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फेसबुक ने म्यांमार सेना प्रमुख समेत कई अफसरों को किया ब्लॉक, नफरत फैलाने का आरोप

फेसबुक ने म्यांमार के सेना प्रमुख जनरल हलैंग समेत कई सैन्य अफसरों के अकाउंट को बंद कर दिया है। नफरत भरे मैसेज फैलाने का लगा आरोप।

By Nancy BajpaiEdited By: Published: Tue, 28 Aug 2018 09:20 AM (IST)Updated: Tue, 28 Aug 2018 09:27 AM (IST)
फेसबुक ने म्यांमार सेना प्रमुख समेत कई अफसरों को किया ब्लॉक, नफरत फैलाने का आरोप
फेसबुक ने म्यांमार सेना प्रमुख समेत कई अफसरों को किया ब्लॉक, नफरत फैलाने का आरोप

यांगून, म्यांमार (एपी)। फेसबुक ने म्यांमार के सेना प्रमुख जनरल हलैंग समेत कई सैन्य अफसरों के अकाउंट को बंद कर दिया है। फेसबुक का कहना है कि सैन्य अफसरों द्वारा फेसबुक पर नफरत भरे लेख और फेक न्यूज पोस्ट की जा रही थीं।  लोकप्रिय सोशल साइट ने बताया कि इन सैन्य अफसरों से संबंधित 18 फेसबुक अकाउंट, 52 फेसबुक पेज और एक इंस्टाग्राम अकाउंट को ब्लॉक किया गया है। साथ ही, उन पर पोस्ट किया गया डेटा और कंटेंट को भी हटा दिया गया है।

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फेसबुक के मुताबिक, इन सभी पेजों और अकाउंट्स को करीब 1.20 करोड़ लोग फॉलो कर रहे थे। फेसबुक ने कहा कि हम ऐसे लोगों को रोकना चाहते हैं, जो हमारी सेवाओं का इस्तेमाल धार्मिक और जातिवादी विवादों को भड़काने में कर रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष मानवाधिकार निकाय के लिए काम कर रहे जांचकर्ताओं की रिपोर्ट ने आरोप लगाया गया है कि फेसबुक नफरत फैलाने वाले लोगों के लिए एक उपयोगी साधन रहा है।

बता दें कि सोमवार को संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के जांचकर्ताओं द्वारा जारी की गई रिपोर्ट के बाद फेसबुक की ओर से यह एक्शन लिया गया है। यूएन की रिपोर्ट में कहा गया था कि रखाइन में रोहिंग्या मुस्लिमों के नरसंहार के लिए म्यांमार के जनरलों पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए। इस रिपोर्ट में रोहिंग्याओं के नरसंहार के लिए म्यांमार के सेनाध्यक्ष मिन आंग हलैंग समेत पांच अन्य जनरलों को दोषी माना गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि म्यांमार की सरकार रोहिंग्याओं के खिलाफ भड़काऊ बयानबाजी और हिंसा को रोकने में विफल रही। रिपोर्ट में कहा गया है, 'सेना के बड़े पदाधिकारियों के खिलाफ रखाइन प्रांत में हिंसा करने के काफी सुबूत मौजूद हैं।'

उल्लेखनीय है कि पिछले साल अगस्त में आतंकी संगठन अराकान रोहिंग्या साल्वेशन आर्मी ने म्यांमार की पुलिस और सेना की करीब 30 चौकियों पर हमला किया था। इसके बाद प्रांत में रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ हिंसा भड़क उठी थी। करीब सात लाख रोहिंग्याओं ने जान बचाने के लिए बांग्लादेश में शरण ली थी। रोहिंग्या मुसलमानों को म्यांमार अपना नागरिक नहीं मानता। सरकार उन्हें गैरकानूनी प्रवासी बांग्लादेशी मानते हुए कई तरह के प्रतिबंध लगाती है। यूएन ने इस नरसंहार को जातीय सफाई करार दिया था।


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