वायुमंडल में रिकार्ड स्तर पर पहुंची ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा
संयुक्त राष्ट्र ने वायु प्रदूषण के जानलेवा स्तर तक पहुंचने को लेकर विश्व समुदाय को अपने सालाना रिपोर्ट में दी कड़ी चेतावनी दी है।रिपोर्ट के अनुसार जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने में देरी की गुंजाइश नहीं है।
जिनेवा, एएफपी। संयुक्त राष्ट्र ने वायु प्रदूषण के जानलेवा स्तर तक पहुंचने को लेकर विश्व समुदाय को कड़ी चेतावनी दी है। उसने चेताया है कि वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों (कार्बन डाई ऑक्साइड, मिथेन, जल वाष्प आदि) की मात्रा एक नए रिकार्ड ऊंचाई तक पहुंच चुका है। इस प्राणघातक समस्या से निपटने में देरी की अब कोई गुंजाइश नहीं रह गई है। संयुक्त राष्ट्र के मौसम से संबंधित संगठन वर्ल्ड मीटीऑरलाजिकल आर्गेनाइजेशन (डब्ल्यूएमओ) ने अपनी सालाना रिपोर्ट में यह चेतावनी दी है।
डब्ल्यूएमओ प्रमुख पीटरी टालस के अनुसार, 'कार्बन डाई ऑक्साइड व अन्य ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में भारी कटौती नहीं की गई तो जलवायु परिवर्तन का धरती पर जीवन के लिए विनाशकारी असर होगा।' उनका कहना था कि इस समस्या से मुकाबले का अवसर लगभग खत्म हो चुका है। ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन कम करने को लेकर फौरी क्रांतिकारी कदम उठाने होंगे।
डब्ल्यूएमओ की ग्रीनहाउस गैस बुलेटिन शीर्षक रिपोर्ट ऐसे समय आई है, जब जलवायु परिवर्तन को लेकर वैश्विक सम्मेलन का आयोजन अगले महीने पोलैंड में होने जा रहा है। इस बीच मार्शल द्वीपसमूह गणराज्य की राजधानी मजुरो में क्लाइमेट चेंज पर आयोजित ऑनलाइन सम्मेलन को संबोधित करते हुए संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुतेरस ने इस बात पर चिंता जताई कि वैश्विक तापमान वृद्धि की समस्या से निपटने के लिए विश्व समुदाय अपेक्षित कदम नहीं उठा रहा है। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने में अब देरी कोई गुंजाइश नहीं है। इस पर फौरन कदम उठाने की जरूरत है वर्ना समय हाथ से निकल जाएगा।
डब्ल्यूएमओ की इस साल की रिपोर्ट में 2017 के आंकड़े दिए हुए हैं। इसके अनुसार, वायुमंडल में कार्बन डाई ऑक्साइड की मात्रा 2015 और 2016 के मुकाबले 2017 में ज्यादा बढ़ी है। इसके अलावा मिथेन, नाइट्रस ऑक्साइड और ओजोन परत को नुकसान पहुंचाने वाली सीएफएल-11 गैसों की मात्रा में भी भारी बढ़ोतरी हुई है। डब्ल्यूएमओ की उप प्रमुख एलेना मानेनकोवा के मुताबिक, वातावरण में मौजूद आवश्यकता से अधिक कार्बन डाई ऑक्साइड की मात्रा को हटाने के लिए वर्तमान में कोई जादू की छड़ी नहीं है। इसमें भारी कटौती करना ही जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने का एकमात्र रास्ता है।