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Good News: नई तकनीक से चल सकेंगे लकवा मरीज, जानें- कारण, लक्ष्ण और बचाव का तरीका

ये नई डिवाइस मस्तिष्क से नियंत्रित होती है। साथ ही जानें- कैसे होता है लकवा लकवे के प्रकार लकवा के लक्ष्ण संदेह होने पर खुद कैसे करें लकवे की जांच और लकवा से बचाव का तरीका।

By Amit SinghEdited By: Published: Sun, 06 Oct 2019 09:19 AM (IST)Updated: Sun, 06 Oct 2019 10:01 AM (IST)
Good News: नई तकनीक से चल सकेंगे लकवा मरीज, जानें- कारण, लक्ष्ण और बचाव का तरीका
Good News: नई तकनीक से चल सकेंगे लकवा मरीज, जानें- कारण, लक्ष्ण और बचाव का तरीका

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। लकवाग्रस्त मरीजों के लिए अच्छी खबर है। वैज्ञानिकों ने मस्तिष्क से नियंत्रित होने वाला एक ऐसा एक्सोस्केलेटन तैयार किया है, जिससे पैरालिसिस (लकवे) के शिकार लोग भी चल फिर सकेंगे। एक्सोस्केलेटन हड्डियों के ढांचे की तरह काम करने वाला डिवाइस है, जो बाहर से शरीर को सहारा देता है। मस्तिष्क से संचालित होने वाले इस नए सिस्टम से टेट्राप्लेजिक्स के मरीजों के लिए उम्मीद की किरण जगी है। जानतें हैं- कैसे होता है लकवा, इसके प्रकार, लक्ष्ण और बचाव के तरीकों के बारे में...

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न्यूज एजेंसी एएफपी के अनुसार टेट्राप्लेजिक्स के कारण मरीज के कंधे के नीचे का हिस्सा काम करना बंद कर देता है। फिलहाल इस नई तकनीक का इस्तेमाल फ्रांस के रहने वाले थिबॉल्ट (28) पर किया जा रहा है। एक नाइट क्लब में हुए हादसे के कारण चार साल पहले थिबॉल्ट के कंधे के नीचे का पूरा हिस्सा लकवाग्रस्त हो गया था। कई महीने कंप्यूटर पर प्रशिक्षण लेने के बाद वह एक्सोस्केलेटन की मदद से चलने लगे हैं। उन्होंने कहा, इस तकनीक से मुझे नई जिंदगी मिली है। मैं अभी एक्सोस्केलेटन की मदद से अपने घर तो नहीं जा सकता, लेकिन कुछ दूरी तक चल लेता है। जब मैं चाहता हूं, चलता हूं और जब रुकना चाहता हूं, रुक जाता हूं।’

कब तक शुरू होगा सार्वजनिक इस्तेमाल

एएफपी के मुताबिक नई तकनीक का ट्रायल करने वाले वैज्ञानिकों का मानना है कि इस नई त इसके सार्वजनिक इस्तेमाल में कई साल लगेंगे। हालांकि, इससे पैरालिसिस के मरीजों का जीवन बेहतर हो सकता है। उनका यह भी कहना है कि इससे वह इंसान को रोबोट नहीं बना रहे हैं बल्कि एक चिकित्सकीय समस्या का तकनीक से समाधान निकाल रहे हैं।

किस तरह काम करता है डिवाइस

एएफपी की खबर में बताया गया है कि फ्रांस स्थित हॉस्पिटल ऑफ ग्रेनोबेल एल्पेस के अलीम लुईस बेनाबिड ने कहा, ‘पैरालिसस के बाद भी मस्तिष्क हाथ व पैरों को घूमने का सिग्नल दे सकता है। हालांकि, हाथ व पैर मस्तिष्क के कमांड को लागू कर पाने में अक्षम होते हैं।’ इसी के चलते शोधकर्ताओं ने थिबॉल्ट के सिर के दोनों हिस्से में एक रिकार्डिग डिवाइस प्रत्यर्पित किया। ये डिवाइस सेंसोरिमोटर कार्टेक्स की जानकारियां रिकार्ड कर सकते थे। मस्तिष्क में मौजूद ये कार्टेक्स ही शरीर की चलने-फिरने की क्षमता को नियंत्रित करते हैं। इस रिकॉर्डर के जरिये मस्तिष्क के सिग्नल को एक एल्गोरिदम में बदला जाता है, जिससे एक्सोस्केलेटन को चलने का कमांड मिलता है।

