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ईरान : भारतीय कंपनियों को अपने ही खोजे फरजाद-बी गैस फील्ड से धोना पड़ सकता है हाथ

फरजाद-बी नामक इस क्षेत्र की ओवीएल ने वर्ष 2008 में खोज की थी। क्षेत्र के विकास पर ओवीएल और उसकी सहयोगियों की तरफ से 11 अरब डॉलर (वर्तमान भाव पर 82500 करोड़ रुपये) निवेश का वादा भी किया गया था।

By Neel RajputEdited By: Published: Mon, 19 Oct 2020 09:10 AM (IST)Updated: Mon, 19 Oct 2020 09:10 AM (IST)
ईरान : भारतीय कंपनियों को अपने ही खोजे फरजाद-बी गैस फील्ड से धोना पड़ सकता है हाथ
ओवीएल ने साल 2008 में की थी फरजाद-बी गैस फील्ड की खोज

नई दिल्ली, प्रेट्र। ओएनजीसी विदेश लिमिटेड (ओवीएल) द्वारा ईरान में खोजे गए एक बड़े गैस क्षेत्र के विकास और खनन गतिविधियों से भारत बाहर होने के कगार पर है। सूत्रों का कहना है कि ईरान ने इस तेल क्षेत्र के विकास का जिम्मा विदेशी कंपनियों की जगह किसी घरेलू कंपनी को देने का फैसला किया है। फरजाद-बी नामक इस क्षेत्र की ओवीएल ने वर्ष 2008 में खोज की थी। क्षेत्र के विकास पर ओवीएल और उसकी सहयोगियों ने 11 अरब डॉलर (वर्तमान भाव पर 82,500 करोड़ रुपये) निवेश का वादा भी किया था। लेकिन वर्षों तक इस प्रस्ताव की अनदेखी करने के बाद ईरान की राष्ट्रीय तेल कंपनी एनआइओसी ने ओवीएल को इस वर्ष फरवरी में बताया कि वह फरजाद-बी में कंपनी के साथ करार खत्म करने का इरादा रखती है।

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ओवीएल ने उसके बाद भी इस क्षेत्र के विकास के लिए एनआइओसी से बातचीत जारी रखी और मूल्यांकन के लिए उससे प्रस्तावित करारी की शर्ते साझा करने को कहा। लेकिन ईरान ने अभी तक इस पर कोई जवाब नहीं दिया है। सूत्रों के मुताबिक अपुष्ट खबर यह है कि ईरान ने इस क्षेत्र के विकास के लिए एक स्थानीय कंपनी को ही ठेका देने का फैसला किया है। फरजाद-बी में करीब 21.7 लाख करोड़ घनफीट गैस का भंडार है। इसके करीब 60 प्रतिशत हिस्से का खनन हो सकता है। यहां रोजाना 101 करोड़ घनफीट गैस उत्पादन संभव है। हालांकि ओवीएल ने अभी उम्मीदें नहीं छोड़ी हैं और वह इस बारे में ईरान सरकार से लगातार बात कर रही है।

ओवीएल इस परियोजना के परिचालन में 40 प्रतिशत हिस्सेदारी की इच्छुक थी। उसके साथ इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आइओसी) 40 प्रतिशत और ऑयल इंडिया लि (ओआइएल) 20 प्रतिशत की हिस्सेदार थीं।

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यह है घटनाक्रम

- ओवीएल ने गैस खोज सेवा के लिए अनुबंध 25 दिसंबर, 2002 को किया था

- एनओआइसी ने इस परियोजना को अगस्त, 2008 में वाणिज्यिक तौर पर व्यावहारिक घोषित किया

- ओवीएल ने अप्रैल, 2011 में इस गैस फील्ड के विकास का प्रस्ताव एनआइओसी के सामने रखा था

- अप्रैल, 2015 में ईरान के पेट्रोलियम अनुबंध के नए नियम के तहत बातचीत फिर शुरू हुई

- अप्रैल, 2016 में परियोजना के विकास के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से बात होने के बावजूद किसी निर्णय पर नहीं पहुंचा जा सका

- अमेरिका द्वारा ईरान पर नवंबर, 2018 में फिर आíथक पाबंदी लगाने से तकनीकी बातचीत पूरी नहीं की जा सकी


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