पहली बार लोगों के सामने आयी नेपाल की कुमारी देवी, जानें कैसा होता है इनका जीवन
तीन साल की तृष्णा शाक्या इस बार नेपाल की कुमारी देवी बनी है। परंपरा के हिसाब से लोग इनके दर्शन कर रहे हैं।
नई दिल्ली, जेएनएन। नेपाली परंपरा के अनुसार कुमारी देवी की यात्रा निकाली गई। तृष्णा शाक्या जो तीन साल की हैं उन्हें इस बार कुमारी देवी चुना गया है। तृष्णा शाक्या कुमारी देवी बनने के बाद पहली बार सावर्जनिक रूप से लोगों के बीच आई हैं। नेपाल में यह मान्यता है कि इंद्रजात्रा निकालने से इंद्र जो बारिश के देवता हैं वह खुश रहते हैं।
नेपाली लोग देवी दर्शन को मानते हैं शुभ
कुमारी देवी की शोभायात्रा बहुत ही भव्य तरीके से नेपाल में निकाली जाती है। यह त्योहार सितंबर में आठ दिनों तक मनाया जाता है। आपको जान कर हैरानी होगी कि हिंदू धर्म में जीवित देवियों की पूजा करने की यह अनोखी परंपरा है। इन्हें कुमारी देवी भी कहते हैं। खास बात यह है कि नेपाल के लोग इस देवी के दर्शन का बहुत ही शुभ मानते हैं। 17 सितंबर को तृष्णा को कुमारी देवी चुना गया है। अब उन्हें निश्चित परंपरा के हिसाब से जीवन बिताना होगा।
कैसे होता है चयन
बौद्ध धर्म में जिस तरह लामा को चुनने की परंपरा होती है कुछ उसी तरह देवी का भी चयन होता है। देवियों की चयन प्रक्रिया भी काफी अलग होती है। नेपाल के खास समुदाय नेवारी इसकी पहचान करते हैं। इनकी जन्म कुंडली को देख कर तय संयोग मिलने पर इनकी परीक्षा ली जाती है। इसके बाद इनके सामने कटे भैंसे का सिर रखा जाता है। डरावने मुखौटे लगाकर लोग नाच करते हैं। इन सबसे अगर बच्ची नहीं डरती है तब जाकर उसे देवी माना जाता है।
देवी बनने के बाद कैसा होता है जीवन
देवी बनने के बाद उस बच्ची का जीवन समाज से अलग हो जाता है। उसे एक निश्चित जगह रखा जाता है जिसे कुमारी का घर कहा जाता है। कुमारी देवी अपना समय धार्मिक काम में बिताती हैं। घर से आम दिनों में वे नहीं निकलती हैं। त्योहार के समय वह बाहर आती हैं जनता उनका दर्शन करती हैं।
कैसे छोड़ना पड़ता है पद
उस देवी को तब तक ही देवी माना जाता है जब तक उसे मासिक धर्म नहीं शुरू हो जाता है। एक बार यह शुरू हो गया तब उसे यह पद छोड़ना पड़ता है। इसके बाद वह अपना जीवन अपने हिसाब से बिता सकती हैं। एम मान्यता है कि अगर कोई लड़का उनसे शादी करता है तो उसकी असमय मौत हो जाती है। इस कारण अधिकतर देवियां अविवाहित ही रह जाती हैं।