समझौते के बाद सीरिया के पूर्वी घोउटा से विद्रोही लड़ाकों का बाहर जाना शुरू
सीरिया से अमेरिकी सेना को वापस हटाने की घोषणा के बाद अब वहां के पूर्वी घाउटा को लेकर भी बड़ा समझौता हुआ है।
नई दिल्ली [स्पेशल डेस्क]। एक सप्ताह के अंदर सीरिया को लेकर सामने आई दो खबरों से वहां पर शांति बहाली की उम्मीदों को बल मिला है। सीरिया से अमेरिकी सेना को वापस हटाने की घोषणा के बाद अब वहां के पूर्वी घाउटा को लेकर भी बड़ा समझौता हुआ है। यह समझौता विरोधियों के कब्जे वाले क्षेत्र में लड़ाकों और नागरिकों के बीच हुआ अंतिम समझौता है। इससे सीरिया की सरकार द्वारा दमिश्क के नजदीक स्थित इस क्षेत्र को अपने कब्जे में लेने का रास्ता साफ हो गया है। रूस की मध्यस्थता से हुए इस समझौते में जैश अल इस्लाम के लड़ाके डाउमा शहर को छोड़ देंगे। इस समझौते के बाद काफी संख्या में जैश अल इस्लाम के लड़ाकों और उनके परिवार के सदस्य बसों में सवार होकर यहां से बाहर चले गए हैं। इसकी पुष्टि सीरियाई समाचार एजेंसी सना ने भी की है। सना के मुताबिक अब तक करीब 12 लड़ाके यहां से बाहर जा चुके हैं।
असद कर चुके हैं घोउटा का दौरा
सीरिया में चल रही जंग 18 मार्च को राष्ट्रपति बशर अल असद ने पूर्वी घाउटा का दौरा किया था और वहां पर जवानों से मुलाकात की थी। इस मौके पर उन्होंने जवानों का हौसला बढ़ाया और आतंकवाद से जारी इस मुहिम में साथ देने के लिए उनको धन्यवाद भी दिया। उनका कहना था कि यह जंग सिर्फ सीरिया को लेकर नहीं है बल्कि पूरी दुनिया से आतंकवाद के खात्मे के लिए है। इस दौरान बशर अल असद को लेकर वहां पर उनके समर्थन में नारेबाजी भी हुई। इस मौके पर वहां काफी संख्या में आम लोग भी थे।
ट्रंप की घोषणा
इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की थी कि बहुत जल्द अमेरिकी फौज सीरिया से बाहर हो जाएंगी। सीरिया के लिए यह इस लिहाज से भी अच्छी खबर है क्योंकि अमेरिका को लेकर बार-बार सीरिया आरोप लगाता रहा है कि वह यहां पर आतंकियों और सरकार के विद्रोहियों को फंडिंग और हथियार देकर मदद कर रहा है। इतना ही नहीं सीरिया का यह भी आरोप है कि वह यहां पर हमला कर बेगुनाह लोगों को मार रहा है।
खुद अपनी परेशानियों को हल करे सीरिया
ट्रंप ओहियो में हुई एक रैली में सीरिया से हटने की घोषणा करते हुए यह भी कहा है कि अब सीरिया के लोग खुद अपनी परेशानियों को हल करेंगे। इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि मिडिल ईस्ट में अमेरिका अब तक खरबों रुपयें खर्च कर चुका है, लेकिन उसको बदले में कुछ नहीं मिला। हालांकि उन्होंने अपने भाषण के दौरान यह साफ नहीं किया है कि अमेरिकी फौज कब से सीरिया को छोड़ेंगी। सीरिया पर की गई बड़ी घोषणा के अलावा उन्होंने आईएसआईएस के खिलाफ छेड़े गए वायुसेना के ऑपरेशन को भी रोक दिया है।
सीरिया में अमेरिकी फौज मौजूद
यहां आपको बता दें उत्तरी सीरिया में अमेरिकी फौज मौजूद हैं जो कुर्दिश फाइटर्स का आईएस के खिलाफ साथ दे रही हैं। कुछ ही दिन पहले अमेरिका ने उन मीडिया रिपोर्ट्स को सिरे से खारिज कर दिया था जिसमें कहा गया था कि कुर्दिश शहर मांबिज में अमेरिकी फौज की मौजूदगी है और तुर्की और यूएस में कोई डील हुई है। यहां पर ये भी याद रखने की जरूरत है कि तुर्की ने भी आईएस के खिलाफ सीरिया के अंदर ऑपरेशन चलाया था।
सीरिया में आतंकियों की मदद कर रहा अमेरिका
सीरिया में अमेरिकी सेना की मौजूदगी और उनके द्वारा किए जा रहे हमलों को लेकर राष्ट्रपति बशर अल असद कई बार अपनी नाराजगी जाहिर कर चुके हैं। सीरियाई पत्रकार वईल अवाद भी सीरिया की मौजूदा हालत के लिए अमेरिका को जिम्मेदार ठहराते हैं। उनका साफ कहना है कि सीरिया में अमेरिका आतंकियों की मदद कर रहा है। वह उनको खुफिया जानकारियां मुहैया करवाते हैं और फंडिंग के साथ-साथ हथियार मुहैया करवाते हैं। ऐसे में यदि अमेरिका यहां से निकल जाता है तो हालात बेहतर हो सकते हैं।
सात वर्षों से जारी है गृहयुद्ध
गौरतलब है कि सीरिया में बीते सात वर्षों से जारी इस गृहयुद्ध में अब तक चार लाख लोग मारे जा चुके हैं। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट बताती है कि अब तक दुनिया के कई मुल्क में पनाह लेने वाले सीरियाई शरणार्थियों की संख्या साढ़े चार लाख को भी पार कर रही है। इसके अलावा सीरियाई सरकार पर यूएन में मानवाधिकार उल्लंघन के भी आरोप लग रहे हैं। हालांकि सरकार इसका हर बार ही खंडन करती रही है।
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