भारतीयों के पैसे से मालामाल हो रहे ये देश, फंड ट्रांसफर के लिए 15 हजार करोड़ की फीस
इस सेवा में भारतीयों को करीब 15 हजार करोड़ रुपये की चपत लग रही है। इस फीस को देने के मामले में भारत और चीन अग्रणी देश हैं।
By Ramesh MishraEdited By: Published: Wed, 06 Feb 2019 02:54 PM (IST)Updated: Thu, 07 Feb 2019 07:41 AM (IST)
नई दिल्ली [ जागरण स्पेशल ]। विदेश में रह रहे भारतीयों की गाढ़ी कमाई का एक बड़ा हिस्सा फंड ट्रांसफर के सर्विस टैक्स में चला जाता है। जी हां, यदि आप विदेश से अपने घर वालों को रकम भेजते हैं तो उसका एक बड़ा हिस्सा इस सेवा में लगने वाली फीस में चला जाता है। दरअसल, विदेश में रहने वाले भारतीय जब अपने घरों पर पैसा भेजते हैं तो उक्त देश के बैंक फंड ट्रांसफर की फीस के नाम पर बड़ी रकम आपसे वसूल करते हैं। यह रकम आपके घर पर नहीं, बल्कि उक्त देश के बैंक में चली जाती है। इस सेवा में भारतीयों को करीब 15 हजार करोड़ रुपये की चपत लग रही है। इस फीस को देने के मामले में भारत और चीन अग्रणी देश हैं। हालांकि, पूरी दुनिया में इस सेवा के लिए करीब 52 बिलियन डालर रकम जाती है।
भारत से फंड ट्रांसफर के लिए सर्विस टैक्स वसूलने में अग्रणी पांच मुल्क
यूएइ में रहने वाले भारतीयों का इस सेवा पर सर्वाधिक पैसा खर्च होता है। भारत में फंड ट्रांसफर पर लगने वाले सर्विस टैक्स पर करीब 471 मिलियन डॉलर यूएई के बैंक हड़प लेते हैं। यानी करीब 26 फीसद हिस्सा यूएई से होने वाले फंड ट्रांसफर की सेवा में चला जाता है। दूसरे, नंबर पर सऊदी अरब है। कुल सर्विस टैक्स में 11.6 फीसद हिस्सा करीब 250 मिलियन डॉलर सऊदी से होने वाले फंड ट्रांसफर की सेवा के रूप में चला जाता है। इस सेवा के लिए अमेरिका 247 मिलियन डॉलर वसूल करता है। कतर और कुवैत क्रम से चौथे और पांचवें नंबर पर हैं। कतर 168.9 मिलियन डॉलर और कुबैत 93.3मिलियन डॉलर इस सेवा से वसूलता है। भारत ने 2017 में करीब 68.97 बिलियन डॉलर फंड ट्रांसफर के लिए सर्विस टैक्स के रूप दिया।
टोंगा के जीडीपी का 36 फीसद हिस्सा सर्विस टैक्स से
दुनिया के अधिकतर मुल्कों की जीडीपी में इस सेवा का अहम योगदान रहता है। टोंगा दुनिया का ऐसा मुल्क है जो अपनी कुल जीडीपी का 36 फीसद हिस्सा इस सर्विस टैक्स से कमाता है। दक्षिण एशिया के मुल्कों के जीडीपी में इस सेवा का सबसे कम योगदान है।
फंड ट्रांसफर में सेवा कर देने वाले दुनिया के पांच बड़े मुल्क
वर्ष 2018 में दुनिया में फंड ट्रांसफर के लिए सेवा कर देने में भारत सबसे अग्रणी देश है। इस सेवा में 795 बिलियन डॉलर की रकम विदेश के बैंक हड़प लेते हैं। यह रकम भारत को नहीं मिलती है। दूसरे स्थान पर चीन है। इस सेवा के लिए वह 674 बिलियन डॉलर देता है। तीसरे नंबर पर फिलीपींस है। फंड ट्रांसफर के लिए उसने 34 बिलियन डॉलर दिया। चौथे नंबर पर मैक्सिको और पांचवें नंबर पर फ्रांस है। मैक्सिकों 34 बिलियन डॉलर और फ्रांस 28 बिलियन डॉलर का इस सेवा पर लगा।
