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Rohingya Crisis: बांग्लादेश और म्यांमार के बीच अब इस देश ने की मध्यस्थता की पेशकश

United Nation में बांग्लादेश के कानून मंत्री अनिसुल हक ने कहा कि म्यांमार से रोहिंग्या का पलायन कम जरूर हुआ है लेकिन यह अब भी जारी है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Wed, 31 Jul 2019 05:26 PM (IST)Updated: Wed, 31 Jul 2019 05:39 PM (IST)
Rohingya Crisis: बांग्लादेश और म्यांमार के बीच अब इस देश ने की मध्यस्थता की पेशकश
Rohingya Crisis: बांग्लादेश और म्यांमार के बीच अब इस देश ने की मध्यस्थता की पेशकश

ढाका, एएनआइ। बांग्लादेश के शरणार्थी शिविरों में रहने को मजबूर रोहिंग्या मुस्लिमों को वापस उनके देश म्यांमार भेजने के मामले में जापान ने बांग्लादेश और म्यांमार के बीच मध्यस्थता की पेशकश की है। जापान के विदेश मंत्री तारा कोनो और बांग्लादेश के विदेश मंत्री एके अब्दुल मोमिन के बीच यहां मंगलवार को हुई बैठक के दौरान यह पेशकश की गई।

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जापान के विदेश मंत्री तीन दिन की आधिकारिक यात्रा पर बांग्लादेश आए हैं। द्विपक्षीय मुद्दों पर बातचीत के बाद संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस में दोनों नेताओं ने इस बात पर बल दिया कि रोहिंग्या शरणार्थियों को वापस भेजे जाने से पहले माहौल सही होना जरूरी है।

कोनो ने बांग्लादेश के कॉक्स बाजार स्थित सबसे बड़े रोहिंग्या शरणार्थी शिविर का दौरा भी किया। मंगलवार को ही संयुक्त राष्ट्र (UN) में बांग्लादेश के कानून मंत्री अनिसुल हक ने कहा कि म्यांमार से रोहिंग्या का पलायन कम जरूर हुआ है लेकिन यह अब भी जारी है।

बता दें कि हाल ही में बांग्लादेश के राष्ट्रपति अब्दुल हामिद ने रोहिंग्या संकट को लेकर चिंता व्यक्त की थी। उन्होंने कहा था कि रोंहिग्या मामले को को अगर नहीं सुलझाया गया तो इससे पूरा क्षेत्र अस्थिर हो सकता है। बांग्लादेश के राष्ट्रपति ने ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे में आयोजित एक सम्मेलन में शनिवार को यह बात कही थी।

गौरतलब है कि वर्ष 2017 में म्यांमार के रखाइन प्रांत में सेना की कड़ी कार्रवाई के बाद लाखों की संख्या में रोहिंग्या मुसलमानों ने पलायन कर बांग्लादेश में शरण ली थी। बांग्लादेश में इस समय करीब 12 लाख रोहिंग्या शरणार्थी हैं।

जानें, कौन हैं रोहिंग्या मुसलमान
रोहिंग्या मुसलमान इस्लाम को मानने वाले वो लोग हैं जो 1400 ई. के आस-पास बर्मा (आज के म्यांमार) के अराकान प्रांत में आकर बस गए थे। इनमें से बहुत से लोग 1430 में अराकान पर शासन करने वाले बौद्ध राजा नारामीखला (बर्मीज में मिन सा मुन) के राज दरबार में नौकर थे। इस राजा ने मुस्लिम सलाहकारों और दरबारियों को अपनी राजधानी में आश्रय दिया था।

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