ग्रेट बैरियर रीफ पर मंडरा रहा अस्तित्व का संकट, ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण बढ़ गई हैं कोरल ब्लीचिंग की घटनाएं
जेम्स कुक यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर टेरी ह्यूजेस ने कहा मार्च के आखिरी दो सप्ताहों में हमने 1036 प्रवाल भित्तियों का सर्वेक्षण किया।
मेलबर्न, प्रेट्र। ऑस्ट्रेलियाई पारिस्थितिकी में अहम स्थान रखने वाले विश्व के सबसे बड़े प्रवाल भित्ति 'ग्रेट बैरियर रीफ' पर बढ़ते तापमान की वजह से अस्तित्व का संकट मंडरा रहा है। ग्लोबल वार्रि्मग के कारण यहां कोरल ब्लीचिंग की समस्या बढ़ती जा रही है। वैज्ञानिकों ने इसे दुनिया के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया है। जब तापमान, प्रकाश या पोषण में किसी भी परिवर्तन के कारण प्रवालों पर तनाव बढ़ता है तो वे अपने ऊतकों में निवास करने वाले सहजीवी शैवाल को निष्कासित कर देते हैं जिस कारण रंग-बिरंगे प्रवाल सफेद रंग में परिवर्तित हो जाते हैं। इस घटना को ही कोरल ब्लीचिंग या प्रवाल विरंजन कहते हैं।
ऑस्ट्रेलिया की जेम्स कुक यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के अनुसार, अब तक गंभीर ब्लीचिंग से बची प्रवाल भित्तियों की संख्या लगातार घटती जा रही है। बता दें कि ग्रेट बैरियर रीफ ऑस्ट्रेलिया के सुदूर उत्तरी और दक्षिणी क्षेत्र में स्थित है।
जेम्स कुक यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर टेरी ह्यूजेस ने कहा, 'मार्च के आखिरी दो सप्ताहों में हमने 1036 प्रवाल भित्तियों का सर्वेक्षण किया। अध्ययन के निष्कर्ष बताते हैं कि बढ़ते तापमान ने प्रवालों का आकर्षण खत्म कर दिया है। यदि साल-दर-साल इसी प्रकार गर्मी बढ़ती रही तो इससे प्रवाल तो अस्तित्व के संकट से जूझेंगे ही साथ ही, जैव-विविधता को भी नुकसान पहुंचेगा।' उन्होंने कहा कि पहली बार ग्रेट बैरियर रीफ के सभी तीन क्षेत्रों - उत्तरी, मध्य और अब बड़े हिस्से पर गंभीर विरंजन (ब्लीचिंग) हुआ है।
थर्मल तनाव से होती है कोरल ब्लीचिंग
शोधकर्ताओं ने बताया कि कोरल ब्लीचिंग गर्मियों में समुद्र के तापमान में वृद्धि के कारण पैदा होने वाले थर्मल तनाव के कारण होती है। बढ़ते तापमान के कारण पिछले पांच वर्षो में 2300 किमी रीफ सिस्टम में तीसरी गंभीर ब्लीचिंग हुई है। पहली बार इसके बारे में वर्ष 1998 में पता चला था। रिकॉर्ड के बताते हैं कि यह साल सबसे गर्म रहा था।
देश की अर्थव्यवस्था का आधार
बता दें कि ऑस्ट्रेलिया की पर्यटन अर्थव्यवस्था में ग्रेट बैरियर रीफ का योगदान अनुमानत: चार बिलियन डॉलर होता है, लेकिन यदि तापमान इसी प्रकार बढ़ता रहा तो हो सकता है कि ग्रेट बैरियर रीफ अपना विश्व विरासत का दर्जा खो सकता है।
..और रंगहीन हो जाता है कोरल
कोरल ब्लीचिंग तब होती है जब समुद्र के तापमान में बदलाव के कारण स्वस्थ कोरल तनावग्रस्त हो जाते हैं और कोरल अपने एल्गी (शैवालों) निष्कासित करते हैं। ये शैवाल कोरल के ऊतकों में रहते हैं और इनके न रहने पर कोरल रंगहीन हो जाता है।