हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को इस तरह से अपंग बनाता है कवक
शोधकर्ताओं ने बताया कि कवक एस्परगिलस फ्यूमिगेटस हमारे घरों में कुशन, पर्दे, फर्श पर सामान्य रूप से पाया जाता है। यह सूक्ष्म बीजाणु होते हैं जो हवा के माध्यम से उड़कर आते हैं।
बर्लिन, प्रेट्र। वैज्ञानिकों ने यह खोज लिया है कि कैसे पृथ्वी पर हर जगह पाया जाने वाला एक आम कवक हमारे शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र को अपंग बना देता है और एक घातक संक्रमण विकसित कर सकता है। शोधकर्ताओं ने बताया कि कवक एस्परगिलस फ्यूमिगेटस हमारे घरों में कुशन, पर्दे, फर्श पर सामान्य रूप से पाया जाता है। यह सूक्ष्म बीजाणु होते हैं जो हवा के माध्यम से उड़कर आते हैं। यह बीजाणु अगर स्वस्थ मनुष्य के शरीर में पहुंचते हैं तो नुकसान नहीं पहुंचा पाते क्योंकि उनका प्रतिरक्षा तंत्र मजबूत होता है।
जबकि, यह कवक उन लोगों के प्रतिरक्षा तंत्र को बेकार कर देता है जिनमें कोई ऑर्गन ट्रांसप्लांटेशन हुआ हो या एड्स के रोगी हों क्योंकि ऐसे लोगों का प्रतिरक्षा तंत्र कमजोर होता है। जर्मनी के फ्रेड्रिक शिलर यूनिवर्सिटी की ओलिवर व्रेज की एक टीम ने अब खोज लिया है कि कैसे कवक प्रतिरक्षा तंत्र को अपंग बनाता है।
सेल केमिक ल बॉयोलॉजी जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में बताया गया कि एस्परगिलस फ्यूमिगेटस में ग्लियोटॉक्सिन पाया जाता है। जो कि रोगजनक के लिए उत्तरदायी होता है। यही प्रतिरक्षा प्रणाली की कोशिकाओं की गतिविधि को कमजोर करता है।
ऐसे किया प्रयोग
वैज्ञानिक इसे समझने के लिए ग्लियोटॉक्सिन को प्रतिरक्षा कोशिकाओं के संपर्क में लाए। प्रतिरक्षा प्रणाली की पहली पंक्ति का प्रतिनिधित्व न्यूट्रोफिलिक ग्रैन्यूलोसाइट्स नामक कोशिकाएं करती हैं। जैसे ही कवक कोशिकाओं के संपर्क में आया। कोशिकाओं ने रक्त में एक विशेष संदेश भेज दिया, जिससे दूसरी प्रतिरक्षा कोशिकाएं उस संदेश से आकर्षित होकर एक जगह पर इकट्ठा हो गईं और कवक को बेकार कर शरीर की रक्षा कर ली। लेकिन, जब प्रतिरक्षा तंत्र कमजोर होता है तो पहली पंक्ति की कोशिकाएं रक्त में सिग्नल नहीं भेज पातीं। जिसकी वजह से कवक आसानी से प्रतिरक्षा प्रणाली में सेंध लगा देता है।