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कश्मीर पर टिप्पणी कर ट्विटर यूजर्स के निशाने पर आए मलेशिया के पूर्व पीएम महातिर

महातिर के ट्वीट के जवाब में लोगों ने कहा है कि यदि आप वास्तव में लोगों की आवाज बनना चाहते हैं तो चीन के उइगर मुस्लिमों के मामले को उठाएं।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sun, 09 Aug 2020 08:31 PM (IST)Updated: Sun, 09 Aug 2020 08:31 PM (IST)
कश्मीर पर टिप्पणी कर ट्विटर यूजर्स के निशाने पर आए मलेशिया के पूर्व पीएम महातिर
कश्मीर पर टिप्पणी कर ट्विटर यूजर्स के निशाने पर आए मलेशिया के पूर्व पीएम महातिर

कुआलांलपुर, एएनआइ। अनुच्छेद-370 खत्म किए जाने की पहली वर्षगांठ पर मलेशिया के पूर्व प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद द्वारा कश्मीर को लेकर किए गए ट्वीट पर दुनियाभर के ट्विटर यूजर ने उनकी जमकर आलोचना की। बता दें कि महातिर द्वारा नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और कश्मीर को लेकर की गई टिप्पणी के बाद भारत और मलेशिया के बीच राजनयिक विवाद पैदा हो गया था। इसके बाद इस साल जनवरी में भारत ने मलेशिया से आने वाले पाम आयल के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया था।

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पूर्व पीएम महातिर ने ट्वीट कर कहा था- अब मैं  बिना किसी लाग-लपेट के बोल सकता हूं

महातिर ने ट्वीट करके कहा था, 'अब जब मैं प्रधानमंत्री नहीं रह गया हूं तो बिना किसी लाग-लपेट के बोल सकता हूं। इस दौरान मैं बायकॉट किए जाने वाली धमकी की परवाह किए बिना कश्मीर मुद्दे को भी उठा सकता हूं। पांच अगस्त को कश्मीर में लॉकडाउन के एक साल हो गए।'

कश्मीर पर महातिर की टिप्पणी को ट्विटर यूजर ने की आलोचना

कश्मीर पर महातिर द्वारा की गई टिप्पणी की ट्विटर यूजर ने जमकर आलोचना की। यूजर उइगर मुस्लिमों के उत्पीड़न के खिलाफ नहीं बोलने को लेकर महातिर पर जमकर बरसे। उन्होंने बलूचिस्तान, सिंध और खैबर पख्तूनख्वा में मानवाधिकार उल्लंघन के खिलाफ आवाज नहीं उठाने को लेकर भी आलोचना की।

महातिर के ट्वीट के जवाब में लोगों ने कहा- पहले चीन के उइगर मुस्लिमों का मामला उठाएं

महातिर के ट्वीट के जवाब में शोएब वानी ने कहा, ' चीन में उइगर मुसलमानों के खिलाफ आप अपनी आवाज नहीं उठाते हैं। चीन ने लाखों मुस्लिम भाइयों को शिविरों में हिरासत में रखा है और महिलाओं को बिना उनकी सहमति के बांझ बनाया जा रहा है।' एक अन्य यूजर मुर्सलीन फारूक ने कहा, '30 लाख उइगर नारकीय जीवन जी रहे हैं, लेकिन उनके बारे में आप एक भी शब्द नहीं बोलते हैं। यदि आप वास्तव में लोगों की आवाज बनना चाहते हैं तो उइगरों के मामले को उठाएं।'


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