Bhutan: भूटान के पूर्व पीएम शेरिंग तोब्गे ने कहा,- भारत, चीन को अपने पड़ोसी देशों के आंतरिक मामलों में नहीं देना चाहिए दखल
भूटान के पूर्व प्रधानमंत्री शेरिंग तोब्गे ने कहा कि भारत और चीन को अपने पड़ोसी देशों के आंतरिक मामलों में राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जब तक दोनों देशों का दखल रहेगा तब तक पड़ोसी देशों का विकास नहीं होगा।
नई दिल्ली, एजेंसी। भूटान के पूर्व प्रधानमंत्री शेरिंग तोब्गे ने रविवार को कहा कि भारत और चीन को अपने पड़ोसी देशों के आंतरिक मामलों में राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं करनी चाहिए। उन्होंने एक कार्यक्रम के दौरान पूर्व विदेश सचिव श्याम सरन के एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि भारत और चीन के बीच रहने वाले देशों में जब तक दोनों देशों का दखल है तब तक इन देशों का विकास करना काफी मुश्किल है।
पड़ोसी के आंतरिक मामलों में दखल नहीं दे
पूर्व पीएम तोब्गे ने कहा कि दोनों देशों को पड़ोसी देशों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा, ' मुझे लगता है भारत और चीन दोनों देशों को अपनी राजनीति को अपने पड़ोसी देशों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करनी चाहिए। थिंक टैंक सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा, 'दोनों देशों का जब तक पड़ोसी देशों के आंतरिक मामले में दखल है तब तक इन देशों को विकास करने में मुश्किल का सामना करना होगा।'
भारत विकास करने में सबसे आगे
कार्यक्रम में शेरिंग तोब्गे ने कहा कि चीन पहले से ही विकास कर रहा है। भारत लगातार विकास के रास्ते पर है और भारत में सबसे कम उम्र की आबादी के साथ-साथ सबसे बड़ी आबादी भी है, जिसके कारण भारत की विकास गति बिना रुकावट के चलेगी। हालांकि सबसे बड़ा प्रश्न ये है कि भारत और चीन के बीच जो देश हैं क्या वह विकास करेंगे।
भारत को यूएन में मिले स्थायी सीट
पूर्व पीएम ने कहा कि भारत ने अपने पड़ोसी के प्रति जो कमिटमेंट किया था उसको बखूबी निभाया है। संयुक्त राष्ट्र में भारत को एक स्थायी सीट दी जानी चाहिए क्योंकि भारत से दुनिया को अभी बहुत कुछ प्राप्त करना है। उन्होंने याद किया कि साल 2014 के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कैसे अपने शपथ ग्रहण समारोह में सभी सार्क देशों ( SAARC countries) के नेताओं को आमंत्रित किया था। उन्होंने कहा कि सार्क सदस्य देशों के बाहर के अन्य देशों के नेताओं को शपथ ग्रहण समारोह में शामिल नहीं किया गया। यह दर्शाता है कि पीएम मोदी अपने सभी पड़ोसी देशों को एक साथ लाकर उन्हें मजबूत बनाना चाहते हैं।