पौधों और जानवरों की 1,840 नई प्रजातियों पर अस्तित्व का संकट, IUCN ने जारी की सूची
आइयूसीएन ने अस्तित्व का संकट झेल रहे पौधों और जानवरों की सूची में 1840 नई प्रजातियों को जोड़ा है।
मैड्रिड, एजेंसी। 'इंटरनेशनल यूनियन फॉर कन्जर्वेशन ऑफ नेचर' (आइयूसीएन) ने अस्तित्व का संकट झेल रहे पौधों और जानवरों की सूची में 1,840 नई प्रजातियों को जोड़ा है। इसके साथ ही सूची में अब ऐसी तीस हजार प्रजातियों के नाम हैं जो लुप्त होने की कगार पर हैं।
आइयूसीएन ने अपनी लुप्तप्राय प्रजातियों की सूची में मंगलवार को कहा कि पहले से ही अपने मूलनिवास के अस्तित्व पर खतरा झेल रही पौधों और जानवरों की प्रजातियां अब मानव निर्मित जलवायु परिवर्तन का दबाव बर्दाश्त करने को मजबूर हैं। आइयूसीएन के कार्यकारी महानिदेशक ग्रेथेल एगुइलर ने कहा, 'प्रजातियों पर पहले से ही कई संकटों के बीच अब जलवायु परिवर्तन का खतरा मंडरा रहा है और हमें तत्काल और निर्णायक रूप से इस समस्या का समाधान निकालना होगा।' आइयूसीएन ने कहा कि लुप्तप्राय प्रजातियों की पिछली समीक्षा के मुकाबले इस बार 73 प्रजातियों की संख्या में उल्लेखनीय कमी आई है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि जो प्रजातियां मौसम में हो रहे बदलावों के अनुसार खुद को ढ़ालने में असमर्थ हैं उनके लुप्त होने का खतरा अधिक है क्योंकि जलवायु परिवर्तन ने पारिस्थितिकीय व्यवस्था में नाटकीय बदलाव किए हैं। इससे इन प्रजातियों का भोजन तथा अस्तित्व को बनाए रखने के लिए जरूरी माने जाने वाले अन्य कारकों में बदलाव आ गया है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण मछली और खाद्यान्न का आकार छोटा होने से इंसान की बढ़ती आबादी भी प्रभावित हो सकती है। दि डेली टेलीग्राफ में रिपोर्ट के प्रमुख लेखक तथा सिंगापुर नेशनल यूनिवर्सिटी के डेविड बिकफोर्ड के हवाले से यह जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि आकार छोटा होने या सिकुड़ने के परिणाम अभी पूरी तरह समझे नहीं गए हैं, लेकिन जैविकिय पारिस्थितिकी तथा इंसानों, दोनों के लिए ये दूरगामी हो सकते हैं।