जलवायु संरक्षण पर काम करने वाली कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने किया पर्यावरण पुरस्कार लेने से इन्कार, जानिए क्यों किया ऐसा
जलवायु संरक्षण के क्षेत्र में काम करने वाली किशोर कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने पर्यावरण पुरस्कार लेने से इन्कार कर दिया है।
कोपेनहेगन (डेनमार्क), एपी। जलवायु संरक्षण के क्षेत्र में काम करने वाली किशोर कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने पर्यावरण पुरस्कार लेने से इन्कार कर दिया है। उन्होंने कहा कि जलवायु आंदोलन को अब और किसी पुरस्कार की जरूरत नहीं है। वह इसी साल सितंबर में संयुक्त राष्ट्र के जलवायु सम्मेलन में साहसिक भाषण देने के बाद वैश्विक रूप से चर्चित हो गई थीं।
स्टॉकहोम में आयोजित सम्मान समारोह में ग्रेटा की तरफ से उनके दो सहयोगियों ने विचार रखे। क्षेत्रीय अंतर संसदीय नॉर्डिक काउंसिल के पुरस्कार के लिए चयनित किए जाने पर उन्होंने आभार जताया। सोफिया और इसाबेला एक्सेल्शन ने ग्रेटा के हवाले से कहा, 'हमें बस यही चाहिए कि हमारे शासक व राजनेता शोध पर ध्यान दें।' 16 वर्षीय ग्रेटा इन दिनों कैलिफोर्निया में हैं।
नॉर्डिक काउंसिल की तरफ से हर साल साहित्य, युवा साहित्य, फिल्म, संगीत व पर्यावरण के क्षेत्र में पुरस्कार दिया जाता है। प्रत्येक पुस्कार के साथ 52 हजार अमेरिकी डॉलर की राशि भी दी जाती है। ग्रेटा को दिया जाने वाला यह कोई पहला पुरस्कार नहीं है। नॉर्वे के तीन सांसदों ने उन्हें इसी साल नोबेल शांति पुरस्कार के लिए भी नामित किया था।
स्वीडन निवासी ग्रेटा ने पाया कि विमान भी ग्लोबल वार्मिग में योगदान देते हैं। इसलिए, उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के जलवायु सम्मेलन में शामिल होने के लिए समुद्री मार्ग को अपनाया। वह पालों वाले जहाज (सेलबोट) के जरिये दो सप्ताह में अटलांटिक महासागर को पार कर न्यूयॉर्क पहुंची थीं। उन्होंने सम्मेलन में मौजूद दुनिया भर के नेताओं से ग्लोबल वार्मिग को लेकर कई सवाल किए थे और अपने भाषण में 'आपकी हिम्मत कैसे हुई' जैसी पंक्ति का कई बार इस्तेमाल किया था।
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कहा- अभियान को पुरस्कारों की आवश्यकता नहीं
बता दें कि थनबर्ग के प्रयासों के लिए उन्हें स्वीडन और नॉर्वे दोनों की ओर से नामित किया गया था। उन्होंने संगठन का सालाना पर्यावरण पुरस्कार जीता था।
एक समाचार एजेंसी ने बताया कि पुरस्कार की घोषणा के बाद थनबर्ग के एक प्रतिनिधि ने दर्शकों को बताया कि वह यह पुरस्कार और 52 हजार डॉलर की राशि स्वीकार नहीं करेंगी। उन्होंने इंस्टाग्राम पर अपने इस फैसले को साझा किया। एक पोस्ट में उन्होंने लिखा, 'जलवायु अभियान को और पुरस्कारों की आवश्यकता नहीं है। जरूरत इस बात की है कि सत्ता में बैठे लोग वर्तमान में उपलब्ध विज्ञान का अनुसरण करना शुरू कर दें।' उन्होंने यह सम्मान देने के लिए नॉर्डिक काउंसिल का आभार व्यक्त किया लेकिन जलवायु से जुड़े मुद्दों पर अपनी बात पर कायम नहीं रहने के लिए नॉर्डिक देशों की आलोचना भी की।