तनाव के माहौल में भारत ने थामा दक्षिण कोरिया का हाथ
दक्षिण कोरिया भारत-अमेरिका-जापान-आस्ट्रेलिया के बीच बन रहे रणनीतिक गठबंधन को काफी उत्सुकता से देख रहा है।
जयप्रकाश रंजन, सियोल। उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग-उन के लगातार आक्रामक तेवर की वजह से कोरियाई पेनिनसुला में तनाव चरम पर पहुंच गया है। वैश्रि्वक कूटनीतिक के जानकार अब तीसरे युद्ध की आशंका तक जता रहे हैं। ऐसे में भारत ने साम्यवादी दौर के रिश्तों को किनारे कर लोकतांत्रिक व आधुनिक देश दक्षिण कोरिया के साथ अपने रणनीतिक रिश्तों को बेहद तेजी से मजबूत करने पर जोर देना शुरु कर दिया है। दक्षिण कोरिया ने भी भारत को अपनी कूटनीति के लिहाज से दुनिया के पांच सबसे अहम देशों में शामिल कर यह जता दिया है कि वह दोनो देशों के रिश्तों को सिर्फ कारोबार तक सीमित ही नहीं रखना चाहता। अगर सब कुछ ठीक रहा तो भारत और दक्षिण कोरिया के नौ सेना के बीच बहुत जल्द ही पहला युद्धक अभ्यास शुरु होगा। दक्षिण कोरिया भारत-अमेरिका-जापान-आस्ट्रेलिया के बीच बन रहे रणनीतिक गठबंधन को काफी उत्सुकता से देख रहा है।
दक्षिण कोरिया में भारत के राजदूत विक्रम दुरैस्वामी का कहना है कि भारत और दक्षिण कोरिया के बीच पहले से ही एक खास रणनीतिक रिश्ते बन चुके हैं। हम सिर्फ कारोबारी रिश्ते नहीं बना रहे बल्कि एक मजबूत राजनीतिक व अन्य रिश्तों को बनाना चाह रहे हैं। पीएम नरेंद्र मोदी यहां वर्ष 2015 में आये थे उसके बाद से भारत के विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर परीक्कर, वित्त मंत्री अरुण जेटली, रेल मंत्री, वाणिज्य मंत्री, सूचना प्रोद्योगिकी मंत्री, मानव संसाधन विकास मंत्री, विज्ञान व तकनीकी मंत्री, लोकसभा अध्यक्ष व उपाध्यक्ष, सुप्रीम कोर्ट के जज के अलावा नौ राज्यों के मुख्यमंत्री व कई विभागों के आला अधिकारियों का दौरा पिछले दो वषरें में हो चुका है। सैन्य स्तर पर लगातार बातचीत हो रही है। दोनो देशों की नौ सेनाओं के बीच कुछ ही दिनों के बीच वार्ता शुरु होने जा रही है। कई स्तर पर हथियारों की खरीद की बातचीत हो रही है और कुछ मामलों में समझौते हो चुके हैं। यह बताता है कि हम एक बेहद गहरे रणनीतिक ताल्लुक की तरफ बढ़ रहे हैं। मुझे लगता है कि दक्षिण कोरिया में इस बात को लेकर आम सहमति है कि उनकी अगले 25 वषरें की विकास योजना में भारत का स्थान अहम होगा।
भारत की अहमियत ही है कि दक्षिण कोरिया के रक्षा उप मंत्री यो सूक जू इस बेहद संवेदनशील समय में भी भारतीय मीडिया के प्रतिनिधियों से बात करने को तैयार हो गये। उन्होंने बताया कि संयुक्त नौ सैनिक युद्धक अभ्यास पर बातचीत काफी प्रगति कर चुकी है। हम आगे भी भारत के साथ अपने सैन्य संबंधों को और मजबूत करेंगे। उन्होंने दोनो देशों के बीच माइंसस्वीपर (समुद्री तट पर लगाये जाने वाले विस्फोटक माइंस को खोजकर नाकाम करने वाले नौ सैनिक जहाज) बनाने को लेकर जारी बातचीत पर उन्होंने संतोष जताया कि यह सही दिशा में आगे बढ़ रही है। सनद रहे कि इस सरकारी कंपनी गोवा शिपयार्ड लिमिटेड और कोरिया की कंपनी कंगनम प्रोडक्शंस के बीच तकरीबन 33 हजार करोड़ रुपये की इस योजना को लेकर बातचीत चल रही है।
दैनिक जागरण ने दक्षिण कोरिया में रक्षा मंत्रालय से जुड़े कुछ लोगों से बात की और उन्होंने पूरा विश्र्वास जताया कि उनका देश भारत की सुरक्षा से जुड़े कई चिंताओं को दूर करने में सक्षम है। इसका एक उदाहरण भारत की कंपनी एल एंड टी और कोरियाई कंपनी हान्वा टेकविन के बीच किये गये करार से दिया जा सकता है जो के-9 तोप बनाने के लिए हुआ है। ये अधिकारी बताते हैं कि उनका चयन इसलिए हुआ कि वे भारत को जिस तरह का तोप चाहिए था उससे भी बेहतर तोप उनकी कीमत के दायरे में देने को तैयार हो गये। साथ ही दक्षिण कोरिया को अपनी तकनीकी हस्तांतरण को लेकर भी दुनिया के दूसरे हथियार निर्माता देशों की तरह कोई आपत्ति नहीं होती। वह भारत जो भी हथियार खरीदेगा उसकी तकनीकी भी देने को तैयार है।