सेवा कर पर चिंतित हुई दुनिया
दुुनिया में इस सेवा कर से दुनिया के कई मुल्कों ने चिंता जताई है। जी-20 के सदस्य देशाें ने फंड ट्रांसफर की सेवा कर में कटौती की मांग की है। समूह देशों ने पांच फीसद कटौती का सुझाव दिया है। हालांकि, संयुक्त राष्ट्र ने तीन फीसद कटौती की बात कही है।
भारत से फंड ट्रांसफर के लिए सर्विस टैक्स वसूलने में अग्रणी पांच मुल्क
यूएइ में रहने वाले भारतीयों का इस सेवा पर सर्वाधिक पैसा खर्च होता है। भारत में फंड ट्रांसफर पर लगने वाले सर्विस टैक्स पर करीब 471 मिलियन डॉलर यूएई के बैंक हड़प लेते हैं। यानी करीब 26 फीसद हिस्सा यूएई से होने वाले फंड ट्रांसफर की सेवा में चला जाता है। दूसरे, नंबर पर सऊदी अरब है। कुल सर्विस टैक्स में 11.6 फीसद हिस्सा करीब 250 मिलियन डॉलर सऊदी से होने वाले फंड ट्रांसफर की सेवा के रूप में चला जाता है। इस सेवा के लिए अमेरिका 247 मिलियन डॉलर वसूल करता है। कतर और कुवैत क्रम से चौथे और पांचवें नंबर पर हैं। कतर 168.9 मिलियन डॉलर और कुबैत 93.3मिलियन डॉलर इस सेवा से वसूलता है। भारत ने 2017 में करीब 68.97 बिलियन डॉलर फंड ट्रांसफर के लिए सर्विस टैक्स के रूप दिया।
टोंगा के जीडीपी का 36 फीसद हिस्सा सर्विस टैक्स से
दुनिया के अधिकतर मुल्कों की जीडीपी में इस सेवा का अहम योगदान रहता है। टोंगा दुनिया का ऐसा मुल्क है जो अपनी कुल जीडीपी का 36 फीसद हिस्सा इस सर्विस टैक्स से कमाता है। दक्षिण एशिया के मुल्कों के जीडीपी में इस सेवा का सबसे कम योगदान है।
फंड ट्रांसफर में सेवा कर देने वाले दुनिया के पांच बड़े मुल्क
वर्ष 2018 में दुनिया में फंड ट्रांसफर के लिए सेवा कर देने में भारत सबसे अग्रणी देश है। इस सेवा में 795 बिलियन डॉलर की रकम विदेश के बैंक हड़प लेते हैं। यह रकम भारत को नहीं मिलती है। दूसरे स्थान पर चीन है। इस सेवा के लिए वह 674 बिलियन डॉलर देता है। तीसरे नंबर पर फिलीपींस है। फंड ट्रांसफर के लिए उसने 34 बिलियन डॉलर दिया। चौथे नंबर पर मैक्सिको और पांचवें नंबर पर फ्रांस है। मैक्सिकों 34 बिलियन डॉलर और फ्रांस 28 बिलियन डॉलर का इस सेवा पर लगा।
सेवा कर पर चिंतित हुई दुनिया
दुुनिया में इस सेवा कर से दुनिया के कई मुल्कों ने चिंता जताई है। जी-20 के सदस्य देशाें ने फंड ट्रांसफर की सेवा कर में कटौती की मांग की है। समूह देशों ने पांच फीसद कटौती का सुझाव दिया है। हालांकि, संयुक्त राष्ट्र ने तीन फीसद कटौती की बात कही है।
Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें