शादी का फर्जी प्रमाणपत्र देना भारतीय कारोबारी को पड़ा भारी, घाना से निर्वासित
घाना के आव्रजन विभाग ने शिवराम पर स्थायी निवास के आवेदन में फर्जी वैवाहिक प्रमाणपत्र लगाने का आरोप लगाया था।
अकरा, आइएएनएस। भारतीय कारोबारी अशोक कुमार शिवराम को शादी का फर्जी प्रमाणपत्र देने के आरोप में घाना से निर्वासित कर दिया गया है। देश के सुप्रीम कोर्ट ने भी हाई कोर्ट के आदेश को खारिज करते हुए शिवराम के निर्वासन के आदेश पर मुहर लगा दी है।
घाना के आव्रजन विभाग ने शिवराम पर स्थायी निवास के आवेदन में फर्जी वैवाहिक प्रमाणपत्र लगाने का आरोप लगाया था। इसके फलस्वरूप गृह मंत्रालय ने मई, 2017 में उन्हें स्वदेश लौटने का आदेश दिया था। शिवराम ने इसके खिलाफ अकरा हाई कोर्ट में अपील की थी, जिस पर हाई कोर्ट ने उनके पक्ष में फैसला दिया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को खारिज कर दिया।
शीर्ष अदालत की पांच सदस्यीय पीठ ने कहा, 'हाई कोर्ट को इस मामले में फैसला देने का कानूनी अधिकार नहीं था, क्योंकि शिवराम ने कोर्ट जाने से पहले जरूरी प्रशासनिक प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया था। निवास और वर्क परमिट रद होने के बाद उन्हें आव्रजन कानून के मुताबिक, सात दिनों के भीतर गृह मंत्रालय में अपील करनी चाहिए थी। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। शिवराम की कंपनी जय माई कम्युनिकेशन के कर्मचारी उनकी घाना वापसी के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं। यह कंपनी फाइबर ऑप्टिकल केबल लगाने का काम करती है।