अरबों डॉलर की गैस पाइपलाइन परियोजना पर 'TAPI' देशों ने की वार्ता
पाकिस्तान के साथ खराब संबंधों के चलते इस परियोजना पर भारत की प्रतिबद्धता पर शुरु से ही सवाल उठाया जा रहा है।
तुर्कमेनिस्तान (एएफपी)। तुर्कमेनिस्तान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान और भारत (TAPI) की महत्वाकांक्षी बहु अरब डॉलर की गैस पाइप लाइन परियोजना से दक्षिण एशिया में ऊर्जा की कमी को समाप्त करने में मदद मिलेगी। इस सिलसिले में अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी, तुर्कमेन के समकक्ष गुरबांग्ली बिरडीमुकमदोव, पाकिस्तानी प्रधान मंत्री शाहिद खाकन अब्बासी और भारत के विदेश मंत्री श्री एम जे अकबर ने मुलाकात की। इस दौरान तुर्कमेनिस्तान में विदेशी राजनयिकों सहित गणमान्य व्यक्तियों को तुर्कमेन राष्ट्रीय गीतों के साथ स्वागत किया गया। साथ ही सर्केताबाट में पारंपरिक भोजन से भी उनकी मेजबानी की गई।
समारोह में बोलते हुए, गनी ने कहा कि ये पाइपलाइन दक्षिण एशियाई देशों को एकजुट करेगी। पहले इसे लेकर लोगों में सहमति नहीं थी लेकिन अब हम टापी गैस पाइपलाइन के निर्माण को देख रहे हैं जो चार देशों के नाम से जाना जाएगा। 1,840 किलोमीटर लंबे इस गैस पाइपलाइन को पूरा करने और 2020 तक पूरा करने का लक्ष्य है। बताया जाता है कि गैस पाइपलाइन युद्धग्रस्त अफगानिस्तान को पार करता हुआ जाएगा, जिससे सुरक्षा संबंधी चिंता बढ़ जाएगी। बता दें कि, तुर्कमेनिस्तान वर्तमान में चीन पर अपने प्राकृतिक गैस निर्यात के लिए एक बाजार के रूप में निर्भर करता है।
उन्होंने कहा कि तुर्कमेन भाग पर पाइपलाइन निर्माण का काम अभी भी चल रहा है। पाकिस्तान के साथ खराब संबंधों के चलते इस परियोजना पर भारत की प्रतिबद्धता पर शुरु से ही सवाल उठाया जा रहा है। लेकिन भारतीय विदेश मंत्री ने समारोह के दौरान गैस पाइपलाइन को अपने लक्ष्यों का प्रतीक बताया। हालांकि विशाल गैस पाइप लाइन के लिए समग्र वित्त पोषण अभी भी अस्पष्ट है। आपको बता दें कि, तुर्कमेनिस्तान विश्व का चौथा सबसे बड़ा गैस भंडारण वाला देश है, लेकिन रूस में विशाल उर्जा कंपनी गज़प्रॉम के कारण 2016 से ही तुर्कमेन से गैस की खरीदारी बंद कर दी।