कट्टरता के खिलाफ सड़कों पर उतरीं ईरानी महिलाएं, कहीं बदल न जाए इतिहास
इस्लामिक कट्टरता के खिलाफ ईरानी महिलाएं सड़कों पर उतर गई हैं। ईरान में हो रहे इन विरोध प्रदर्शनों को अमेरिका ने अपना समर्थन प्रदान किया है।
नई दिल्ली [स्पेशल डेस्क]। कट्टर इस्लामिक शासन के तौर-तरीकों, नागरिक अधिकारों पर बढ़ती पाबंदियों और सीरिया, लेबनान आदि देशों के चरमपंथी गुटों को समर्थन देने की नीति से उकताए ईरानी नागरिक सड़कों पर उतर आए हैं। वे ईरान के सर्वोच्च धार्मिक नेता सैयद अली खामैनी समेत मुल्ला-मौलवियों के खिलाफ नारेबाजी कर रहते हुए ईरान के मसलों पर ध्यान देने की मांग कर रहे हैं। खास बात यह है कि देश के विभिन्न इलाकों में हो रहे इन विरोध प्रदर्शनों में महिलाएं भी खुलकर भाग ले रही हैं। वे अपना विरोध दर्ज कराने के लिए हिजाब उतारकर फेंक दे रही हैं। वे सुरक्षा कर्मियों को भी खरी-खोटी सुना रही हैं। ज्ञात हो कि ईरान में हिजाब न पहनने वाली महिलाओं को दंडित किया जाता है। ईरान में हो रहे इन विरोध प्रदर्शनों को अमेरिका ने अपना समर्थन प्रदान किया है। इसके चलते दुनिया भर की निगाहें ईरान में हो रहे विरोध प्रदर्शनों पर जम गई हैं।
पश्चिम ईरान के करमनशाह शहर में प्रदर्शकारियों और सुरक्षाबलों के बीच झड़प हो रही है। ये बात अलग है कि लोगों में किसी तरह का डर नहीं है।
सड़कों पर हजारों की संख्या में उतरे प्रदर्शनकारियों का कहना है कि ईरान में वो इस्लामी राज नहीं चाहते हैं। मौलिवयों, शर्म करो हमारे देश से बाहर चले जाओ। वीडियो में महिलाएं 1979 में ईरानी क्रांति के विरोध में हिजाब लहरा रही हैं।
करमनशाह में प्रदर्शनकारी महंगाई और भ्रष्टाचार के खिलाफ सड़कों पर उतरे हैं। लेकिन सोशल मीडियो में वो वीडियो वायरल हो रहे हैं जिनमें प्रदर्शनकारी, तानाशाह को मौत दो और रूहानी को गद्दी से हटाओ जैसे नारे बुलंद हो रहे हैं।
सड़कों पर उतरे प्रदर्शनकारियों के समर्थन में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप का कहना है कि वहां की जनता ईरानी सरकार से तंग आ चुकी है। ईरान की सरकार आकंठ तक भ्रष्टाचार में डूबी हुई है। रूहानी सरकार ईरानी लोगों के धन को विदेशों में आतंकवाद को बढ़ावा देने में लगा रही है। ईरान सरकार को वहां की जनता की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए
1979 की इस्लामी क्रांति और ईरानी महिलाएं
1979 में इस्लामी क्रांति से पहले ईरान में खुला माहौल था। महिलाएं बिना किसी परेशानी के सार्वजनिक जगहों पर जा सकती थी। लेकिन इस्लामी क्रांति के बाद सरकार की तरफ से तमाम पाबंदिया लग गईं। सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं के लिए शरीर ढंकना जरूरी हो गया। ईरान में हिजाब चलता है, यानी बाकी पूरा शरीर ढका होना चाहिए लेकिन चेहरा दिख सकता है। 1936 से 1941 के बीच रजा शाह पहलवी ने सार्वजनिक स्थानों पर पर्दा बैन कर रखा था। लेकिन इतनी पाबंदियों के बाद भी ईरान में लड़कियां ऑनलाइन शॉपिंग जमकर करती हैं। यहां मर्लिन मुनरो जैकेट भी खूब चलती है। युवा डिजाइनर फेसबुक या इंस्टाग्राम के जरिए इन्हें बेचते हैं। चेहरे-मोहरे पर ईरानी लड़कियां बहुत पैसा खर्च करती हैं। हर साल ईरान में 60 से 70 हजार महिलाएं प्लास्टिक सर्जरी कराती हैं।ब्यूटीशियन घर पर सर्विस मुहैया कराती हैं। महिलाओं में बालों को रंगवाने का चलन बढ़ रहा है। ईरानी महिलाओं के बारे में आम धारणा है कि वो काला रंग पहनती हैं, वो चटख रंग भी खूब ओढ़ती और पहनती हैं। ईरानी लड़कियां फिगर को मेनटेन करने के लिए वर्कआउट करती हैं।
इस खास मुद्दे पर दैनिक जागरण के एसोसिएट एडिटर राजीव सचान ने बताया कि ईरान की सड़कों पर जो विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं उसके पीछे दो मुख्य वजहें हैं। दरअसल इस्लामिक दुनिया में आधिपत्य जमाने के लिए ईरान न केवल हिज्बुल्ला, हाउती और सीरिया के कुछ संगठनों को मदद दे रहा है। ईरानी सरकार के इस कदम से वहां की आर्थिक व्यवस्था चरमरा गई है। बढ़ती हुई महंगाई से लोग परेशान हैं। किसी तरह का राहत न मिलते देख बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर उतर गए हैं जिनमें भारी तादाद में महिलाएं शामिल हैं।
ईरान को लेकर अमेरिका पहले भी कह चुका है कि वहां की सरकार दुनिया के अलग अलग हिस्सों में आतंकी संगठनों को मदद कर रही है। ईरानी सरकार अपने नागरिकों को बुनियादी सुविधाएं पहुंचान में नाकाम है। ऐसे में वो ईरान के लोगों के साथ सहानुभूति रखते हैं। अगर ईरान में प्रदर्शनकारी अपने आंदोलन को सफल बनाने में कामयाब हुए तो निश्चित तौर पर वहां के मौजूदा लोग 1979 के पहले वाले दिनों का लुत्फ उठा सकेंगे।
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