संजीवनी से कम नहीं होगी डिवाइस

एक्सोस्केलेटन बाहरी रूप से देखने में किसी रोबोट की आकृति लगती है, पर वास्तविकता में यह रोबोट नहीं है। वैज्ञानिकों ने कहा कि यदि हम अपने परीक्षण में सफल रहते हैं तो भविष्य में यह डिवाइस पैरालिसिस के शिकार लोगों के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं होगी। इसकी मदद से लोग आसानी से चल-फिर सकेंगे और अपने दैनिक भी काम कर पाएंगे। लेकिन इससे पहले इसके डिजाइन पर और काम करने की जरूरत है।

कैसे होता है लकवा और इसके प्रकार

डॉक्टरों के अनुसार लकवा का मतलब है कि दिमाग के एक हिस्से में रक्त प्रवाह का रुक जाना। इससे दिमाग का वो हिस्सा क्षतिग्रस्त होने लगता है। इसी स्थिति को लकवा कहा जाता है। डॉक्टरों के अनुसार लकवा के 85 फीसद मामलों में मरीजों के दिमाग के एक हिस्से में रक्त संचार बंद हो जाता है, जबकि शेष 15 फीसद मामलों में दिमाग में खून की नस फटना लकवे की वजह होती है। दिमाग में रक्त संचार बंद होना या नस फटने की वजह अमूमन उसमें जमा होने वाला बैड कोलेस्ट्रॉल होता है। इससे नस ब्लॉक हो जाती है। कई बार हृदय या गले की नस से खून का थक्का निकलकर दिमाग की नस में पहुंच जाता है। इससे भी दिमाग के एक हिस्से में रक्त संचार बंद या अवरुद्ध हो सकता है।

लकवे के लक्ष्ण

दिमाग के अलग-अलग हिस्से, शरीर के अलग-अलग अंगों को नियंत्रित करते हैं। इसलिए लकवे का लक्ष्ण इस बात पर निर्भर करता है कि दिमाग के किस हिस्से में रक्त संचार अवरुद्ध हो रहा है। डॉक्टरों के अनुसार इसके कुछ सामान्य लक्ष्ण इस प्रकार हैं...

1. याददाश्त का अचानक कमजोर हो जाना।

2. बोलने में परेशानी शुरू हो जाए तो ये भी लकवे का लक्ष्ण हो सकता है।

3. हाथ-पैर में कमजोरी इसकी सबसे सामान्य वजह होती है।

4. कई मामलों में आंखों की रोशनी कम होना भी लकवे का लक्ष्ण हो सकता है।

5. चेहरे के सामान्य आकार में परिवर्तन अथवा चेहरे का टेढ़ा होना भी इसका सामान्य लक्ष्ण है।

खुद कर सकते हैं लकवे की जांच

1. क्या मरीज सही से हंस पा रहा है?

2. क्या उसका चेहरा टेढ़ा हो गया है या आंख लटकी हुई प्रतीत हो रही है?

3. मरीज के दोनों हाथों को हवा में ऊपर की तरफ उठवाएं, क्या उसे परेशानी महसूस हो रही?

4. चेक करें मरीज स्पष्ट बोल पा रहा है या नहीं?

5. क्या मरीज आपके द्वारा बोले हुए सभी शब्दों को समझ पा रहा है?

नोट - उपर्युक्त लक्ष्णों में से अगर कोई भी एक लक्ष्ण किसी व्यक्ति में अचानक दिखे, तो ये लकवा का लक्ष्ण हो सकता है। उसे तत्काल डॉक्टर के पास ले जाएं।

लकवा से बचाव

1. डॉक्टरों के अनुसार 80 फीसद से ज्यादा मामलों में लकवे से बचाव संभव है।

2. 50 फीसद लकवे की वजह अनियंत्रित ब्लड प्रेशर (रक्तचाप) या हाई ब्लड प्रेशर होता है।

3. हाई ब्लड प्रेशर को हलके में नहीं लेना चाहिए। इसकी नियमित दवा लें।

4. ध्रूम्रपान से दूर रहें।

5. सुबह-शाम की सैर और नियमित व्यायाम लकवे से बचा सकता है।


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