Move to Jagran APP

भारत और फ्रांस की नौसेना का सबसे बड़ा युद्धाभ्यास, चीन को साधने की कोशिश

फ्रांसीसी विमानवाहक पोत चा‌र्ल्स द गाल भारत आ चुका है। भारत और फ्रांस का अब तक का सबसे बड़ा 17 वां वार्षिक नौसैनिक अभ्यास शुरू हो गया है।

By NiteshEdited By: Published: Fri, 10 May 2019 08:10 PM (IST)Updated: Fri, 10 May 2019 08:10 PM (IST)
भारत और फ्रांस की नौसेना का सबसे बड़ा युद्धाभ्यास, चीन को साधने की कोशिश
भारत और फ्रांस की नौसेना का सबसे बड़ा युद्धाभ्यास, चीन को साधने की कोशिश

एएफपी। फ्रांसीसी विमानवाहक पोत चा‌र्ल्स द गाल भारत आ चुका है। भारत और फ्रांस का अब तक का सबसे बड़ा 17 वां वार्षिक नौसैनिक अभ्यास शुरू हो गया है। इसके चलते मालवाही जहाजों का रास्ता बदल दिया गया है। नाम नहीं लिया गया है लेकिन यह चीन की ओर से बढ़ रही चुनौती, नए क्षेत्रों पर उसके दावे और दक्षिण चीन सागर पर उसके बढ़ते कब्जे को ध्यान में रखकर हो रहा है।

loksabha election banner

फ्रांसीसी नौसैनिक बेड़े का नेतृत्व कर रहे रियर एडमिरल ओलिवर लेबस ने कहा, हम क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ाने की सोच से अभ्यास कर रहे हैं। यह क्षेत्र (हिंद महासागर) सामरिक और अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण है। इसलिए यहां के हालात बिगड़ने नहीं चाहिए। फ्रांस के बेड़े में उसका अकेला विमानवाहक पोत भी शामिल है। एशिया और यूरोप के बीच होने वाला ज्यादातर व्यापार, मध्य-पूर्व से बड़ी मात्रा में आने वाला तेल इसी रास्ते होकर आता है। यहां समुद्र के नीचे बड़े तेल और गैस भंडार हैं। समुद्र के भीतर बड़ी संख्या में संचार केबल बिछी हुई हैं। इसलिए इस क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनी रहनी जरूरी है।

18 महीने से चल रही थी तैयारी
42 हजार टन के वजन वाले विमानवाहक पोत चा‌र्ल्स द गाल के साथ 12 बड़े युद्धपोत और पनडुब्बी (दोनों देशों की छह-छह) इस 17 वें वार्षिक युद्धाभ्यास में भाग ले रहे हैं। विमानवाहक पोत के 261 मीटर लंबे रनवे से राफेल लड़ाकू विमान उड़ान भरेंगे और उतरेंगे। इन विमानों की तैनाती चा‌र्ल्स द गाल पर है। यह अभ्यास गोवा के समुद्र तट के नजदीक चल रहा है। फ्रांस के अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि यह दोनों देशों के बीच अभी तक का सबसे बड़ा नौसैनिक अभ्यास है। इसके महत्व का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसकी 18 महीने से तैयारी चल रही थी।

चीन की हरकतें क्षेत्र में नहीं चलने देंगे
हिंद महासागर पर भारत का परंपरागत रूप से प्रभुत्व रहा है। लेकिन चीन की बढ़ती ताकत और उसकी हरकतों ने हिंद महासागर क्षेत्र की स्थिरता को लेकर शंकाएं पैदा की हैं। चीन ने हिंद महासागर में न केवल युद्धपोतों की तैनाती की है बल्कि उसकी पनडुब्बियां भी पानी के भीतर घूमती रहती हैं। इतना ही नहीं वन बेल्ट-वन रोड (ओबीओआर) अभियान के तहत उसने भारत के कड़े विरोध के बावजूद अपने मालवाही जहाजों के लिए अलग से लेन भी निर्धारित कर दी है। फ्रांसीसी नौसेना के क्षेत्रीय प्रमुख रियर एडमिरल डीडियर माल्तेरे ने कहा है कि चीन जैसा अपने नजदीक के समुद्री क्षेत्र में कर रहा है, वैसा हम हिंद महासागर में नहीं होने दे सकते।

लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.