यूरोप का मंदी से उबरने के लिए 750 अरब यूरो का प्रस्ताव, ईयू में कर्ज के सवाल पर उभरे मतभेद
यूरोपीय यूनियन ने कोरोना महामारी से बिगड़े आर्थिक हालात से निपटने के लिए 750 अरब यूरो (62.55 लाख करोड़ रुपये) की साझा निधि बनाने का प्रस्ताव बनाया है।
ब्रसेल्स, एपी। यूरोपीय यूनियन (ईयू) की कार्यकारी परिषद ने कोरोना वायरस जनित महामारी से बिगड़े आर्थिक हालात से निपटने के लिए 750 अरब यूरो (62.55 लाख करोड़ रुपये) की साझा निधि बनाने का प्रस्ताव बनाया है। इस निधि से 27 देशों के समूह की मंदी से निकलने के लिए मदद की जाएगी। सबसे ज्यादा मदद इटली और स्पेन को दी जाएगी। यूरोप में ये दोनों देश कोविड-19 महामारी से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं।
ईयू के आर्थिक मामलों के प्रभारी जेंटिलोनी ने कहा है कि इस अप्रत्याशित त्रासदी के चलते यूरोप एक खास मोड़ पर पहुंच गया है। इस निधि के लिए धन एकत्रित करने और मदद देने के सवालों पर सदस्य देशों में गंभीर मतभेद हैं लेकिन कार्यकारिणी ने प्रस्ताव पर विचार कर आमराय कायम करने का निर्णय लिया है। हाल के महीनों में यूरोप को महामारी से निपटने में जितनी बड़ी धनराशि खर्च करनी पड़ी है।
लॉकडाउन के चलते आर्थिक चक्र रुका है, उससे पूरे समूह की आर्थिक हालत खराब हो गई है। कारखाने और बाजार बंद होने से पूरे यूरोप में बेरोजगारी की बड़ी समस्या खड़ी हो गई है। अप्रैल में ईयू के दो सबसे बड़े देश- जर्मनी और फ्रांस के नेता 500 अरब यूरो की निधि तैयार करने को तैयार थे। लेकिन अब यह निधि और बड़ी हो गई है। इसी के कारण मतभेद भी बढ़ गए हैं।
इस निधि के लिए धन वैश्विक संस्थाओं और बाजार से एकत्रित किया जाएगा। सदस्य देशों में बड़ा मतभेद इस बात को लेकर भी है कि किस देश को कितनी धनराशि कर्ज के रूप में दी जाए और कितनी अनुदान के रूप में। इसलिए आमराय कायम होने में कई हफ्तों का समय लग सकता है। उल्लेखनीय है कि महामारी से जर्मनी और फ्रांस को भी बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है। वे भी इस संयुक्त निधि से धनप्राप्ति के बड़े दावेदार हैं।