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VIDEO: फ्रांस के Zapata ने पार किया इंग्लिश चैनल, सैन्य परेड में भरी थी पहली उड़ान

ये तकनीक केवल युद्ध के दौरान ही नहीं बल्कि पुलिस या सुरक्षाबलों के लिए अन्य कार्यों में भी कारगर साबित हो सकती है। इसकी मदद से जवान कहीं भी उड़कर आसानी से पहुंच सकते हैं।

By Amit SinghEdited By: Published: Thu, 25 Jul 2019 04:14 PM (IST)Updated: Mon, 05 Aug 2019 09:28 AM (IST)
VIDEO: फ्रांस के Zapata ने पार किया इंग्लिश चैनल, सैन्य परेड में भरी थी पहली उड़ान
VIDEO: फ्रांस के Zapata ने पार किया इंग्लिश चैनल, सैन्य परेड में भरी थी पहली उड़ान

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। फ्लाइंग मैन (Flying Man) के नाम से मशहूर फ्रांसीसी आविष्कारक (French Inventor) फ्रैंकी जपाटा (Franky Zapata) ने अपने दूसरे प्रयास में जेट संचालित होवरबोर्ड से 36 किमी के इंग्लिश चैनल को सफलतापूर्वक पार कर लिया है। ऐसा करने वाले वह दुनिया के पहले व्यक्ति बन गए हैं। चालीस वर्षीय फ्रैंकी ने उत्साह से भारी भीड़ के सामने रविवार (04 अगस्त 2019) को सुबह सात बजकर 16 मिनट पर फ्रांस के कैलेस शहर में स्थित सैंगाटी बीच से उड़ान भरी और 23 मिनट के बाद 7 बजकर 39 मिनट पर वह इंग्लैंड के केंट शहर में स्थित क्लिफ गांव पहुंचे।

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फ्रैंकी जपाटा ने हवा में पहली आधिकारिक उड़ान फ्रांस की एक परेड में भरी थी। वह पहले भी एक बार अपने फ्लाइंग बोर्ड के जरिए हवा में उड़कर इंग्लिश चैनल पार करने का प्रयास कर चुके हैं। इंग्लिश चैनल पार करने का उनका पहला प्रयास असफल रहा था। भारत ही नहीं हर देश के लिए उसकी सरहदों की सुरक्षा सबसे बड़ा मुद्दा है। आधुनिक युग में सुरक्षा के लिए जिस तरह से खतरा बढ़ रहा है, उसी तरह तमाम देशों की सेनाएं और युद्ध विशेषज्ञ भी इससे निपटने के नए-नए तरीके इजाद करने की दिशा में लगातार काम कर रहे हैं।

ऐसे में फ्रेंच राष्ट्रपति इमेन्युअल मैक्रों के एक ट्वीट ने कुछ दिन पहले पूरी दुनिया को चौंका दिया था। उन्होंने 14 जुलाई को पेरिस में आयोजित बैस्टिल डे समारोह का एक वीडियो ट्वीट किया है। इस आविष्कारक समारोह में एक जवान जेट-पावर्ड फ्लाइबोर्ड पर सवार होकर समारोह स्थल पर उड़ता हुआ नजर आ रहा है। जवान के हाथों में ऑटोमैटिक गन है और वह फ्लाइबोर्ड पर संतुलन बनाए हुए पूरी तरह से मुस्तैद दिख रहा है।

फ्रेंच राष्ट्रपति ने ट्वीट किया वीडियो
पैर में एक छोटी सी जेट मशीन लगाकर ऑटोमैटिक गन के साथ हवा में उड़ रहे इस सैनिक को देखकर वहां मौजूद हर कोई दंग रह गया। यहां तक कि समारोह में मौजूद फ्रांस के राष्ट्रपति इमेन्युअल मैक्रो के लिए भी ये अद्भुत नजारा था। लिहाजा उन्होंने तुरंत परेड के दौरान हवा में उड़ते सैनिक का एक वीडियो ट्वीट कर दिया। उनके इस ट्वीट को अब तक 7.9 मिलियन (लगभग 80 लाख) लोग देख चुके हैं। तकरीबन 75 हजार लोगों ने उनके इस ट्वीट को लाइक किया है और 25 हजार से ज्यादा लोगों ने उनके ट्वीट को रीट्वीट किया है।

