नागोर्नो कारबाख में लड़ाकों को भेजने पर बिफरे रुहानी, कहा- देश में आतंकियों की मौजूदगी बर्दाश्त नहीं
Terrorist in Iran कई सालों से ईरान में आतंकियों के साथ संघर्ष जारी है। इसके मद्देनजर देश के राष्ट्रपति रुहानी ने चेतावनी जारी कर कहा है कि कि अब यहां आतंकियों की मौजूदगी को बर्दाश्त नहीं किया जा सकेगा।
तेहरान, एपी। ईरान के राष्ट्रपति हसन रुहानी (President Hassan Rouhani ) ने बुधवार को चेताया कि उनका देश आतंकियों की मौजूदगी को बर्दाश्त नहीं कर पाएगा। राष्ट्रपति ने कहा कि देश की उत्तरी सीमा के पास अजरबेजान और अर्मेनिया के बीच संघर्ष कई सालों से जारी है अब उसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। रुहानी ने अधिक विस्तार से ब्यौरा नहीं दिया लेकिन अर्मेनिया ने अंकारा पर तुर्किश समर्थित सीरियाई लड़ाकों को भेजने का आरोप लगाया।
अमेरिका समेत कई देशों ने अर्मेनिया और अजरबेजान से जंग खत्म करने की अपील की है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने दक्षिण काकेशस क्षेत्र में जारी स्थिति पर चिंता जाहिर की है, क्योंकि यहां से पाइपलाइनें दुनिया के बाजारों में अजरबेजान से तेल और गैस अंतर्राष्ट्रीय बाजार में जाती हैं। उल्लेखनीय है कि अजरबेजान को तुर्की का समर्थन हासिल है और अर्मेनिया को रूस की ओर से समर्थन मिल रहा है।
अजरबेजान और अर्मेनिया जिस नागोर्नो-काराबाख के लिए लड़ रहे हैं वो पहाड़ी इलाका है। इसे अजरबेजान अपना बताता है जबकि 1994 की लड़ाई के बाद से अर्मेनिया ने इसपर कब्जा कर रखा है। सोमवार को ईरान के विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह शांति की योजना पर काम कर रहा है ताकि अर्मेनिया और अजरबेजान के बीच जंग खत्म हो सके साथ ही यह ईरान की सीमा से इसे दूर रहने की चेतावनी भी दी और कहा, इस्लामिक रिपब्लिक के लिए यह गंभीर लाल रेाा है जिसे पार नहीं करना है।' ईरान की सीमा अजरबेजान के साथ 760 किमी और अर्मेनिया के साथ करीब 35 किलोमीटर तक की है हालांकि दोनों पड़ोसियों के साथ ईरान के संबंध अच्छे हैं।
हालात को देखते हुए अपनी सीमाओं को लेकर ईरान का चिंतित होना वाजिब है जो अजरबेजान ओर अर्मेनिया से मिलती हैं। बता दें कि एक दिन पहले मंगलवार को राष्ट्रपति हसन रूहानी ने अजरबेजान के नेता इल्हाम अलीयेव से फोन पर बात कर शांति की अपील की थी। दूसरी ओर अजरबेजान और अर्मेनिया के बीच हमले तेज हो गए हैं। एक दूसरे पर तनाव बढ़ाने का आरोप लगाने के बीच 27 सितंबर से अजरबेजान व अर्मेनिया के बीच जंग शुरू हो गया। इसके बाद कई इलाकों में मार्शल लॉ लागू कर दिया गया था। ऐसी ही भीषण जंग दोनों के बीच वर्ष 2016 में हुई थी जिसमें 200 लोगों ने जान गंवाई थी।