ उबर पाएंगे।

तेल ने डुबोई अर्थव्यवस्था, बजट घाटा 9 अरब डॉलर पर पहुंचा 

ये घोषणा वित्त मंत्री ने तब की है जब सरकारी खर्च आमदनी से ज्यादा हो गया है और साल के पहले तीन महीनों में ही देश का बजट घाटा 9 अरब डॉलर हो गया। इसके पीछे बड़ी वजह कच्चे तेल की कीमतों का गिरना भी है। पहली तिमाही में तेल की कीमतें गिरीं और उसका असर सऊदी की अर्थव्यवस्था पर हुआ। तेल कीमतें गिरने से सऊदी अरब के राजस्व में 22 फीसद की गिरावट आई।

मार्च के महीने में सऊदी के सेंट्रल बैंक ने विदेशों में जमा पूंजी में भी सबसे तेज गिरावट देखी। दो दशक में सऊदी अरब ने विदेशी जमा पूंजी में इतनी बड़ी गिरावट इससे पहले कभी नहीं देखी थी। साल 2011 के बाद यह पहला मौका है जब करंसी का हाल ऐसा हुआ है। 

कोरोना संकट से निपटने के लिए बनाए गए नियम 

क्राउन प्रिंस का मानना है कि कोरोना संकट की वजह से पैदा हुए हालात से निपटने के लिए जो नए नियम बनाए गए हैं उनसे विकास दर धीमी होगी लेकिन यह उम्मीद भी जताई जा रही है कि आर्थिक सुधार के लिए कदम उठाए गए थे उन्हें बड़े स्तर पर लागू किया जाएगा। बीते साल सऊदी अरब ने सरकारी तेल कंपनी अरामको के शेयर में सार्वजनिक भागीदारी की योजना के जरिए 25.6 अरब डॉलर जुटाए थे।

तेल कंपनी के शेयर बेचने का प्लान क्राउन प्रिंस की उस योजना का प्रमुख हिस्सा था जिसके जरिए वो देश की अर्थव्यवस्था को और भी आधुनिक बनाना चाहते हैं और सिर्फ तेल पर देश की निर्भरता कम करना चाहते हैं। जिस कोरोना वायरस के कहर से दुनिया परेशान है, सऊदी अरब में उस कोरोना वायरस संक्रमण के फिलहाल 40 हजार मामले दर्ज हैं।

तेल से हटकर टूरिज्म को बढ़ावा देना चाहते हैं प्रिंस 

अभी तक सऊदी अरब को सिर्फ तेल के लिए ही जाना जाता है। क्राउन प्रिंस अब इस मिथक को तोड़ना चाहते हैं वो चाहते हैं कि देश तेल से हटकर किसी और चीज में भी अपने को मजबूत करे। इसी को ध्यान में रखते हुए उन्होंने सऊदी अरामको कंपनी के शेयर सार्वजनिक भी किए थे। इससे काफी बड़ी मात्रा में पैसे भी आए थे। वो चाहते हैं कि अब तेल से हटकर टूरिज्म को भी बढ़ावा दिया जाए।

इसके लिए वहां बड़े पैमाने पर काम भी हो रहा है। तेल से तो सऊदी अरब को पहले ही पैसे मिल रहे हैं यदि वो अपने यहां टूरिज्म सेक्टर को बढ़ाने में कामयाब हो गए तो आर्थिक हालात और भी मजबूत हो जाएंगे। यही सोचकर फिलहाल वैट को बढ़ाया गया है और सीएलए रोक दिया गया है। जिससे घाटे की भरपाई हो सके।  


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