Facebook को यूरोपीय अदालत से जोर का झटका, नेटवर्क से पूरी तरह हटाने होंगे Hate Speech
फेसबुक ने अदालत के फैसले की निंदा करते हुए कहा है कि एक देश दूसरे देश के व्यक्ति की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर रोक नहीं लगा सकता।
लक्जमबर्ग, एएफपी। यूरोपीय यूनियन की सर्वोच्च अदालत ने बुधवार को फेसबुक को जोरदार झटका दिया। कोर्ट ने फेसबुक समेत सभी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से घृणा फैलाने वाले भाषणों और अन्य विवादास्पद सामग्री को हटाने का आदेश दिया है। यह आदेश पूरी दुनिया के सोशल मीडिया कंटेंट को लेकर दिया गया है।
कोर्ट का यह फैसला यूरोपीय यूनियन की सोशल मीडिया कंपनियों की जीत के तौर पर देखा जा रहा है। ये कंपनियां अमेरिकी दिग्गज फेसबुक पर भी यूरोपीय यूनियन के नियम लागू कराना चाहती थीं। फेसबुक पर यूरोपीय मानक लागू न होने से वह प्रतिद्वंद्वी यूरोपीय कंपनियों से आगे है।
इवा ग्लाविचनिग ने की थी अभद्र टिप्पणी हटाने की मांग
यूरोपीय कोर्ट ऑफ जस्टिस ने अपने आदेश में कहा है कि फेसबुक भी अपने प्लेटफॉर्म से घृणा फैलाने वाला कंटेंट हटाए और ऐसे कार्य में लिप्त लोगों के अकाउंट बंद करे। ताजा आदेश ऑस्ट्रिया की कोर्ट में चले मूल मामले से यहां आया है। ऑस्ट्रिया में ग्रींस पार्टी की नेता इवा ग्लाविचनिग पीसचेक ने फेसबुक पर अपने खिलाफ की गई अभद्र टिप्पणियों को हटाने की मांग वहां की अदालत से की थी। ये अभद्र टिप्पणियां पूरी दुनिया में देखी और पढ़ी जा रही थीं। इस टिप्पणी में इवा को भ्रष्ट महिला बताया गया था।
पूरे यूरोप में लागू होगा फैसला
इस टिप्पणी को हटाने से फेसबुक के इन्कार के बाद इवा अदालत में गई थीं। मामले की सुनवाई के बाद ऑस्ट्रिया की हाई कोर्ट ने मामले को यूरोपीय कोर्ट ऑफ जस्टिस में भेजा था। अब यह फैसला पूरे यूरोप में लागू होगा। किसी यूरोपीय शख्स के खिलाफ फेसबुक पर मौजूद आपत्तिजनक सामग्री दुनिया में कहीं भी देखी-पढ़ी जा रही है तो पीड़ित व्यक्ति उसकी शिकायत यूरोपीय अदालत में कर सकता है, तब फेसबुक के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है। इसलिए शीर्ष अदालत ने फेसबुक से आपत्तिजनक सामग्री को पूरे नेटवर्क से हटाने के लिए कहा है।
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर रोक: फेसबुक
वहीं, फेसबुक ने अदालत के फैसले की निंदा की है। कहा है कि एक देश दूसरे देश के व्यक्ति की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर रोक नहीं लगा सकता। यूरोपीय अदालत का फैसला यही बाध्यता पैदा करता है। उल्लेखनीय है कि इसी अदालत ने सितंबर में एक मामले में दिए फैसले में गूगल को यूरोपीय यूनियन में लागू राइट टू बी फॉनगोटेन के अधिकार के पालन से छूट दी थी।