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आतंकी संगठन आईएस ने काबुल को अंधेरे डुबोया, बयान जारी कर ली जिम्‍मेदारी

काबुल को अंधेरे में डालने की जिम्‍मेदारी इस्‍लामिक संगठन आईएस ने ली है। एक बयान जारी कर आईएस ने इसकी जिम्‍मेदारी दी है। आईएस ने कहा है कि उसने धमाके से काबुल जा रही पावर सप्‍लाई को काट दिया है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Sun, 24 Oct 2021 04:16 PM (IST)Updated: Sun, 24 Oct 2021 04:16 PM (IST)
आतंकी संगठन आईएस ने काबुल को अंधेरे डुबोया, बयान जारी कर ली जिम्‍मेदारी
आईएस ने ली काबुल को अंधेरे में डालने की जिम्‍मेदारी

काबुल (एएनआई)। काबुल को अंधेरे में डुबोने की जिम्‍मेदारी इस्‍लामिक स्‍टेट ने ली है। स्‍थानीय मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि आईएस की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया है कि उसने की काबुल को मिलने वाली पावर सप्‍लाई को बम से उड़ाकर राजधानी को अंधेरे में रहने पर मजबूर किया है। बता दें कि काबुल में गुरुवार से बिजली नहीं है। खामा प्रेस की तरफ से आईएस बयान के हवाले से बताया गया है कि आईएस के लड़ाकों ने काबुल स्थित इलेक्ट्रिक सेक्‍टर में धमाका कर ऐसा किया है।

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बिजली सप्‍लाई केंद्र को बम से उड़ाने के आरोप में अब तक तालिबान ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। आंतरिक मंत्रालय से ये भी कहा गया है कि फिलहाल ये साफ नहीं हो सका है कि इन आरोपियों का कोई संबंध आतंकी संगठन इस्‍लामिक स्‍टेट से है भी या नहीं। काबुल में आने वाली बिजली सप्‍लाई को बाधित करने के मकसद से उत्‍तरी शकरदारा में पावर पेलोन को बम से उड़ा दिया गया था। बता दें कि पिछले सरकार के दौरान भी कई दूसरे प्रांतों को मिलने वाली बिजली सप्‍लाई को भी इसी तरह से बाधित किया गया था। है। खामा प्रेस के मुताबिक बिजली की समस्‍या से यहां के कारोबारियों को कई तरह की समस्‍याओं से दो चार होना पड़ रहा है। इसकी वजह से उन्‍हें आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ रहा है।

गौरतलब है कि जब से अफगानिस्‍तान में तालिबान का कब्‍जा हुआ है और सरकार का गठन हुआ है तभी से आतंकी संगठन इस्‍लामिक स्‍टेट ने भी अपने हमले तेज कर दिए हैं। अमेरिका के पूरी तरह से देश छोड़ने से पहले ही ये हमले शुरू हो गए थे। इसके बाद आईएस लगातार तालिबान के लिए चुनौती बना हुआ है। खुफिया नाकामी और रणनीति की वजह से तालिबान लगातार आईएस के हमले झेलने को मजबूर हो रहा है। तालिबान ने इस संबंध में अमेरिका की मदद लेने तक से भी मना कर दिया है। आपको यहां पर ये भी बता दें कि अमेरिकी सेना के यहां पर रहने तक आईएस काफी हद तक सीमित हो गया था और उसके हमले भी न के ही बराबर होते थे।


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