फ्रेंच राष्ट्रपति ने की सेना की तारीफ
फ्रेंच राष्ट्रपति इमेन्युअल मैक्रों द्वारा ट्वीट करने के बाद थोड़ी ही देर में 1:02 मिनट का ये वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। इसे कई देश के लोग देख चुके हैं और तमाम अंतरराष्ट्रीय मीडिया में हवा में उड़ने वाले सैनिक की ये वीडियो दिखाया जा चुका है। अपने इस ट्वीट के साथ राष्ट्रपति इमेन्युअल ने लिखा, उन्हें अपनी सेना, उसके आधुनीकिकरण और उन्नत तकनीक पर गर्व है।

पहली बार इस तकनीक का हुआ सैन्य इस्तेमाल
मालूम हो कि तमाम देश के रक्षा अनुसंधान संस्थान और सेनाओं द्वारा इस तरह की खोजें की जा रही हैं। ऐसे में फ्रेंच सेना द्वारा पहली बार इस तकनीक का अपनी आधिकारिक परेड में पूरी दुनिया के सामने इस्तेमाल करना, उनकी एक बड़ी उपलब्धी माना जा रहा है। बताया जा रहा है कि इस जेट फ्लाईबोर्ड के साथ अत्याधुनिक हथियारों से लैस सैनिक 150 मीटर की ऊंचाई पर 10 मिनट से ज्यादा देर तक उड़ान भर सकता है। इसकी रफ्तार 190 किमी प्रतिघंटा तक हो सकती है।

ये है इस तकनीक की खासियत
खास बात ये है कि इस तकनीक का इस्तेमाल करने के लिए न तो किसी तरह के लांचिंग पैड की जरूरत है और न ही किसी रनवे आदि की। इस टेक्नोलॉजी को आसानी से कहीं भी इस्तेमाल किया जा सकता है। ये मशीन इतनी हल्की है कि सैनिक आराम से इसे अपने कंधों पर लेकर कहीं भी आ जा सकते हैं। इस वजह से यह तकनीक सैनिकों के लिए और मददगार साबित हो सकती है। हालांकि फ्रेंच सेना ने इस तकनीक को आधिकारिक तौर पर अपनाया है या नहीं, ये अभी स्पष्ट नहीं है। माना जा रहा है कि जल्द ही फ्रेंच सेना इस तकनीक को अपना सकती है। बताया जा रहा है कि फ्रांस इस तकनीक को और समृद्ध करने की दिशा में काम कर रहा है।

एक साल से चल रही थी कवायद
रूसी टेलीविजन नेटवर्क आरटी के अनुसार, पहले फ्लाइबोर्ड का आविष्कार करने वाले फ्रांसीसी खोजकर्ता फ्रैंक ज़ैपाटा को एयरोनॉटिकल माइक्रो-जेट इंजन के विकास के लिए पिछले साल फ्रांसीसी सेना ने 14 लाख 70 हजार डॉलर का अनुदान दिया था। मतलब फ्रांस करीब एक वर्ष से इस तकनीक को विकसित करने की दिशा में काम कर रहा है। सशस्त्र बल के मंत्री फ्लोरेंस पैरी के हवाले से आरटी ने बताया कि ज़ैपाटा की इस खोज को "विभिन्न प्रकार के उपयोगों के लिए टेस्ट की इजाजत मिल सकती है। उन्होंने कहा कि फ्लाइंग लॉजिस्टिक प्लेटफॉर्म या, हमले के लिए भी इस्तेमाल की जा सकती है।

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