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कोरोना वायरस में होने वाले बदलावों का चलेगा पता, वैक्सीन बनाने में भी मिलेगी मदद

एश्चर ने कहा कि ‘कोविड-3डी’ म्यूटेशन से होने वाली समस्याओं की भविष्यवाणी करने के साथ-साथ वायरस से लड़ने के लिए अधिक प्रभावी उपचारों के विकास में मददगार सिद्ध हो सकता है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sat, 12 Sep 2020 09:55 AM (IST)Updated: Sat, 12 Sep 2020 09:55 AM (IST)
कोरोना वायरस में होने वाले बदलावों का चलेगा पता, वैक्सीन बनाने में भी मिलेगी मदद
कोरोना वायरस में होने वाले बदलावों का चलेगा पता, वैक्सीन बनाने में भी मिलेगी मदद

सिडनी, एजेंसियां। ऑस्ट्रेलियाई शोधकर्ताओं ने एक ऐसा उपकरण विकसित किया है जो कोरोना वायरस (कोविड-19) में होने वाले बदलावों (म्यूटेशन) का आसानी से पता लगा सकता है। इससे कोरोना की प्रभावी वैक्सीन बनाने में भी मदद मिल सकती है। मेलबर्न यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने बताया उन्होंने एक नया सॉफ्टवेयर बनाया है। कोविड-3डी नामक यह सॉफ्टवेयर वायरस के जीन और प्रोटीन के बारे में सटीक जानकारी उपलब्ध करा कर अधिक प्रभावी वैक्सीन विकसित करने में मदद कर सकता है।

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इस परियोजना के मुखिया और एसोसिएट प्रोफेसर डेविड एश्चर ने कहा, ‘हालांकि सार्स सीओवी-2 वायरस अपेक्षाकृत एक नया पैथोजन (रोगाणु) है। लेकिन इसमें अपने जीन में आसानी से बदलाव करने भी क्षमता है, जिसके कारण इस बीमारी ने महामारी का रूप ले लिया है।’ उन्होंने कहा कि वास्तव में बदलाव करने यह क्षमता कोरोना की प्रभावी वैक्सीन के निर्माण में सबसे बड़ी बाधक है।

एश्चर ने कहा, ‘शरीर के भीतर प्रवेश करने के बाद इस वायरस का जीन खुद को लगातार बदलता रहता है। एक से दूसरे व्यक्ति के संक्रमित होने तक इसका पूरा प्रतिरूप बदल जाता है और संक्रमण फैलाने की भी इसमें जबर्दस्त क्षमता है। इसलिए इसकी प्रभावी वैक्सीन को जल्द तैयार करना आसान नहीं है।’ उन्होंने कहा कि इसीलिए विज्ञानियों को न केवल इस वायरस को नियंत्रित करने की जरूरत है बल्कि यह भी पता लगाने की जरूरत है कि कितने समय बाद यह घातक वायरस खुद के स्वरूप में बदलाव कर लेता है।

जीनोम सीक्वेंसिंग का किया विश्लेषण : ‘कोविड-3डी’ विकसित करने के लिए एश्चर और उनकी टीम ने दुनियाभर के 1,20000 संक्रमित मरीजों से प्राप्त सार्स-सीओवी-2 के जीनोम सीक्वेंसिंग डाटा का विश्लेषण किया। कंप्यूटर सिमुलेशन के दौरान उन्होंने यह देखा कि कैसे यह वायरस म्यूटेशन के दौरान अपने प्रोटीन स्ट्रक्चर में बदलाव करता है और इसके जीनोम में क्या असर पड़ता है?

अध्ययन के दौरान उन्होंने पाया कि सार्स-सीओवी-2 जो कोविड-19 का कारण बनता है अब तक इन्फ्लूएंजा जैसे अन्य वायरस की तुलना में धीमी गति से बदल रहा था, इसके जीनोम में हर महीने लगभग दो नए परिवर्तन होते हैं। एश्चर ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि ‘कोविड-3डी’ म्यूटेशन से होने वाली समस्याओं की भविष्यवाणी करने के साथ-साथ वायरस से लड़ने के लिए अधिक प्रभावी उपचारों के विकास में मददगार सिद्ध हो सकता है।


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