हेलीकॉप्टर घोटाले में इतालवी कंपनी के अधिकारी बरी
साल 2010 में हुए इस सौदे में इटली की जांच एजेंसी ने रिश्वतखोरी का आरोप लगाते हुए, वहां की अदालत में मुकदमा दायर किया था।
मिलान (इटली) प्रेट्र। वीवीआइपी हेलीकॉप्टर सौदे के लिए रिश्वत देने के मामले में मिलान की तीसरी अपीलीय अदालत ने सोमवार को इतालवी रक्षा एवं विमानन कंपनी फिनमैकेनिका (अब लियोनार्डो) के पूर्व प्रेसीडेंट ग्यूसेप ऑर्सी और अगस्ता वेस्टलैंड के पूर्व सीईओ ब्रूनो स्पेगनोलिनी को बरी कर दिया। अदालत ने उन्हें सुबूतों के अभाव में बरी किया है। भारत के साथ 2010 में जब 12 हेलीकॉप्टरों के लिए 3600 करोड़ रुपये का समझौता हुआ था, उस वक्त ऑर्सी ही फिनमैकेनिका के सर्वेसर्वा थे। जबकि कंपनी की हेलीकॉप्टर सब्सिडिरी अगस्ता वेस्टलैंड के सीईओ ब्रूनो स्पेगनोलिनी थे।
ऑर्सी को 2014 में गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। संदेह है कि वह भी 450 करोड़ रुपये की कथित घूसखोरी में शामिल थे।सौदे में रिश्वतखोरी का आरोप लगाते हुए इटली की ही जांच एजेंसी ने 2012 में वहां की अदालत में मुकदमा दायर किया था। दोनों पर अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार और गलत अकाउंटिंग का आरोप लगाया गया था। ऑर्सी को साढ़े चार साल की सजा और स्पेगनोलिनी को चार साल की सजा सुनाई गई थी।
इससे पहले 2014 में पहले मुकदमे में उन्हें अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार के आरोप से बरी कर दिया गया था, लेकिन गलत अकाउंटिंग के लिए दो साल की सजा सुनाई गई थी। दोनों पूर्व अधिकारियों और अभियोजन ने फैसले के खिलाफ अपील की। इसके बाद दिसंबर 2016 में इटली के सुप्रीम कोर्ट ने मामले की दोबारा सुनवाई के आदेश दिए थे।मालूम हो कि इसी मामले में भारत में सीबीआइ वायुसेना के पूर्व प्रमुख एसपी त्यागी सहित नौ लोगों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल कर चुकी है।
सौदे की वर्तमान स्थिति
ऑर्सी की गिरफ्तारी के बाद भारत ने यह हेलीकॉप्टर सौदा निरस्त कर दिया था। लेकिन, अगस्ता वेस्टलैंड ने भारत के इस फैसले का विरोध किया। इसके बाद से यह करार निलंबित है और अब मामला पेरिस स्थित अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता अदालत में है।
क्या थीं सौदे की शर्ते
भारतीय वायुसेना और इटली की कंपनी अगस्ता-वेस्टलैंड के बीच हेलीकॉप्टर खरीद सौदे से पहले ईमानदारी और पारदर्शिता बरतने का भी करार हुआ था। सौदे में किसी भी घोटाले के सुबूत मिलने पर करारनामे की शर्तो के मुताबिक भारत कार्रवाई के लिए स्वतंत्र था। साथ ही सौदे के लिए किसी भी बिचौलिए या संस्था का सहारा भी नहीं लिया जाना था।
भारत में मामले पर कोई असर नहीं पड़ेगा: सीबीआई
इटली में ग्यूसेप ऑर्सी और ब्रूनो स्पेगनोलिनी के बरी होने से भारत में चल रहे इस मामले पर कोई असर नहीं पड़ेगा। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) का कहना है कि इन्हीं सुबूतों के आधार पर ही पहले उन्हें सजा सुनाई गई थी। ये सुबूत इतालवी एजेंसियों द्वारा ही एकत्रित किए गए थे। जबकि भारत में जांच उनसे पूरी तरह स्वतंत्र रही है। सीबीआइ प्रवक्ता अभिषेक दयाल ने बताया, 'हमने पूरी तरह अलग जांच की है। हमारा मामला बेहद मजबूत है।'
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