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एक और कूटनीतिक जीत, भारत की आपत्ति के बाद फ्रांस में नहीं हुआ PoK के राष्ट्रपति का ईवेंट

भारत के कड़े विरोध के बाद फ्रांस के संसद के लोअर हाउस में गुलाम कश्मीर के (POK) के राष्ट्रपति मसूद खान एक कार्यक्रम नहीं हुआ। मसूद इसमें बतौर चीफ गेस्ट शामिल होने वाले थे।

By TaniskEdited By: Published: Thu, 03 Oct 2019 09:46 AM (IST)Updated: Thu, 03 Oct 2019 10:33 AM (IST)
एक और कूटनीतिक जीत, भारत की आपत्ति के बाद फ्रांस में नहीं हुआ PoK के राष्ट्रपति का ईवेंट
एक और कूटनीतिक जीत, भारत की आपत्ति के बाद फ्रांस में नहीं हुआ PoK के राष्ट्रपति का ईवेंट

पेरिस, एएनआइ। भारत सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद लगातार कश्मीर मुद्दे को लेकर वैश्विक पटल पर झूठ फैलाने की कोशिश कर रहा पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा। भारत ने एक बार फिर पाकिस्तान के एक नापाक हरकत को नाकामयाब कर दिया है। दरअसल, फ्रांस के संसद के लोअर हाउस में गुलाम कश्मीर के (POK) के राष्ट्रपति मसूद खान एक कार्यक्रम करना चाहते थे, जिसे भारत ने अपने कड़े विरोध से रोक दिया और इस तरह से भारत को एक और कूटनीतिक जीत मिला।    

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जानकारी के अनुसार पाकिस्तान फ्रांस की संसद में मसूद का एक कार्यक्रम कराना चाहता था। मसूद इस कार्यक्रम में बतौर चीफ गेस्ट शामिल होने वाले थे। इसे पेरिस में भारतीय मिशन द्वारा फ्रांसीसी विदेश मंत्रालय को एक आपत्‍तिपत्र जारी कर मसूद को इस कार्यक्रम में भाग लेने रोक दिया। 

भारतीय दूतावास ने आपत्‍तिपत्र जारी किया

भारतीय दूतावास ने फ्रांसीसी विदेश मंत्रालय को एक आपत्‍तिपत्र जारी किया, जिसमें कहा गया कि इस तरह के निमंत्रण से भारत की संप्रभुता का उल्लंघन होगा क्योंकि पीओके सहित जम्मू-कश्मीर का पूरा क्षेत्र भारत का अभिन्न अंग है।

कार्यक्रम पूरी तरह से फ्लॉप रहा

इसके बाद, कार्यक्रम को प्रसारित करने की अनुमति नहीं दी गई और खान की जगह पाकिस्तान के राजनयिक मोइन-उल-हक इस कार्यक्रम में शामिल हुए। यह कार्यक्रम पूरी तरह से फ्लॉप रहा। इसमें उपस्थित लोगों में से अधिकांश पाकिस्तानी दूतावास के अधिकारी थे।

कार्यक्रम को रद करना पड़ा

बीते 23 सितंबर को, मोइन-उल-हक को पीओके के राष्ट्रपति के सम्मान में एक रात्रिभोज की मेजबानी करने वाले थे, लेकिन इस कार्यक्रम को रद करना पड़ा। यह कार्यक्रम कम लोगों के आने के आशंका में रद हुआ। फ्रांस सरकार ने खान और कार्यक्रम से दूरी बनाए रखने के लिए फ्रांस-पाकिस्तान मैत्री समूह को एक मजबूत संदेश भी भेजा। गौरतलब है कि फ्रांस कश्मीर को द्विपक्षीय मामला मानता है और पाकिस्तान को साफ-साफ कह चुका है कि यह मामला भारत और पाकिस्तान को बातचीत के माध्यम से हल करना चाहिए।

पीओके, भारत का अभिन्न अंग

बता दें कि भारत, पीओके को अपना अभिन्न अंग मानता है। अनुच्छेद 370 हटाए जाने के दौरान लोकसभा में गृहमंत्री अमित शाह ने कहा था कि जब हम कश्मीर की बात करते हैं तो इससे हमारा मतलब पीओके और अकसाई चिन से भी है। इसके बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि अब पाकिस्तान से बातचीत सिर्फ और सिर्फ पीओके पर होगी। इसके बाद एस जयशंकर ने मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में 100 दिन पूरा होने पर कहा था कि पीओके भारत का हिस्सा है और हमें उम्मीद है कि एक दिन पीओके हमारे अधिकार क्षेत्र में होगा। 

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