Israeli Iran: इजरायली प्रधानमंत्री फ्रांस पर बनाएंगे दबाव, लापिद बोले- आग से न खेले हिजबुल्लाह
इजरायल के प्रधानमंत्री ने फ्रांसीसी राष्ट्रपति मैक्रों को यह साफ जाहिर कर दिया है कि वह ईरान को सही रास्ते पर ले आए। चूकि फ्रांस का ईरान के साथ 2015 का परमाणु समझौता है। ऐसे में यह उम्मीद जताई जा रही है कि मैक्रों हिजबुल्लाह को समझा सकते हैं।
जेरूसलम, रायटर्स। इजरायल के प्रधानमंत्री येर लापिद मंगलवार को फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों पर ईरानी परमाणु पर समय के साथ समझौते कि लिए दबाव डालेंगे। वहीं, तेहरान समर्थित हिजबुल्लाह समूह को चेतावनी भी देंगे। लापिद की कार्यवाहक प्रधानमंत्री बनने के बाद उनकी यह पहली विदेश यात्रा है। यह राजनयिक यात्रा इजरायल के लिए महत्वपूर्ण होगी, क्योंकि नवंबर में ही वहां चुनाव है।
फ्रांस, ईरान के साथ 2015 के परमाणु समझौते को शुरू करने की कोशिश कर रहा है। अमेरिका जिसे पहले ही छोड़ दिया था, और इजरायल ने उसका विरोध किया था। वहीं लेबनान में फ्रांस का खासा प्रभाव है, मगर शनिवार को इजरायल ने हिजबुल्लाह के तीन ड्रोन को मार गिराया जो भूमध्यसागरीय गैस रिसाव की तरफ छोड़े गए थे। इससे आर्थिक संकटग्रस्त नेताओं की आंख खुल गई है।
इजरायल के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि फ्रांस, ईरान के साथ जोसीपीओए 2015 के परमाणु समझौते से सहमत है, मगर हम इसका विरोध करते हैं। वहीं, इजरायल के अधिकारी ने कहा कि यदि ये देश कूटनीति को नहीं मानते तो हम सैन्य कार्रवाई करने को विवश होंगे।
अमेरिका के वाकआउट करने के बाद से, ईरान इस समझौते पर कायम रहने की बात तो कर रहा है, लेकिन ऐसी खबरें भी हैं कि वह परमाणु बम बनाने की तैयारी कर रहा है। वहीं, इजरायली अधिकारी ने कहा कि अब हम सभी वार्ताओं को समाप्त करना चाहते हैं। साथ ही उचित मदद की पेशकश करते हुए ईरान पर दबाव बनाने की उम्मीद करते हैं।
लेबनान में ईरान के सामने इजरायल मोर्चे पर है, जहां हिजबुल्लाह का घर है। वहीं, इजरायली अधिकारी ने शनिवार हुई गोलीबारी के बारे में कहा कि हिजबुल्लाह आग से खेल रहा है। उन्होंने कहा कि लापिद जल्द ही मैक्रों से साथ अपनी नीति साझा करेंगे जिसमें बताया गया है कि हिजबुल्लाह किस तरह से लेबनान को खतरे में डाल रहा है।
हिजबुल्लाह और इजरायल के बीच 2006 में लेबनान सीमा पर युध्द लड़ा गया था मगर उसके बाद से गतिरोध शांत है। वहीं, लेबनान तट के पास से करिश रिग न केवल इजरायल के लिए, बल्कि समूचे यूरोपीय संघ के लिए गैस का उत्पादन करेगा। साथ ही रूस द्वारा यूक्रेन पर हमले के बाद से ही यूरोपीय संघ के देश रूस के जगह किसी और देश को ऊर्जा आपूर्तिकर्ता के रूप में देखना चाहते हैं।