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समस्याओं से घिरे अफगानिस्तान में खलने लगी भारत की कमी, हर मोर्चे पर मिलती रही मदद

अफगानिस्तान की नागर विमानन क्षमता में विस्तार के लिए भारत ने उसे तीन एयरबस विमान व जरूरी पुर्जे प्रदान किए थे। भारत ने वर्ष 2005 में देश के 11 प्रांतों में संचार व्यवस्था बहाल करने व डिजिटल टेलीफोन एक्सचेंज तथा पावर हाउस की स्थापना में भी बड़ी मदद की।

By Monika MinalEdited By: Published: Sun, 05 Dec 2021 02:10 AM (IST)Updated: Sun, 05 Dec 2021 03:00 PM (IST)
समस्याओं से घिरे अफगानिस्तान  में खलने लगी भारत की कमी, हर मोर्चे पर मिलती रही मदद
समस्याओं से घिरे अफगानिस्तान में खलने लगी भारत की कमी

काबुल, एएनआइ।  मानवीय समस्याओं का सामना कर रहे अफगानिस्तान की सत्ता में काबिज तालिबान के लिए भारत से दूरी नुकसानदेह साबित हो रही है। विश्लेषकों का मानना है कि अफगानिस्तान के विकास में भारत की कमी साफ दिखने लगी है। पिछले दो दशकों में भारत ने सेना से लेकर शिक्षा तक, हर क्षेत्र में अफगानिस्तान की बड़ी मदद की है।

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भारत ने की है अनाज से लेकिर हथियार तक की आपूर्ति 

एशियन लाइट समाचार पत्र के अनुसार, भारत ने अफगानिस्तानी वायुसेना को वर्ष 2015 में चार एमआइ-25 लड़ाकू हेलीकाप्टरों की आपूर्ति की थी व आर्मी को 285 वाहन दिए थे। वर्ष 2009 में जब अफगानिस्तान में अनाज संकट पैदा हो गया था, तब भारत ने 2.5 लाख टन गेहूं उपलब्ध कराया था। भारत ने काबुल स्थित इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट आफ चाइल्ड हेल्थ का पुननिर्माण कराया था।

नागर विमानन क्षमता के विकास में भी रहा है भारत का योगदान

रिपोर्ट के मुताबिक, अफगानिस्तान की नागर विमानन क्षमता में विस्तार के लिए भारत ने उसे तीन एयरबस विमान व जरूरी पुर्जे प्रदान किए थे। कर्मचारियों को प्रशिक्षण भी दिया था। भारत ने वर्ष 2005 में देश के 11 प्रांतों में संचार व्यवस्था बहाल करने व डिजिटल टेलीफोन एक्सचेंज तथा पावर हाउस की स्थापना में भी बड़ी मदद की। वर्ष 2001 के आखिर में 400 बसें उपलब्ध कराईं। हबीबिया स्कूल, काबुल के पुनर्निर्माण में मदद की और हर साल 500 अफगानी विद्यार्थियों के लिए दीर्घकालिक छात्रवृत्ति की व्यवस्था की।

बता दें कि भारत से अफगानिस्तान को मदद के तौर पर पांच लाख क्विंटल गेहूं  और जीवनरक्षक दवाएं भेजने के लिए मार्ग देने की मजबूरी में घोषणा करने वाला पाकिस्तान अब आपूर्ति में अड़ंगे लगा रहा है। प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) द्वारा मार्ग देने की घोषणा करने और भारत सरकार को इस बाबत जानकारी देने के बाद पाकिस्तान सरकार ने शर्त रख दी है कि वाघा (अटारी) सीमा मार्ग से होकर जाने वाला माल पाकिस्तान की सीमा से लेकर अफगानिस्तान तक पाकिस्तानी ट्रकों में जाएगा।


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