4 बिंदुओं में जानें तालिबानी कब्जे के बाद काबुल का हाल, क्या है अफगानिस्तान की प्रमुख चुनौती ?
आखिर तालिबान हुकूमत में क्या कुछ बदलाव आया है। सत्ता में आने के पूर्व तालिबान ने कई वादे किए थे। सवाल यह है कि क्या तालिबान ने अपने वादों को पूरा किया। क्या तालिबान हुकूमत को मान्यता मिल सकी। तालिबान शासन में अफगानिस्तान का आर्थिक तानाबाना क्या है।
नई दिल्ली, जेएनएन। अफगानिस्तान में तालिबान हुकूमत के करीब तीन महीने से ज्यादा का वक्त गुजर चुका है। तीन महीने में अफगानिस्तान में बहुत कुछ बदल चुका है। राष्ट्रपति अशरफ गनी की अगुवाई में चलने वाली सरकार की जगह तालिबान की अंतरिम सरकार ले चुकी है। आइए जानते हैं कि आखिर तालिबान हुकूमत में क्या कुछ बदलाव आया है। सत्ता में आने के पूर्व तालिबान ने कई वादे किए थे। सवाल यह है कि क्या तालिबान ने अपने वादों को पूरा किया ? क्या तालिबान हुकूमत को मान्यता मिल सकी? तालिबान शासन में अफगानिस्तान का आर्थिक तानाबाना क्या है ?
1- अधर में लटकी तालिबान की मान्यता
अफगानिस्तान में दुनिया के किसी देश ने तालिबान शासन को मान्यता नहीं दी है। हालांकि, अमेरिकी सैनिकों के जाने के बाद पाकिस्तान की तालिबान शासन के प्रति दिलचस्पी को देखते हुए यह उम्मीद की जा रही थी कि पाकिस्तान और चीन तालिबान सरकार को मान्यता देंगे, लेकिन अमेरिकी झिड़की के बाद वह तालिबान शासन को मान्यता नहीं दे सका। चीन, रूस और अन्य इस्लामिक देश तालिबान को मान्यता नहीं दे सके।
2- भुखमरी के कगार पर पहुंचा अफगानिस्तान
तालिबान हुकूमत के बाद से अफगानिस्तान के समक्ष भुखमरी की समस्या भी खड़ी हो गई है। इस बीच संयुक्त राष्ट्र ने आगाह किया है कि अफगानिस्तान के 2.2 करोड़ से अधिक लोगों के समक्ष भुखमरी का संकट उत्पन्न हो गया है। 95 फीसद लोगों के पास पर्याप्त भोजन नहीं हैं। संयुक्त राष्ट्र ने चेताया है कि अफगानिस्तान में गंभीर भुखमरी और अकाल का खतरा पैदा होने की आशंका है। लाखों की संख्या में लोग अफगानिस्तान से पलायन कर गए हैं। देश की अर्थव्यवस्था बुरी तरह लड़खड़ा गई है। पश्चिमी देशों ने अफगानिस्तान को मिलने वाली मदद पर रोक लगा दी है। संयुक्त राष्ट्र ने आगाह किया है कि सर्दी के मौसम में यह भुखमरी का संकट और बढ़ सकता है। देश के लिए अगले छह महीने विनाशकारी होने वाले हैं। संयुक्त राष्ट्र ने दुनिया से अपील की है कि वह अफगानिस्तान की ओर से मुंह न फेरें और दिक्कत में घिरे लोगों की मदद करें।
3- सुरक्षा को लेकर असफल रहा तालिबान
तालिबान हुकूमत ने एक अहम वादा सुरक्षा को लेकर किया था, लेकिन स्थितियां तालिबान के काबू में नहीं दिखती है। सबसे बड़ी चुनौती इस्लामिक स्टेट की ओर से मिल रही है। हाल में संयुक्त राष्ट्र ने बताया कि अफगानिस्तान में लगभग हर जगह इस्लामिक स्टेट मौजूद है। तालिबान के काबुल पर कब्जे के बाद पहला बड़ा हमला इस्लामिक स्टेट ने किया था। तालिबान के काबुल पर कब्जे के बाद पहला बड़ा हमला काबुल एयरपोर्ट पर हुआ था। इसमें सौ से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी। मरने वालों में अमेरिकी नागरिक भी शामिल थे। इस्लामिक स्टेट ने इस हमले की जिम्मेदारी ली थी। इस्लामिक स्टेट ने कुंदुज कंधार, काबुल पर हमले किए थे। इन हमलों में बेगुनाह लोगों की मौत हुई। इतना ही नहीं इस्लामिक स्टेट ने तालिबान लड़ाकों को भी नहीं छोड़ा। तालिबान लड़ाकों को भी निशाना बनाया गया।
4- क्या हुआ समावेशी सरकार के गठन का वादा
सत्ता में आने से पहले तालिबान एक समावेशी सरकार के गठन की बात कर रहा था। देश में महिलाओं की आजादी की बात कही जा रही थी। दुनिया के कई देशों ने कहा है कि जब तक तालिबान एक समावेशी सरकार का गठन नहीं करते हैं, महिलाओं को काम करने और लड़कियों को पढ़ने की इजाजत नहीं देते हैं, तब तक उनकी सरकार को मान्यता नहीं दी जाएगी। तालिबान के काबुल पर कब्जे के बाद से अधिकतर महिला कर्मचारी अपने घरों तक सीमित हैं। काबुल में महिलाओं ने अपने हक के लिए प्रदर्शन किए, लेकिन स्थिति में बहुत बदलाव नहीं हुआ है। महिला पत्रकारों को भी काम करने की अनुमति नहीं है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करने वाली महिलाओं समेत कुछ ही महिलाओं को काम करने की अनुमति है।