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भारतीय विदेश मंत्री की सिंगापुर में अपने समकक्ष से भेंट, चिंतित हुआ ड्रैगन

जयशंकर ने व्‍यापार और उद्योग मंत्री चान चुन सिंग से मुलाकात की और दोनों देशों के बीच व्‍यापार और निवेश को बढ़ाने पर चर्चा की।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Tue, 10 Sep 2019 09:40 AM (IST)Updated: Tue, 10 Sep 2019 09:40 AM (IST)
भारतीय विदेश मंत्री की सिंगापुर में अपने समकक्ष से भेंट, चिंतित हुआ ड्रैगन
भारतीय विदेश मंत्री की सिंगापुर में अपने समकक्ष से भेंट, चिंतित हुआ ड्रैगन
सिंगापुर, एजेंसी। भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को सिंगापुर के वरिष्‍ठ मंत्री टीओ चे हीन से मुलाकात की। इस वार्ता में उनके साथ केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी भी बैठक में मौजूद थे। बता दें कि जयशंर इस समय सिंगापुर की तीन दिवसीय यात्रा पर हैं। इसके पूर्व सिंगापुर के विदेश मंत्री विवियन बालाकृष्णन के साथ एस जयशंकर 'इनसप्रेनुर 3.0 - एक स्टार्ट अप और इनोवेशन प्रदर्शनी' में भी शामिल हुए। इस प्रदर्शनी में भारत के लगभग 60 स्टार्टअप्स ने हिस्सा लिया है।
जयशंकर ने व्‍यापार और उद्योग मंत्री चान चुन सिंग से मुलाकात की और दोनों देशों के बीच व्‍यापार और निवेश को बढ़ाने पर चर्चा की। भारतीय विदेश मंत्री ने ट्वीट किया कि दोनों देशों के बीच व्‍यापार और निवेश को बढ़ाने के लिए मंत्री चान चुन के साथ बेहतर वातावरण के बीच सकारात्‍मक वार्ता हुई। सिंगापुर भारत की आर्थिक और वाणिज्यिक नीतियों (Economic and Commercial Policies) के लिए एक बड़ा केंद्र बन गया है।

जयशंकर ने यहां स्टार्ट-अप एंड इनोवेशन एग्जीबिशन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा था कि सिंगापुर राजनीतिक, सामरिक और साथ ही आर्थिक वाणिज्यिक क्षेत्रों में भी भारत की नीतियों के लिए एक बड़ा केंद्र बन चुका है। आज जो द्विपक्षीय संबंध के रूप में शुरू हुआ है वह कुछ ऐसा है जो बहुत व्यापक है। नियम आधारित मुद्दों पर दोनों देशों की सोच काफी मिलती है। 
दुनिया के लिए भारत और सिंगापुर के मजबूत रिश्ते अहम
जयशंकर ने इस दौरान दुनिया के लिए भारत और सिंगापुर के मजबूत रिश्ते अहम बताया। उन्होंने कहा कि जब दोनों देश ऐसे समय में अपने संबंधों के समकालीन दौर में साथ आए जब दुनिया बदल रही थी और भारत भी। दोनों बदलावों का एक दूसरे के साथ काफी कुछ लेना-देना था। 

भारत के विकास में एक महत्वपूर्ण भागीदार
उन्होंने इस दौरान यह भी कहा कि उस समय भारत में भुगतान का संकट था और आर्थिक सुधारों को लेकर काम किया जा रहा था। ऐसे समय में भारत ने सिंगापुर का रुख किया और सिंगापुर ने प्रतिक्रिया दी। इसके बाद से सिंगापुर भारत के विकास में एक महत्वपूर्ण भागीदार बन गया।
मजबूत रक्षा संबंध
उन्होंने दोनों देशों के रक्षा संबंधों के लेकर कहा कि हमारे बीच बहुत मजबूत रक्षा संबंध हैं। हमने अभी-अभी निर्बाध नौसेना अभ्यास के 25 वर्ष पूरे किए हैं। जो मुझे लगता है कि भारत का दुनिया में किसी भी देश के साथ ये सबसे लंबा अभ्यास है। 
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