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अफनागिस्तान में सिखों और हिंदुओं का खून बहाने के पीछे इस्लामिक स्टेट का हाथ

अफगानिस्तान में सिखों और हिंदुओं की जान लेने वाला कोई और नहीं बल्कि खूंखार आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट है। जानिए क्यों चरमपंथियों के निशाने पर हैं सिख-हिंदू।

By Nancy BajpaiEdited By: Published: Mon, 02 Jul 2018 02:50 PM (IST)Updated: Mon, 02 Jul 2018 03:24 PM (IST)
अफनागिस्तान में सिखों और हिंदुओं का खून बहाने के पीछे इस्लामिक स्टेट का हाथ
अफनागिस्तान में सिखों और हिंदुओं का खून बहाने के पीछे इस्लामिक स्टेट का हाथ

काबुल (एपी)। अफगानिस्तान में सिखों और हिंदुओं की जान लेने वाला कोई और नहीं बल्कि खूंखार आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट है। इस आत्मघाती हमले ने न सिर्फ अफगानिस्तान बल्कि पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया। राष्ट्रपति अशरफ गनी से मिलने गवर्नर हाउस जा रहे लोगों को क्या मालूम था कि वे रास्ते में ही आतंकियों का शिकार बन जाएंगे।

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सिख नेता समेत 19 की मौत

बता दें कि रविवार को अफगानिस्तान के जलालाबाद में हुए आत्मघाती हमले में 19 लोग मारे गए, जबकि करीब 20 लोग घायल बताए जा रहे हैं। ये सभी लोग बस में सवार होकर राष्ट्रपति से मिलने जा रहे थे, तभी आत्मघाती हमलावर के विस्फोट का शिकार हो गए। इनमें ज्यादातर अल्पसंख्यक सिख व हिंदू थे। लंबे समय से सिख समुदाय के नेता रहे अवतार सिंह खालसा भी इस हमले में मारे गए लोगों में शामलि हैं। अवतार सिंह अक्टूबर में होने वाले संसदीय चुनाव में खड़े होने वाले थे

IS ने ली हमले की जिम्मेदारी
सोमवार को जारी एक बयान ने जलालाबाद में हुए आत्मघाती हमले की जिम्मेदारी ली है। बता दें कि रूढ़िवादी मुस्लिम देश में सिख और हिंदू भेदभाव का सामना कर रहे हैं। अतीत में इस्लामी चरमपंथियों द्वारा उन्हें निशाना बनाया जाता रहा है, जिस कारण कई लोगों वहां से पलायन भी कर चुके हैं। 1970 के दौर में अफगानिस्तान में अल्मसंख्यकों की संख्या करीब 80,000 थी, लेकिन आज की तारीख में यह संख्या केवल हजार के करीब बची है। इसके पहले भी कई बार इस्लामिक स्टेट अल्पसंख्यकों को अपना निशाना बना चुका है।

इसलिए अफगान छोड़ रहे अल्पसंख्यक

अफगानिस्तान में कभी दो लाख 20 हजार हिंदू और सिख परिवार थे। 1970 के दौर में ये संख्या 80,000 के करीब थी, लेकिन अब हालात इतने खराब हो गए हैं कि यहां केवल एक हजार के करीब ही अल्पसंख्यक रह गए हैं। यहां अल्पसंख्यक समुदाय की जान, धर्म, ईमान हर चीज पर हमला हो रहा है, लिहाजा वे एक सुरक्षित आश्रय के लिए भाग रहे हैं। कभी हिंदू और सिख अफगान समाज का समृद्ध तबका हुआ करता था, अब यहां मुट्ठीभर ही अल्पसंख्यक बचे हैं। बढ़ती असहिष्णुता और शोषण का आरोप लगाकर ज्यादातर लोग अपने मुल्क को छोड़कर चले गए हैं।

अफगानिस्तान में अलपसंख्यक हैं सिख-हिंदू

गौरतलब है कि अफगानिस्तान एक मुस्लिम राष्ट्र है, लेकिन देश में हिंदुओं और सिखों की एक छोटी संख्या है। अफगानी संसद में सिख और हिंदू समुदाय के लिए एक सीट आरक्षित है। लेकिन यहां के अल्पसंख्यक हमेशा से ही मुस्लिम चरमपंथियों के निशाने पर रहे हैं। यह हमला ऐसे वक्त में हुआ जब एक दिन पहले ही राष्ट्रपति अशरफ गनी ने तालिबान के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का आदेश दिया था। गनी ने संघर्ष विराम की समाप्ति के बाद सुरक्षा बलों को तालिबान के खिलाफ आक्रामक अभियान चलाने का निर्देश दिया था।


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