Move to Jagran APP

चीनी मूल के इस 73 वर्षीय शख्‍स से क्‍यों घबड़ाती है चीन की सरकार, हांगकांग के इस महानायक को कहा जाता है 'गद्दार'

चीनी मूल के जिम्मी लाई से चीन की कम्‍युनिस्‍ट पार्टी भी घबड़ाती है। हांगकांग के लोकतंत्र समर्थकों के बीच वह बेहद प्र‍िय है। लोकतंत्र समर्थक उन्‍हें अपना नायक मानते हैं। उधर चीन की सरकार उन्‍हें गद्दार के रूप में देखती है।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Sun, 18 Apr 2021 03:40 PM (IST)Updated: Sun, 18 Apr 2021 03:56 PM (IST)
चीनी मूल के इस 73 वर्षीय शख्‍स से क्‍यों घबड़ाती है चीन की सरकार, हांगकांग के इस महानायक को कहा जाता है 'गद्दार'
चीनी मूल के इस 73 वर्षीय शख्‍स से क्‍यों घबड़ाती है चीन की सरकार। स्रोत-एजेंसी।

नई दिल्‍ली, ऑनलाइन डेस्‍क। एक ओर जहां पूरी दुनिया कोरोना महामारी के प्रकोप से जूझ रही है, वहीं दूसरी ओर चीन, हांगकांग में लोकतंत्र समर्थकों को सबक सिखाने में जुटा है। शुक्रवार को हांगकांग में चीन के राष्‍ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत एक बुजुर्ग शख्‍स जिम्मी लाई को सजा सुनाई गई। चीनी मूल के इस शख्‍स से चीन की कम्‍युनिस्‍ट पार्टी भी घबड़ाती है। हांगकांग के लोकतंत्र समर्थकों के बीच वह बेहद प्र‍िय है। लोकतंत्र समर्थक उन्‍हें अपना नायक मानते हैं। उधर, चीन की सरकार उन्‍हें गद्दार के रूप में देखती है। आइए जानते हैं उस शख्‍स के बारे में जिसका भय चीन की कम्‍युनिस्‍ट सत्‍ता को भी है। आखिर कौन है वह शख्‍स। चीन के भय के पीछे क्‍या है बड़ी वजह।

prime article banner

जिम्‍मी पर क्‍या है आरोप

चीन के राष्‍ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत वह फरवरी में हिरासत में लिए गए थे। हांगकांग पुलिस ने उन पर छह आरोप लगाए हैं। इनमें से दो हांगकांग के राष्‍ट्रीय सुरक्षा कानून से जुडे हैं। उन पर आरोप है कि वे तख्‍तापलट और अलगाववादी गतिविधियों में शामिल हुए थे। यदि यह आरोप सही साबित हुए तो उनको उम्रकैद की सजा सुनाई जा सकती है। चीनी मूल के जिम्‍मी को कई बार मारने का प्रयास किया गया। कई दफे उनकी हत्‍या की कोशिशें हो चुकी है। इतना ही नहीं उनके घर और कंपनी मुख्‍यालय पर बम से हमले किए गए। चीन की कम्‍युनिस्‍ट सरकार की निंदा के कारण उन्‍हें पूर्व में कई परेशानियों का सामना करना पड़ा है, लेकिन जिम्‍मी ने कभी हार नहीं मानी। वह लोकतांत्रिक मूल्‍यों और लोकतंत्र समर्थकों के पक्ष में खुलकर खड़े होते रहे हैं।

तियानमेन चौक पर प्रदर्शनकारियों के पक्ष में उतरे

जिम्‍मी एक आजाद हांगकांग के हिमायती रहे हैं। हांगकांग की आजादी की रक्षा के लिए उन्‍होंने बहुत जोखिम उठाए हैं। वह चीन के लोकतंत्र विरोधी कदमों और दमन नीति का शुरू से ही विरोधी रहे हैं। 1989 में जब चीन ने तियानमेन चौक पर लोकतंत्र की मांग करने वालों प्रदर्शनकारियों से निपटने के लिए टैंकों की तैनाती की तब वह लोकतंत्र समर्थकों के पक्ष में खुलकर सामने आए थे। उस वक्‍त चीन ने बीजिंग के सभी स्‍टोरों को बंद करने की धमकी दी थी, लेकिन वह चीन की इस धमकी से विचलित नहीं हुए। जिम्‍मी ने चीन की कम्‍युनिस्‍ट पार्टी के खिलाफ एक कॉलम लिखा और नरसंहार की निंदा की थी। इसके बाद उनकी प्रकाश कपंनी हांगकांग में मशहूर हो गई। उनके इस हौसले का अमेरिका भी कायल है।

चीन के राष्‍ट्रीय सुरक्षा कानून के खिलाफ ट्रंप से मांगी थी मदद

जून, 2020 में हांगकांग के नए राष्‍ट्रीय सुरक्षा कानून को जब पार‍ित किया तो उस वक्‍त जिम्‍मी ने कहा था कि यह कानून हांगकांग के लिए मौत की सजा है। उनके इस बयान से चीन को मिर्ची लगी थी। उन्‍होंने चेतावनी दी थी कि इस कानून के बाद दुनिया के वित्‍तीय केंद्र के रूप में हांगकांग की पहचान खत्‍म हो जाएगी। जिम्‍मी ने उस वक्‍त अमेरिका के तत्‍कालीन राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप से मदद की गुहार लगाई थी। उन्‍होंने कहा था कि श्रीमान राष्‍ट्रपति कृपया हमारी सहायता करें। जिम्‍मी हांगकांग में काफी लोकप्र‍िय हैं। वहां के लोगों के मन में उनके प्रति गहरा सम्‍मान है।

फर्स से अर्श तक का सफर

  • जिम्‍मी उन चुनिंदा लोगों में हैं जिन्‍होंने अपने सिद्धांतों से समझौता किए बगैर अपने व्‍यवसायिक ह‍ितों को बरकरार रखा। चीनी मूल के जिम्‍मी लाई का जन्‍म चीन के कैंटन में एक समृद्ध परिवार में हुआ था। उनके जन्‍म के कुछ माह बाद 1949 में चीन में कम्‍युनिस्‍ट पार्टी सत्‍ता में आई।
  • कम्‍युनिस्‍ट का राज आते ही उनके परिवार का वैभव खत्‍म हो गया। इस घटना का उनके कोमल मन में गहरा प्रभाव पड़ा। 12 वर्ष की उम्र में जिम्‍मी चीन से भागकर हांगकांग आ गए। इसके बाद उन्‍होंने मछली पकड़ने का कारोबार शुरू किया।
  • शुरुआती दौर में जिम्‍मी ने कढ़ाई बुनाई का भी काम किया। धीरे-धीरे वह इस काम में रम गए। उन्‍होंने जियोर्डानों की स्‍थापना की। यह कपड़ों के मामले में एक अंतरराष्‍ट्रीय ब्रांड है। इस तरह वह एक छोटी नौकरी से करोड़ों डॉलर का साम्राज्य खड़ा करने में भी सफल रहे। 

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.