भारत की आठ वर्षीय पर्यावरण कार्यकर्ता ने दुनिया को याद दिलाया उसका दायित्व, जानें क्या कहा
UN के जलवायु परिवर्तन सम्मेलन COP25 के दौरान कंगुजाम ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव से गुरुवार को मुलाकात की और दुनिया के बच्चों की ओर से एक ज्ञापन प्रस्तुत किया।
मैड्रिड, पेट्र। COP25 जलवायु सम्मेलन में भारत की आठ वर्षीय जलवायु कार्यकर्ता लिसिप्रिया कांगुजम की उपस्थिति यादगार रही। उसने दुनिया को भावी पीढ़ियों के प्रति उसके दायित्यों को याद दिलाया। यह जानकारी संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख एंटोनियो गुटेरेस ने दी। संयुक्त राष्ट्र के जलवायु परिवर्तन सम्मेलन COP25 के दौरान कंगुजाम ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव से गुरुवार को मुलाकात की और दुनिया के बच्चों की ओर से एक ज्ञापन प्रस्तुत किया। COP25 सम्मेलन 2-13 दिसंबर से स्पेनिश राजधानी मैड्रिड में आयोजित किया गया है। उसके पिता केके सिंह ने कहा कि चार पन्नों के ज्ञापन में सुझाव दिया गया है कि जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए और अधिक ठोस कार्यों के साथ हम सभी के लिए एक बेहतर दुनिया का निर्माण करें।
सिंह ने कहा कि मणिपुर की युवा जलवायु कार्यकर्ता ने जलवायु संकट से लड़ने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का एक विशेष सत्र बुलाने की भी मांग की । संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि मुझे आज COP25 सम्मेलन में आठ वर्षीय लिसिप्रिया कांगुजम से मिलकर खुशी हुई। उसकी उपस्थिति हमें आने वाली पीढ़ियों के लिए हमारे दायित्वों की याद दिलाती है। उसकी वह पीढ़ी है, जिसके लिए हमें तत्काल जलवायु को लेकर एक्शन लेना होगा। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव ने गुरुवार को इस बारे में ट्वीट किया।
यहां COP25 जलवायु सम्मेलन में बोलते हुए इस कार्यकर्ता जो पहले से ही जलवायु परिवर्तन पर 21 देशों में जलवायु परिवर्तन को लेकर बात कर चुकी है, ने दुनिया को उनके संकल्प की झलक दी क्योंकि उन्होंने वैश्विक नेताओं से जलवायु परिवर्तन के खिलाफ अब काम करने का आग्रह किया। पिछले हफ्ते स्पैनिश अखबारों में लाइमलाइट आने के बाद उस छोटी से लड़की को भारत की ग्रेटा थनवर्ग के रूप में बता कर जमकर तारीफ की थी।
16 वर्षीय ग्रेटा थनवर्ग को बुधवार को टाइम मैगजीन ने 21019 का टाइम ऑफ इयर घोषित किया गया है। COP25 में मंगलवार को एक उच्च स्तरीय कार्यक्रम के दौरान लिसिप्रिया कंगुजम ने अपने भाषण से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उसका कहना है कि मैं दुनिया के नेताओं को यह बताने के लिए यहां आई हूं कि यह समय कदम उठाने का है क्योंकि यह वास्तविक जलवायु आपातकाल का दौर है।
इस सम्मेलन से बदली जिंदगी
छह साल की उम्र में लिसिप्रिया को 2018 में मंगोलिया में आपदा मसले पर हुए मंत्री स्तरीय शिखर सम्मेलन में बोलने का अवसर मिला था। उन्होंने कहा, 'इस सम्मेलन से मेरी जिंदगी बदल गई। मैं आपदाओं के चलते जब बच्चों को अपने माता-पिता से बिछड़ते देखती हूं तो रो पड़ती हूं।'
छोड़ना पड़ा स्कूल
लिसिप्रिया का जन्म इंफाल में हुआ है, लेकिन वह आमतौर पर पूरे समय शहर से बाहर रहती हैं। वह ज्यादातर दिल्ली और भुवनेश्वर में रहती है। जलवायु परिवर्तन के मसले पर जुनून के चलते वह स्कूल नहीं जा पाती थीं। इस कारण उन्होंने पिछले फरवरी में स्कूल छोड़ दिया।
स्पेन सरकार ने उठाया खर्च
लिसिप्रिया के पिता केके सिंह के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र ने शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए बेटी को आमंत्रित किया था। लेकिन तब हमें लगा था कि स्पेन जाने के खर्च का कैसे प्रबंध होगा? इसके लिए ईमेल के जरिये कई मंत्रियों से मदद की गुहार लगाई गई, लेकिन कोई जवाब नहीं आया। बाद में भुवनेश्वर के एक व्यक्ति ने मैड्रिड के लिए टिकट बुक कर दिया। पिछले 30 नवंबर को मैड्रिड रवाना होने से एक दिन पहले एक ईमेल मिला, जिसमें लिखा था कि उनकी 13 दिन की यात्रा का खर्च स्पेन सरकार वहन करेगी।